पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४८०

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एकीभवत्-एकोत्तर ४३८ एकीभवत् (स० वि०) मिश्चित, जो एक बन गया हो। एकैकश्य (सं० ली.) १ एकाको स्थिति, तनहा एकीभाव (सं• पु.) एक-अभूततदभावे चि-भू- हालत। (अव्य.) २ पृथक-पृथक, एक-एक। घश् । १संयोग, मिलान। २ साधारण प्रकृति वा एकैषिकतैब (सं.ली.) तवामक तैल, एकैषिक सम्पत्ति, मामूली कु.दरत या जायदाद। । तेल। यह हिम, पित्तघ्न और वात एवं भाबढ़ाने- एकीभावी (स.वि.) स्वरोंके मेलसे सम्बन्ध रखने वाला होता है। (मदनपाल ) वाला। एकैषिका ( सं० स्त्री० ) १ वकपुष्पवृक्ष, मौस- एकोभूत (सं० वि०) एकत्र, इकट्ठा, जो मिल सिरोका पेड़। २ पाना, हरज्योरी। ३ विकृता। गया हो। इसका तेल मधुर, अति शोत, पित्तकर, वातकोपन एकीय (स त्रि०) एकस्मिन् तिष्ठतीति, एक-छ। और ने भवर्धन होता है। ( मुत्रुत) १ एकपक्ष, एकतर्फी । २ एक सम्बन्धीय, एकके मुता- एकैषी (सं० स्त्री.) पाना, हरज्योरी। लिक। ३ सहाय, साथी। एकोति (सं. स्त्री०) एकमात्र कथन, अकेला एकेक्षण (सं० पु.) एकमौक्षण यस्य, बहुव्री। लफज़। १ काक, कौवा। २ काना। ३ शुक्राचार्य । पुराणमें एकोजी-मन्द्राजस्थ तन्नोरके प्रथम महाराष्ट्र राजा । शुक्राचार्यके एक-नेत्रपर लिखा, वलिराजने जब यह शाहजीके पुत्र थे। तुका बाईके गर्भसे इनका 'शुक्राचार्यका निषेध न मान वामनदेवको विपाद जन्म हुआ। एकोजी प्रसिद्ध महाराष्ट्रवीर शिवजीके भूमि देनेका उद्योग किया, तब उन्होंने जल व्यति वैमात्रेय रहे। १६३८ को शाहजी विजयपुर रेक दान प्रसिद्ध ठहरानेके अभिप्रायसे सूक्ष्मरूपमें मुलतान्क द्वितीय सेनापति बन कर्णाटककी ओर गये जलपानका मुख रोक लिया था। किन्तु वामनदेव थे। पथमें ज्येष्ठपुत्र शम्भु जो और द्वितीय पत्नी तुका- यह चातरी समझ गये। उन्होंने जलपात्रका छिद्र बाईका साथ रहा। १८५३ ई.को चन्द्रगिरि दर्ग ढंढनेके छलमें कुशसे शुक्राचार्यका एक नेत्र फोड़ जीतने जा शम्भ जी कालके ग्रासमें पड़े। कर्णाटक डाला। जीतने पर शाहजोको बंगलूरको जागीर मिली एकेन्द्रिय (सं० पु.) १ इन्ट्रिय का मनको ओर थी। फिर वहीं उनको स्वर्गवास होनेपर तुकाबाईके निग्रह। इस अवस्थामें इन्द्रियको भली पौर यनसे एकोजी पिटपदमें अभिषिक्त किये गये। १६७४ . दोनों बातोंसे अलग रखते हैं। २ एकमात्र इन्द्रिय ई०को तत्कालीन तबारके राजाको भय देखा कौशल- यक्त जीव। जैन जलौकादि जीवों को एकेन्द्रिय मानते पूर्वक एवं विना रक्तपात इन्होंने तञ्जोरदुर्ग अपने हैं। कारण, उनके सिवा त्वक्के दूसरा इन्द्रिय हाथमें लिया और समस्त देशको अधिकार किया। नहीं रहता। तचौर शब्दमें विस्त त विवरण देखो। इनके १म शाहजी, श्य एकेश्वर (स० वि०) एकोऽद्वितीय ईश्वरः । १ प्रधान शरभोजी और ३य पुत्र तुकाजी रहे। १६८७ ई०को अधिपति, बड़ा मालिक । २ एकाकी, तनहा, अकेला। एकोजीका मृत्यु होनेसे ज्येष्ठ पुत्र शाहजी राजा एकैक (स. त्रि०) १ एकाकी, अकेला। (अव्य० ) बने थे। २ अकेले, एक-एक। एकोतरसो (हिं० वि०) एकोत्तरशत, एकसौ एक। - एककतर (सं.वि.) एकाकी, अकेला। एकोतरा (हिं. पु.) १ रुपये सैकड़ेका व्याज । एकैकवृत्ति (सं० वि०) प्रत्येक एकाको अवस्थान (वि.) २ एक दिनके अन्तरसे पानेवाला, जो एक करनेवाला, जो एक-एकमें रहता हो।' रोजके फर्क से आता हो। एकैकशः (स अव्य०) एकैक-शस् । पृथक्-पृथक , | एकोत्तर (सं. वि.) एक संख्या अधिक रखने- अलग-अलग, एक-एक। वाला, जो एकसे बढ़ता हो।