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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६१४

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६१३ राजत्व करते थे। इसी वंशके जाम मरपति नामक उक्त पांच राजावों में ४ लाखा फुन्तानीका नाम जकुमार तोन भाइयोको साथ ले मिसरसे भाग हो कच्छ-प्रदेश में प्रसिद्ध है। वह ई० के १४२ यताब्द- पाये। उन्होंने उमौर नामक बन्दरमें लंगर गिराया को विद्यमान रहे। काठियावाड़के आदकोट नामक और सुराष्ट्रके प्रोशम् नामक गिरिपर अवस्थान लगाया स्थानमें लाखा फुलानीको पालिया पड़ी है। था। इसी जगह उनके ज्येष्ठधाता पशुपति मुसल १३०६ विक्रमाब्दको लाखा फुस्तानी खेड़कोटमें मान हो गये। कनिष्ठ स्वाता गजपति बहुत दिन राजत्व करते थे। उन्होंने काठीजातिको हरा काठिया- मुराष्ट्र में रहे। आज भी सुराष्ट्रके चूड़ाशम्मा-वंशीय वाड़ का कियदंश जीत लिया। कोई कहता-पादि- अपनेको गजपतिका वंशधर बताते हैं। कोटमें लाखा फुलानौका मृत्य हुआ। फिर दूसरोंके नरपति एक वीरपुरुष रहे। उन्होंने फौरोजशाहको कथनानुमार उनके जामाताने ही उन्हें मार डाला मार खम्बात अधिकार किया था। उन्होंके पुत्र था। १४०१ संवत्को फुलानीके चातुष्प त्र पुबगहानी शम्मारहे। यही शम्मावोंके आदिपुरुष हैं। शम्मान राजा बने। किन्तु अल्प दिनके राजत्व बाद यक्षके मकवानी जातिको कूलुबा नानी एक सुन्दरौसे हायसे वह मारे गये। उनकी पत्नी राजी विधवा विवाह किया था। उन्होंके गर्भसे तेजकरनने जन्म हुई। राजीने लाखा नामको कच्छदेग गेखा लिया। तेजकरनने प्रमार-रमणीका पाणिग्रहण किया भजा। लाखा नाम बिरजी के पुत्र और जाम जाडाके था। इन्हीं रमणीसे उनके जामनेत नामक एक पत्र पोष्यपुत्र थे। १४०६ संवत्को उन्हें सिंहासन मिला। उत्पन्न हुये। जामनेत बड़े वीरपुरुष रहे। किसी फिर सांधके पुत्र जाड़ा राजा हुये। उन्होंसे जाड़ेजा राठौर कन्यासे उन्होंने अपना विवाह किया, जिनके वंशको उत्पत्ति है। प्रायः १४२१ संवत्को लाखाके गर्भसे नौतियारने जन्म लिया। नौतियारके पुत्रका पुत्र रतरायधन राजा बने। उनके चार पुत्र रहे, नाम जाम उधराबद था। उधराबदके प्रपौत्र जाम जिनमें ढतीय पुत्र गजन कच्छका पश्चिमांश स्थित बारा प्रवडा रहे। इन्होंने कच्छका प्रवडासा विभाग नामक भूखण्ड शासन करते थे। स्थापन किया। इनके पुत्र जामलाखियार रहे। वह १५२५ ई०को भीमजीके पुत्र जाम हमारजीने सिन्ध प्रदेशके नगरसामई नामक स्थानमें राजत्ल करते शासनका भार उठाया। किन्तु १५३७ ई०को वह थे। लाखियारने एक शोधौ-रमणीको रूपसे मुग्ध हो जाम बारल हालके हाथों मारे गये। बारस हालको अपनी अलक्ष्मी बनाया। उनके पुत्र लाखा-घुरारा भी देश छोड़ भागना पड़ा था। उन्होंने काठियावाड़ (धोडार) रहे। लाखाके पुत्रका नाम उनड था । जा नवानगरको पत्तन बनाया। उनडके दो कनिष्ठ भ्राता रहे-मोड़ और मनाई। उक्त घटनासे पूर्व ही हमीरजीके पुत्र खंगार जम्म- शम्मा जातीय उक्त कई व्यनि सिन्धुप्रदेशमें एक-एक । भूमि छोड़ अहमदाबाद भाग गये थे। वहां महमूद नायक थे। उनडको पिताका राज्य मिला, जो शाहके साहाय्यसे १५४८ ई० (१६०५ संवत् )को उनके दोनों भाइयों को अच्छा न लगा। दोनोंने उन्होंने पिटराज्य उहार किया। भुज नगरमें उनकी मिलकर उन्हें मार डाला था। किन्तु देशके सब लोग राजधानी स्थापित हुई थी। फिर पांच राजावोंके उनसे विरक्त हुये, इससे मोड़ और मनाई कच्छ राजत्व बाद महाराव श्रीप्रागमलजो राजा बने। प्रदेशको भगे। उस समय दोनों भाइयोंके कुटम्बीय। उन्होंने राज्यलाभसे अपने माता बेरजीको मार डाला बागमचावड़ा कच्छप्रदेश में राजत्व करते थे। दोनोंने था। प्रागमलजीके दूसरे माता नागलजोने कोतारा, बागम चावड़ेको भौ यमालय पहुंचा और सात प्रकार- कोटरो, नंगर, गोदरा प्रसुति नगर बसाये। पवड़ा- के बधेलोको अपने वश में ला कच्छप्रदेश दबा लिया। सेको जाड़ेजा जातिके हलाली इन्हीं नामलजीके वंश- पांच पुरुषों के राजत्व बाद इस वंशका लोप हुआ। | धर हैं। जाजावंशीय माना शाखावों में विभक्त हैं। Vol. III. 154