पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/१९१

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(३५) पंडित अयोध्यासिंह उपाध्याय । kxsडित पयोध्यासिंह उपाध्याय अगस्त्य गोत्रीय पौर शुक्ल यजुर्वेदीय सनाक्ष्य प्राह्मण हैं। इनके पिता का नाम Xxxx पंडित भोलासिंह उपाध्याय था। आदि में इनके पूर्व पुरुष वदाऊ के रहने वाले थे परंतु लगभग तीन सौ वर्ष से वे आज़मगढ़ से दक्षिण पश्चिम तमसा फूल पर स्थित फसवा निज़ा- माबाद में आ वसे हैं। पंडित अयोध्यासिंह का जन्म संवत् १९२२ में हुआ। पंडित अयोध्यासिंह के चचा ब्रह्मासिंह एक अच्छे पंडित पौर सशरित्र पुरुप थे। उन्होंने इन्हें पांच वर्ष की अवस्था से घर पर विद्याध्ययन प्रारंभ करा दिया पार सात वर्ष की अवस्था होने पर निज़ामावाद के तहसीली स्कूल में भरती करा दिया। वहां इन्होंने सन् १८७९ ई. में वर्नाक्युलर मिडिल की परीक्षा पास की और वहां से मासिक छात्रवृत्ति पाकर बनारस के क्वींस कालेज में अंगरेजी पढ़ने लगे परंतु स्वास्थ्य बिगड़ जाने के कारण इन्हें थोड़े हो दिनों में घर चला जाना पड़ा और फिर अँगरेज़ी की शिक्षा का 1 अंत ही हो गया। घर पर रह कर इन्होंने चार पांच वर्ष तक उर्दू फ़ारसी और संस्कृत का अभ्यास किया। सत्रह वर्ष की अवस्था में इनका व्याह हुमा और इसके दो वर्ष बाद सन् १८८४ ई० में इन्होने निज़ामाबाद के तहसीली स्कूल में अध्यापक पद पर नियत होकर कार्य-क्षेत्र में पदार्पण किया। इसी समय में इन्होंने कचहरी के काम काज का अभ्यास किया और सन् १८८७ ई० में नार्मल परीक्षा पास की।