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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२८२

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उनसरी-उनाव २८१ उनसरी-बलखके एक अधिवासी और सुलतान् । किनारे स्थित है। यहां बाजार लगा करता है। महमूद गजनवोको सभाकै पण्डित। इन्हें प्राय लोकसंख्या प्राय साढ़े चार हजार है। अबुल कासिम उनसरी कहते हैं। यह अबुलफरह उनाना (हिं.क्रि.) १ उवमित करना, झुका देना। सनजरीके शिष्य पौर असजदी तथा फरुखी कविके। तत्पर करना, कमर बंधाना। ३ श्रवण करना, , गुरु थे। ये अपने समयके एक श्रेष्ठ विद्वान् थे। । कान देना। ४ आनापालन करना, कहपर चलना। उनसरी कवि होनेके सिवा विज्ञान पौर अनेक उनाव-१ युक्त प्रदेशका एक जिला । यह अक्षा. भाषाओं के भी जाननेवाले थे। गज़नी विश्वविद्यालयके २६.८ एवं २७.२ उ० और ट्राधि०८०६ तथा समग्र विद्यार्थी और चार सौ कवि तथा विद्वान् इन्हें ८१°५ पू०के मध्य अवस्थित है। भूमिका परिमाण अपना गुरु मानते थे। सुलतान् महमूदको वीरता १७४७ वर्गमोल है। इसके उत्तर हरदोई, पूर्व लखनऊ, पर इन्होंने एक ग्रन्थ बनाया था। एकबार सुलतान् दक्षिण रायबरेली और दक्षिण-पश्चिम फतेहपुर तथा अपने सेवक अय्याजको अलकावली कटा कर पश्चा कानपुर जिला पड़ता है। लोकसंख्या प्रायः नौ लाख त्तापमें पड़े थे। किन्तु इन्होंने उस समय ऐसौ कविता है। उनाव लखनऊ विभागके अन्तर्गत और युक्तप्रदेशके बनाकर सुनायो, कि सुलतान्ने प्रसन्न हो इनका छोटे लाटके शासनाधीन है। मुख तीन बार अमूल्य रनोंसे भरनेको सेवकोंको आज्ञा यह कृषिप्रधान स्थान है। इसमें उनाव, पुरवा, दो। १०४० या १०४८ ई. में इनकी मृत्यु हुई। मौरावां, सफीपुर, बांगरमऊ, मोहान, नवलगञ्ज, हसन उनसी-एक मुसलमान कवि। इनका मुख्य नाम गञ्ज, महाराजगञ्ज और हरहा ये प्रधान नगर हैं। मुहम्मद शाह था। १५६५ ई० में इनको मृत्य हुई। ___इतिहास-पूर्व कालमें यह जिला वनादिसे भरा उनहत्तर (हिं. वि. ) एकोनसप्तति, छः दहाई था। स्थानीय मनुष्यों को विश्वास है-पहले मौरावें, और नौ एकाई रखनेवाला, ६८। पुरवे और हरदेमें भर जातिका वास था। अव- उनहार (हिं० वि०) समान, बराबर, कम-ज्यादा शिष्ट स्थानमें लोध, अहीर, ठठेरे प्रभृति जातिके लोग न होनेवाला। रहते थे। उनहारि (हिं. स्त्री०) सादृश्य, बराबरी। मुहम्मद गोरोके समयसे राजपूत निज जम्म- उना-पञ्जाबके होशियारपुर जिलेसे उत्तरपूर्व एक भूमिका स्नेह छोड़ उनावमें आकर बसने लगे। तहसौल। इसका कितना हो अंश शिवालिक गिरि | १२०० से १४५०ई० के बीच चौहान, दीक्षित, रेक- माला और हिमालयके मध्य पड़ता है। उनाके वार, जनवार और गौतम यहां आये थे। पौछे परि- चारो ओर प्रायः सोहन नदी बहती है। उपत्यकाके हार, गेहलोत, गौड़ और शेंगर भी पहुंच गये। प्रदेशको यशवनदुन कहते हैं। गेई, धान, चना, मुसलमानों के आक्रमणसे पहले विष्णुराज राजत्व कपास, नौल, ज्वार,जख, तम्बाकू और सबजीको उपज करते थे। सैयद अला-उद्दीन्के पुत्र बहाउद्दीन्ने उन्हें यहां अधिक है। इसका क्षेत्रफल ८६७ वर्ग मोल है। जीता । क्योंकि उस समय ईरानो और काबुनी सिपाही २ अपनी तहसीलका प्रधान नगर। यह अक्षा० ३१ तो उनके साथ थे। और राजपुत्रका विवाह था। इस ३२ उ० और ट्राधि० ७६°२८ पू० पर अवस्थित है। लिये मुसलमानों को सुयोग मिला। उन्होंने धार्मिक सिखोंके गुरु नानक वैदी नामक वंशधर उनामें राजाको संवाद दिया कि-'इस शादीसे हम खुश हैं। ही रहते हैं। रणजिसिंहके अधिकार-कालमें अतएव हम अपनी औरतोंको आपकी औरतांसे मिल- बैदी उपाधिधारी विक्रमसिंह नामक एक व्यक्तिको नेके लिये भेजना चाहते हैं।' राजा सम्मत हो गये। सिखराजसे इसकी और अनेक निकटस्थ स्थानोंकी इसलिये कामिनियोंके बदले सशस्त्र वीर पालकी पर जागौरी सनद मिली थी। उना पर्वतपर सोहननदोके। बैठ अबाध टुगमें घुसगये। राजपुरुष उत्सवसे मत्त हो __Vol III. 71