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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३६५

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उबौना-उभयानुमत उबौना (हि.वि.) उबा डालनेवाला। उभयद्यः (सं० अव्य०) १ दोनों दिनों, हरदो गुजरे उबौवा (हिं० वि०) जब उठनेवाला। रोज़। २ अतीत एवं भविष्यत् दिवस, गये-आये उन-तुदा० पर० सक० सेट। यह धातु ऋजु करने | दिन। और अधीन रखने अर्थ में व्यवहृत होता है। (ऋक् ११२११५) | उभयभागहर ( स० त्रि.) १दो कार्यमें लग सकने उनक (स' त्रि.) उज-ख ल । ऋजुतायुता, सीधा। योग्य, जो दो हिस्स लेता हो। (को०) २ऊर्ज उनित (स.नि.) ऋजु किया हुआ, सीधा बनाया| एवं अधोभागहर औषध, जो दवा दत्त और कदोनों हुआ, जो दवा दिया गया हो। लाती हो। उभइ (हिं ) उभय देखो। उभयलिङ्गिनी (सं० स्त्री०) लिङ्गिनी, एक पौदा । उभड़ना, उभरना देखो। उभववत् (सं.वि.) उभयविशिष्ट, जिसमें दोनों रहे। उभय ( स० त्रि०) उभ-अयच् । उभाददात्तो नित्यम्। उभयवादी ( स० वि०) खर तथा ताल उभय प्रका- पारा४४हित्वविशिष्ट, हर दो, दोनों। यह शब्द थित धरनेवाला । यह शब्द वाहिल प्रभृतिका हित्वबोधक होते भी केवल एकवचन और बहुवचनमें विशेषण है। आता है, हिवचन में कभी रखा नहीं जाता। उभयविद्या (सं० स्त्री०) दिगुण विद्या, टुचन्द इल्म, उभय कण्टका (स. स्त्री०) बदरहक्ष, बेरी। धार्मिक और आर्थिक विज्ञान। उभयगुण (सं० त्रि०) दोनों गुण रखनेवाला, जिसमें | उभयविध (स० वि०) दो आकार में प्रकाशित होने- हर दो सिफते रहें। वाला, जो दो सूरते रखता हो। उभयवर (स• त्रि०) दोनों कार्य सम्पादन करने | उभयविपुला (सं० स्त्रो०) छन्दोविष । वाला, जी हर दो कामोंको करता हो। उभयवेतन ( स० पु.) दूतविशेष। जा पूर्वखामो उभयचर (स. त्रि.) स्थलजलचर, दो-उनसरी, कर्ट क नियोजित हो उसके शव के निकट प्रच्छन्न जमीन और पानी दोनों जगह रहनेवाला। भावसे दासकायं चलाता और दोनोंको निकट वेतन उभयतः (सं० अव्य०) उभय-तसिल । १दोनो टिकसे. पाता, वही उभयवेतन कहलाता है। हर दो तः। २ दोनों अवस्थामें, हरदो हालत। "अज्ञातदोषैर्दोष रुटूथ्योभयवेतनः । उभयतःक्ष्य त् (संत्रि०) उभय-कोटिमत्, हर दो भे द्या: शाबीरभिवातशासनै: सामवायिकाः॥” (माघ) किनारे रखने वाला, दुधारा। उभयव्यञ्जन (सं० त्रि.) दोनों लिङ्गके चिन्ह रखने उभयतोदत् (सं० वि०) उभयदन्तश्रेणीविशिष्ट, जिसके वाला, जो हरदो जिन्सको अलामत रखता हो। दांतोंको दो कतार रहे। उभयसम्भव (सं० पु.) विकल्प, वहम । उभयतोमुख (सं.त्रि०) उभयतो मुखे यस्य। हिमुख, उभयसुगन्धगण (सलो०) सुगन्धि द्रव्य विशेष, • दो मुंह रखनेवाला। खास खुशबूदार चीजें। यह द्रव्य जलाने से भी सौरभ उभयतोहख (स. त्रि.) दोनों ओर इख स्वरयुक्ता, छोड़ते हैं। चन्दन, कपूर, कस्तो प्रभृति इसी गणमें जिसके पहले दो छोटा खर रहे। सम्मिलित हैं। उभयत्र (स० अव्य.) उभय समीपस्थाने त्र। उभया (सं० अव्य०) दोनों प्रकारसे, हरदो राह। दोनो दिक, हर दो तर्फ।। उभयात्मक (सं० त्रि.) उभय सम्बन्धीय, दोनोंके उभयत्रोदात्त (स.त्रि०) १दोनो दिक उदात्त | मुताल्लिक। . स्वरयुक्त । २दो उदात्त स्वरके मिश्रणसे निकला हुआ। उभयादत, उभयतीदत् देखो। उभयथा (सं० अव्य.) उभय-थाच । १ दोनों प्रकारसे, उभयानुमत (सं.वि.) उभयतः स्वाकत, दोनों हरदो तरह। २ दोनों अवस्थामें, हरदो हालत। तफ से माना हुआ।