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हुआ। इस विवरण से स्पष्ट है कि बैर उन्हीं प्राणियों में
होता है जिनमें धारणा अर्थात् भावों के संचय की शक्ति होती
है। पशु और बच्चे किसी से बैर नहीं मानते। वे क्रोध
करते हैं और थोड़ी देर के बाद भूल जाते हैं। क्रोध का यह
स्थायी रूप भी आपदाओं की पहिचान कराकर उनसे बहुत
काल तक बचाए रखने के लिये दिया गया है।
——रामचंद्र शुक्ल
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