पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/७२७

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१- नागरी प्रचारिणी सभाने हिन्दी भाषा को समुन्नति के लिये अपने जीवन काल में बहुत बड़ा उद्योग किया, अपने उद्योग में उसको अच्छी सफलता भी मिलती आयी है । विशाल हिन्दी कोश का प्रस्तुत करना, हिन्दी के प्राचीन अनेक ग्रंथों की खोज कराना. मनोरंजन गूंथ माला को पुस्तकें निकालना, हिन्दी भाषा के प्रचार के लिये बड़े प्रयत्न करना. राजभवन सा प्रकाण्ड नागरी-प्रचारिणी सभा-भवन बनाना, सर्वांग पूर्ण हिन्दी व्याकरण की रचना कराना और एक अच्छा वेज्ञानिक कोश तैयार कग लेना उसके उल्लेखनीय कार्य हैं। आज भी वह शिथिल प्रयत्न नहीं है और हिन्दी भाषा के उत्कर्षमावन में पूर्ववत् दत्तचित्त है। भारतवर्ष के और हिन्दी-भाषा-भाषी प्रान्तों के अनेक विद्वान और प्रभावशाली पुरुष आज भी उसके सहायक और संरक्षक हैं। युक्तप्रान्त की गवर्नमेंट की भी उस पर सुदृष्टि है। पाश्चात्य अनेक विद्वान उसके हितैपी हैं। ये बातें उसके महत्व की सूचक हैं। उसके सञ्चालक गण यदि इसी प्रकार बद्ध-परिकर रहे तो आशा है उसका भविष्य और अधिक उज्ज्वल होगा और वह हिन्दी देवी को समुन्नति के और भी बड़े बड़े कार्य कर सकेगी।

२ दूसरी प्रसिद्ध संस्था हिन्दी साहित्य सम्मेलन है, जिसका केन्द्र स्थान प्रयाग है। इसने भी हिन्दी भाषा के उन्नयन के बहुत बड़े बड़े कार्य किये हैं। इसके द्वारा द्मद्रास प्रान्त और आसाम जैसे सुदरवर्ती प्रदेशों में हिन्दी-प्रचार का पूर्ण उद्योग हो रहा है। उसने प्रथमा.मध्यमा और उत्तमा परीक्षाओं का आविर्भाव कर के लगमग भारत के सभी प्रान्तों में हिन्दी के प्रेमी और विद्वान उत्पन्न कर दिये हैं, जिनकी संख्या सहस्रों से अधिक है। उसने विदुपी स्त्रियां भी उत्पन्न की हैं, जो अंगुलि-निर्देश-योग्य कार्य हैं। अनेक हिन्दू राज्यों में हिन्दी भाषा को राज्य-कार्य की भाषा बनाना और अनेक राजाओं और महाराजाओं को हिन्दी भाषा के प्रति उनके कर्तव्य का ध्यान दिलाना भी उसका बहुत बड़ा कार्य है। उसका पुस्तक प्रकाशन-विभाग भी चल निकला है। वर्ष के भीतर निकले हिन्दी के सर्वोत्तम ग्रंथ के लेखक को मंगला प्रसाद पारितोषिक दे कर