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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६२२

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कछार ६२१ प्रथमतः ई०१८श शताब्दके प्रारम्भ कछारी जातिने, राधिकारी भिन्न तुलाराम सेनापतिके मरनेपर उत्तर- अपनकी इस प्रान्त में प्रतिष्ठित किया था। पारम्पर्य- कछार भी अंगरेजी राज्यमें मिलाया गया। से प्रमाणित होता, किसो समय पासाममें कछारियों १८५५ ई०को देखने में आया-चाय स्वभावत: का बड़ा प्राबल्य रहा। किन्तु इसका कोई विश्वस्त कारमें उतपन्न होती है। १८५७ ई०को चट्टग्रामसे लेख नहीं मिलता। कछारियोंका उक्त वैभव लोगों के भाग कर आये विद्राही सिपाही कछार छोड़ गये। कथनानुसार कोचोंसे पहले था। सम्भवत: उस समय १८७१-७२ ई०को लुगाई अभियान चढ़ा, जिससे कछारी राज्यमें पूर्ववङ्गका कुछ अंश भी सम्मिलित दक्षिण सोमापर पहाड़ियों का आक्रमण करना रुका। रहा। वस्तुतः कछारी राजा पहले बरेलीसे उत्तर किन्तु १८८० ई०को कोनोमासे अङ्गामा नागावोंने पार्वत्य प्रदेश में आधिपत्य करते थे। दौमापुर राज- उतर और उत्तर-कछारके चाय-बागपर आक्रमण धानी रहा। वहां गहन वनमें पके मकानों और कर २२ नौकरों के साथ युरोपीय रोपक (प्राण्टर)को तालाबोंका ध्वंसावशेष हाथ आया है। अन्तको मार डाला। इसीसे १८८०-८१ ई०को नागावों के कछारी राजा माइबोङ्गको इटे थे। माइबोङ्गमें हो विरुद्ध सामरिक अभियान बढ़ाया और उनका कुछ किसी कछारी राजाने टिपरके राजाको कन्यासे स्वतन्त्र देश भी अंगरेजी राज्यमें मिलाया गया। विवाह किया, जिसने बराकको उपत्यकाको दहेजमें १८८१ ई० के अन्त किसी पागल कछारीने घोषणा को "दिया। थी-युद्दमें दैवी शक्ति भरी और मुझे कछारी राज्यके ___ ब्राह्मण बङ्गालसे माइबोङ्ग धर्मप्रचार करने गये पुनः संस्थापनको पाना मिली है। उसने कितने थे। ई० १८श शताब्दके प्रारम्भकाल माइबोङ्गपर ही मूर्ख अपने साथी बनाये। विद्रोहियों ने उत्तर- जयन्तियाके राजा धावा मारने लगे और कछारी राजा | कछारका राज्य मांगा और गुनजोंग प्राक्रमण कर वहांसे हट काशपुरमें पा कर बसे । बराक उपत्यका तीन आदमियों को मारा था। गुनजोंग आग लगने- में पंहुचनेसे ही कछारियोंने शीघ्र शीघ्र हिन्दूधर्म | से भस्मीभूत हुपा। फिर विद्रोहियों ने माइबोङमें ग्रहण किया। पहले वह भूतप्रेत पून भरवलि चढ़ाते । डिपटी कमिशनर और सब-डिविजनल अफसरको थे। १७९. ई.को कछारी राजा अपने माता और पाक्रमण किया। पाक्रामक गोलोसे मारे गये. र माय राजवंशी क्षत्रिय बने । बाको जंगलमें जा छिपे। डिप्टी कमिशनरने ब्राह्मणोंने उन्हें एक ताम्रनिर्मित गोके भीतर रख। हाथमें तलवारकी गहरी चोट पानसे इहलोक कोड शुद्ध किया। कितने ही लोगोंके हिन्दू हो जाते भी। दिया था। पहाड़ियोंने अपना धर्म न छोड़ा। अन्तिम राजा ___कछार जिला बराक उपत्यकाके उपरि-भागमें अव- गोविन्दचन्द्र मणिपुर और ब्र के युद्ध में फंसे थे । ब्रह्मा स्थित है। तीन ओर ऊंची ऊंची पहाड़ियां खड़ी वासियों के जीतने पर गोविन्दचन्ट्रने अंगरेजी ज़िले हैं। केवल पश्चिमको सिलहटको राह खली सिलहटमें था पाश्रय लिया। है। तंग मैदानमें हरेभरे वृक्ष लगे हैं। नाले और १८२६ ई०को ब्रह्मयुद्धके समय अंगरेजी फौजने भरने अधिक नहीं। केन्द्रस्खलमें पूर्वसे पश्चिम एक उन्हें फिर सिंहासनपर बैठाया था। किन्तु कछारी बड़ी नदी बहती है। उत्तर और दक्षिण नदीको सैन्यके सेनापति तुलारामने विद्रोह उठाया और उत्तर | दोनों भोर छोटी छोटी पहाड़ियां जलके तट तक कछारमें अपनेको स्वतन्त्र राजा बनाया। १८३०ई०को लटक पाई हैं। इन्हीं पहाड़ियोंपर चायके बाग लगे गोविन्दचन्द्र मारे गये थे। उनका कोई उत्तराधिकारी हैं। निम्र भूमिमें चावल बोया जाता है। बांग न रहा। १८२०ई०को सन्धिके अनुसार फिर घंग- पौर फलके पेड़ लोगों के भोपड़े छिपाये हैं। पर्वतों में . रेखोंने कछार अधिकार किया। १८५४ ई०को उत्त- प्रधान उत्तर एवं दक्षिण कशरके बीचका बारस और Vol. III 156