उपनिवेशित-उपनिषत् ३२३ मरिचद्दीप, सिंहल, प्रिन्स अब वेल्स हीप, सिङ्गापुर,। वेदके इस अंशमें ब्रह्मविद्या कीर्तित है। वेदके अन्य मलका, अष्ट्रेलिया और तासमानियाका कोई कोई अंशमें कर्मकाण्ड द्वारा पुण्यलाभका उपदेश है। स्थान, वानडाइमनस्लेण्ड, जिब्रालटर, मालटा और किन्तु उपनिषद् में ज्ञानकाण्डके द्वारा उसीका हेलिगोलेण्ड। भारतवर्ष अधिकांश अधिकारभुक्त। उपदेश सुनाते, जिससे नित्य अात्मतत्त्व पाते हैं। होते भी अंगरेजोंका उपनिवेश समझा नहीं जाता। शास्त्रकारोंने उपनिषद के अर्थ की इसप्रकार व्यत्यत्ति फ्रान्स्का उपनिवेश-सेण्टपायर, मिगुलन और फ्रान्सीसी लगायो है-"वेदान्तो नाम उपनिषत्प्रमाणम् ।" ( वेदान्तसार) गुयाडिलोप होपपुञ्ज, अमेरिकाका फ्रान्सीसी गिनी ___ 'उपनिच्छब्दो ब्रह्मात्मे क्यसाक्षात्कारविषयः । उपनिपूर्वकस्व क्विम्- राज्य, अफरीकाके उपकूलका सेनिगाल तथा पौरो, प्रन्ययान्तस्य तद्दल विशरणगत्यव साहनष्चित्यस्य धातोरुपनिषदिति रूप । बुबन होप, भारतवर्ष का पण्डिचेरी, करिकाल एवं तबोपशब्दः सामीप्यमा बटे तच्च सोचकाभावात् सर्वान्तरे प्रत्यगात्मनि चन्दननगर, मार्केससहोप, नव कालिदोनिया और पर्यवसति । निशब्दो निश्चयवचन: सोऽपि तत्वमेव निचिनोति तबकत्व- आलजिरीवा। . वाच्य पशब्दसामानाधिकरण्यात्। तस्मात् ब्रह्मविद्याखस'शोलिना स'सार- सारतामति सादयति विषादयति शिथिलयतीति वा परमये योरूपं प्रत्यगा- स्पेनका उपनिदेश-अमेरिकाका कूपबा, पोर्टोरिको मान' साइबति गमयतीति वा दुःखजन्मप्रवत्तादिमूलाज्ञान' सादयत्यु न्म - तथा भार्जिन होप, एशियाका फिलिपाइन होपपुञ्ज लयतीति वोपनिषत्पदवाच्या देवप्रमाणं तस्याः प्रमाणरूपाया: करणभूतः और अफरीकाका प्रेसिडिवो एवं गिनी होपपुञ्ज। सर्वशखासूत्तरभागेष तपद्यमानो ग्रन्धराशिरप्युपचारात् प्रमाणनित्य च्यते ।' मेक्सिको तथा दक्षिण-अमेरिकामें भी पहले स्पेन- ( विहन्मनोरञ्जिनीटीका) वासियांका उपनिवेश रहा, किन्तु पीछे उठ गया। उपनिषद शब्द ब्रह्मात्मके ऐक्यसाक्षात्कारका हालिण्ड का उपनिवेश-कुराशवो दोप, अमेरिकाके गुये- विषय है। उप और नि-पूर्वक बध, गति और अवसाद- नाका सध्यवर्ती युष्टेक एवं सुरिनम नामक स्थान नार्थक सद धातुके उत्तर किप् प्रत्यय लगानेसे यह और एशियाके मध्य यवहोपको राजधानी बटेविया, निष्पन्न हुआ है। उपशब्द सामीप्यका बोधक है। बरनिङ होपका कितना हो स्थान, सुमात्रा, शिलि- सोचकके अभावसे इसका अर्थ सर्वान्तर पदब्रह्मरूप बिस, तिमर और मलक्का हौपपुञ्ज। प्रत्यगात्मामें वर्तित हो जाता है। नि शब्द से निश्चय ____ डेनमार्कका उपनिवेश-वेष्ट इण्डियाक बीचका सेण्ट निकलता है। उप शब्दके समानाधिकरण्य से तत्त्व- क्रज, सेण्ट जोहन एवं सेण्ट टमास और गिनीके निश्चयरूप अर्थ प्रकाशित होता है। अतएव ब्रह्मविद्यामें उपकूलका हृष्टानबर्ग। संयुक्तचित्त न रहनेवालोंको 'संसार-सार' बुद्धिको नष्ट खिजरलेण्डका उपनिवेश-वेष्ट इण्डियाके मध्यका सेण्ट | वा शिथिल कर देनेसे इसका नाम उपनिषद पड़ा है। बार्थलम्यु दोष। अथवा इसके द्वारा परम श्रेयः स्वरूप प्रत्यगात्मा अर्थात् उपनिवेशित (स० त्रि.) उप-नि-विश-णिच्-त । परमात्मा परमेश्वर मिल और दुःखजन्मप्रवृत्ति प्रभृति लोगोंको उपनिवेशमें बसाने के लिये ले जानेवाला। मूल अन्नान मिट जाने से इसको उपनिषद् कहते हैं। उपनिवेशिन् (सं० वि०) 'लग्न, पैदायशी, लगा यही ईश्वरको सिद्धिक विषयमें प्रमाण और प्रमाण- हुआ। स्वरूप है। इसका करणभूत समस्त शाखारुप उत्तर- उपनिषत् (सं० स्त्री०) उपनिषोदति, उप-नि-सद- भागमें उतपद्यमान ग्रन्थराशि उपचारसे प्रमाण बताया क्विप अथवा सद्-णिच-क्विप् । १ समीपसदन, पासका जाता है। मकान्। २ रहस्य, रम्ज़। ३ निर्जन स्थान, सूनी "श्रव चोपनिषछब्दो ब्रह्मविदोकगोचरः। जगह। ४ धर्म। ५ दिजाति-कर्तव्य व्रत विशेष । तच्छन्दाक्यवार्थ स्व विद्यायामेव सम्भवात् ॥ ६ वेदका शिरोभाग। उपनिषटुको ऋषिमुनियोंने उपोपसर्ग: सामीप्ये तत्प्रतीचि समापाते। वेदका शिरोभाग वा वेदान्त बताया है। क्योंकि सामोपातारतम्यस्य विश्रान्तः स्वात्मनौक्षणात् ।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३२४
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