पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/२८

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(४) पंडित गौरीदत्त । 2 डित गौरीदत्त भारद्वाज गोत्रीय सारस्वत ब्राह्मण थे। जन्मभूमि लुधियाना, जन्म तिथि मि० पौष शुदिर संपत् १८५३। पंडित गौरीदत्त के दादा नाथू मिथ एक प्रसिद्ध तांत्रिक पंडित थे, पर इनके पिता फारसी में भी अच्छी योग्यता रसते थे। वे सरकार की तरफ से सतलज के पुल पर सरहद्दी दारोगा धे। पंडित गौरीदत्त को वाई पांच वर्ष की उमर थी कि इनके घर एक संन्यासी माया और उसने इनके पिता को पेसा शान दिया कि ये तुरंत संसार का सब माया मोह छोड़ घर से निकल पड़े। तब इनकी माता अपने दोनों बच्चों सहित मेरट को चलो आई। पंदित गौरीदच को प्रथम तो प्राचीन प्रथा के अनुसार केवल साधारण पंडिताई की शिक्षा दी गई थी परंतु धय माह होने पर इन्होंने फारसो और अँगरेजी का स्वयं अभ्यास किया। तदनंतर रुड़की कालिज में भरती हो कर बीजगणित, रेखागणित, सर्वेइंग, ड्राइंग और शिल्प पादि व्यवसाय सीखे । साथ ही कुछ वैधक और हकोमो का भी अभ्यास किया। सन १८५५ ६० में पंडित गौरोदष्ठ १८ घर्ष की अवस्था में पक मदरसे में नौकरं हो गए परंतु इसके दूसरे वर्ष मेरट में पलये का ज़ोर होने से दिल्ली से माई हुई सरकारी सेना में अपने मौसा के सहकारी गुमारता होकर लखनऊ तक गए परंतु यह मृत्यु-मुख