पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१९१

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१६. उतरवाना-उतरौला १४ मृताको प्राप्त होना, मरना। १५ तुलना, ] नदीका तौर कंकरीला है। अधिवासियोंमें अहीर, बजनमें बैठना। १६ परिपक्व होना, पकना। कुर्मी, कोरी प्रभृति नीच जातीय हिन्दू अधिक मिलते उतरवाना (हिं. क्रि०) उतारनेका कार्य अन्यसे हैं। यहां अनेक प्राचीन टुर्गों का ध्वंसावशेष पड़ा है। लेना, उतारनेको हुकम देना। मुसलमानोंके आनेसे पहले हिन्दू राजगणने उक्त दुर्ग उतरहा (हिं० वि०) उत्तर दिक् सम्बन्धीय, शिमाली, बनवाये थे। वर्तमान नवाबके आदिपुरुष अलोखान् उत्तरी। नामक एक पठानने यह स्थान किसी रजपूतसे जीता। उतरा (हिं.वि.) अधोगत, अवनत, घटा हुआ, जो उस समय भारतमें मुगल बादशाह प्रबल हो गये थे। बेजगह पड़ा हो। किन्तु स्थानीय पठान नवाबने उनकी अधीनता स्वीकार इतराई (हिं० स्त्री०)१ अधोगमन, नोचेको जानका करना न चाही। अवशेषको अलोखानने अकबरके काम। २ नदीके परपार पहुंचनेका शुल्क, दरया वशीभूत हो अपने पितापर अस्त्र उठाये थे। पिता- पार होनेका महसूल । पुत्रमें युद्ध ठना। बलौखान्ने अपने पिताका मस्तक उतराना (हिं० क्रि०) १ उत्तरण करना, नीचेसे | हिखण्ड कर जयचिङ्गखरूप दिल्ली भेजवाया और ऊपर आना। २ उतरवाना, उतारने का काम दूसरेसे | पिमूर्ति के स्मरणार्थ एक सुन्दर समाधिस्तम्भ बन- कराना। वाया। बीस वत्सर राजत्वके बाद उनके पुत्र दाजद- उतरायल, उतरा देखो। खान्को पिटपद मिला था। किन्तु उनके राजत्व- उतरारी (हिं॰ स्त्री०) उत्तरवायु, शिमालसे चलने- | कालपर उतरौलेमें बहरीपुरके राजगणका अधिकार : वाली हवा। जम गया । १६२८ ई० को पूर्वराजवंशीय सलीम- उतराव (हिं. पु०) उतराई देखो। खान् नामक एक व्यक्तिने फिर यह स्थान ले लिया था। उतरावना (हिं० क्रि०) उतारना, ऊपरसे नीचे लाना।। किन्तु उनके राजत्व कालपर दारुण एहविवाद उठा। उतरास (हिं. स्त्री०) उतरनेको इच्छा, नीचे सलीमने विवाद बन्द करनेके लिये राजत्वको पांच भानको खाहिश। अंशमें बांटा था। उन्होंने फतेहखान्, पहाड़खान, रह- उतरिन, उऋण देखो। मतखान और मुबारक चार पुत्रको एक-एक अंश दिया ' उतरौला-१ युक्त प्रदेशके गोंडा जिलेको एक तहसील।। तथा एक अंश खास अपने लिये रख लिया। सलीम यह अक्षा. २६.२३ एवं २७.२५ उ० और द्राधि० खान्के प्रपौत्र महावत (दिलावरखान)-ने गोंड़के ८२.८' तथा ८२.३०पू० के मध्य अवस्थित है। राजा दत्तसिंहको मिल बानसौके राजासे अनेक बार भूमिका परिमाण १४४८ वर्गमील है। उसमें ९८७ | युद्ध किया था। बानसीराज सम्पूर्ण रूपसे हार। वर्गमील पर कृषिकार्य चलता है। लोकसंख्या में पहाड़ खानके वंशधर क्रमान्वयसे उतरौले पर राजत्व हिन्दू अधिक हैं। उतरौलेमें सात परगने लगते हैं करते चले आते हैं। उतरौला, शाहदुल्ला नगर, बूढ़ापाड़ा, बहरीपुर, ३ गोंडा जिलेका एक नगर या शहर। उतरौला मानिकपुर, बलरामपुर और तुलसीपुर। अपने परगने में प्रधान स्थान है। यह अक्षा०२७ १८ २ गोंड़ा जिले का एक परगना। इससे उत्तर रापती उ० और ट्राधि० २.२७ २५“पू. के मध्य अवस्थित नदी, पूर्व बसती जिला, दक्षिण कुवाना नदी और है। राजपूतोंने यह नगर बसाया था। निदर्शन पश्चिम बलरामपुर परगना है। उतरौले परगनेके मध्य | मिला-उनके समय उतरौला परिखासे परिवेष्टित सुभावन नदी बहती है। सुभावन और कुवाना नदीके सुन्दर टुग रहा। यह नगर अामके उपवनसे समा- बीचका स्थान 'उपरहार' कहलाता है। रबी पौरखरीफ कीर्ण है। विद्यालय, न्यायालय और दातव्य दोनो फसलें अच्छी तरह पैदा होती हैं। सुभावन । चिकित्सालय बने हैं।