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विषय | पृष्ठांक | विषय | पृष्ठांक |
१५–व्याधि | २३४ | भाव ३४ ही क्यों हैं? | २६८ |
१६–त्रास | २३५ | रसाभास | २६९ |
१७–सुप्त | २३७ | रसाभास रस ही है अथवा उससे भिन्न? | २७० |
१८–विबोध | २३९ | विप्रलम्भाभास | २७६ |
१९–अमर्ष | २४२ | भावाभास | २७८ |
२०–अवहित्थ | २४३ | भावशान्ति | २८० |
२१–उग्रता | २४५ | भावोदय | २८१ |
२२–उन्माद | २४७ | भावसन्धि | २८२ |
२३–मरण | २४८ | भावशबलता | २८३ |
२४–वितर्क | २५० | शबलता के विषय में विचार | २८४ |
२५–विषाद | २५१ | भावशान्ति आदि की ध्वनियों में भाव प्रधान होते हैं, अथवा शान्ति आदि? | २८६ |
२६–औत्सुक्य | २५३ | रसों की शान्ति आदि की ध्वनियाँ क्यों नहीं होतीं? | २९१ |
२७–आवेग | २५४ | रस भाव आदि अलक्ष्य क्रम ही हैं अथवा लक्ष्य क्रम भी | २९१ |
२८–जड़ता | २५५ | ||
२९–आलस्य | २५७ | ||
३०–असूया | २५९ | ||
३१–अपस्मार | २६२ | ||
३२–चपलता | २६३ | ||
३३–निर्वेद | २६५ | ||
३४–देवता आदि के विषय में रति | २६६ |