पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५३४

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ओतूर-बोहर ५३३ बिलाव। २ वनविडाल, जङ्गली बिलो। ३ प्रति किन्तु मायो नामक एक टेडको वलि देनेसे शाप छुट तन्त्र, बाना, भरनी। गया। अोद इधर-उधर काम ढूंढते घूमा करते है । प्रोतूर-बम्बई प्रान्तके पूना जिलेका एक नगर। यह प्रोदती (सं• स्त्री.) उषा, सवेरा।। अना० १८. १३/०, तथा देशा० १४.३ पू॰में प्रोदन ( स० पु०-क्ली० ) उन्द-युच् नलोपश्च । कुसुमावतीके वामतटपर अवस्थित है। जुबरसे उन्दन लोपथ । उप २०७४ । १ भक्त, भात । २ भक्ष्य, अनाज । ओतूर १० मोल उत्तरपूर्व है। बाजार बड़ा और ओदनपाको (सं० स्त्री०) प्रोदनस्य पाकइव पाको भारी है। नगरसे २ मौल पश्चिम पर्वत है। रोहो- यस्याः, बहुव्री०। १ नीलझिण्टौ। २ ओषधिविशेष । कड़, नागपुर और जुबर तीन फाटक हैं। यहां एक प्रोदना, पोदनिका देखो। टुर्ग और नदी किनारे दो मन्दिर है। भौलोंके प्रोदनाङ्कया (सं. स्त्री०) प्रोदनस्य आजा इव पाहा आक्रमणसे नगर बचानको जुबर दरवाजे के पास यस्याः, बहुव्री०। १महासमता, ककई। २ वाव्या- उक्त दुर्ग बनाया गया था। मन्दिरों में एक सुप्रसिद्ध लक, बरियारी। . तुकारामके गुरु केशवचैतन्यका और दूसरा कपर्दिकेश्वर प्रोदनाद्वा, बोदनिका देखो महादेवका है। श्रावणके अन्तिम सोमवार का ओदनिका (सं. स्त्री० ) १ महासमङ्गा, ककई। मेला लगता है। सरकार मन्दिर को कुछ साहाय्य २ वाट्यालक, बरियारी। देती है। श्रोदनी (सं० स्त्रो०) श्रोदन इव पाचरति, मोदन- पोतो (हिं. वि.) उतना। क्विप् डौष । ओदनिका देखो। ओत्ता (हिं० पु०) १ दरौ बुननेकी पटरौका पावा। ओदनीय ( स० वि०) ओदन-यत् । विभाषाविरपूपादिभ्यः । (वि.)२ उतना। पा ॥१४ मच्छ वस्तु, खाने लायक चीज़। प्रोद (सं० पु.) १ अन्न, अनाज। (हिं. पु०)। ओदम्बरी (औदम्बर) उत्तर गुजरात के ब्राह्मणों को २ भाद्रभाव, तरी, गौलापन। (वि.) ३ पाई, नम, एक शाखा ! ७०ई०को प्लिनिने ओदम्बरियोंको कच्छक गोला, जो सूरवा न हो। लोग बताया था। १५० ई०को टलेमिने इनके प्रधान श्रोद(ोड)-१ बम्बई प्रान्तके खेड़ा जिलेका एक नगर।। नगरका नाम ओरबादरी ( Orbadari) लिखा, जो यह प्रक्षा• २२. ३७०० और देशा०७३.१० पू०पर सिन्धुसे पूर्व रहा। लोग वर्तमान राधनपुरको उक्त अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः साढ़े नौ हजार है। नगर समझते हैं। २ बम्बई प्रान्तके कच्छ जिलेको नोनिया जाति। ओदर (हिं.) उदर देखो। ओदोंका काम भूमि खोदना है। यह काठियावाड़में | ओदरना (हिं. क्रि०) चटखना, फटना, बरबाद होना। भी मिलते हैं। ओद अपनेकी सगरसुत भगीरथके ओदा (हिं० वि०) प्राट्, तर, जो सूखा न हो। वंशसे उत्पन्न होनेवाले क्षत्रिय बताते हैं। रासमालाके श्रोदारना (हिं. क्रि०) तोड़ना-फोड़ना, फाड़ डालना, वर्णनानुसार सिद्धराजने मालवेसे कुछ ओदोको मट्टीमें मिलाना। सहस्रलिङ्गहद खोदने पाटन बोलाया था। किन्तु ओहर-दाक्षिणत्य की एक असभ्य जाति। पोद्दरों का दूसरा जस्मानानी एक ओदस्त्रीसे उनका प्रेम बढ़ा और | नाम बुद्धव है। यह अतिशय बलिष्ठ और मांसप्रिय होते उसको उन्होंने रानी बनाने कहा। उसने इस बातसे हैं। वराह एवं इन्दुरका मांस इन्हें बहुत अच्छा लगता असम्मत हो भागनेकी चेष्टा लगायी थी। सिहराजने | है। शारीरिक परिश्रममें ओहर अतिशय पट होते उसका पीछा किया और उसे पकड़ लेनेपर कितने हो और जो काम पाते, उसोको कर डालते हैं। किन्तु पोदोको जानसे मार दिया। जस्माने आत्महत्या कर रो जातिवाले लोगों के साथ इन्हें कोई काम करना शाप दिया था-तुम्हारे इदमें कभी जल न रहेगा। अच्छा नहीं लगता। यह स्वजातिवालोंमें मिलजुल • Vol. III. 134