पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/४२८

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पृष्ठ पङ्क्ति अशुद्ध शुद्ध
२५९ का ण कारण
२६१ अम अमर्ष
२७४ जा जो
२८८ नयना नयना नयनानयना
२८९ ।रा द्धारा
२९६ व्यंजक प्रपंच