पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७११

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कनफुचौ बहुदिनावधि परिवर्तन न पड़नेसे उद्यम, अध्यवसाय । ऐतिहासिक उपस्थित रहे। शिक्षा देने को विद्या एवं उत्साहशून्य हो गया और इससे अपने अधी- लयों की भांति पाठागार भी यथेष्ट थे। .. नस्थ सामन्त राजावोंके मध्य शान्तिरक्षा कर न सका। ___ई०से ५५० या ५५१ वत्सर पूर्व लु* राज्य में इसी प्रकार क्रमान्वयसे पञ्च शताब्दी बीती थीं। महात्मा कनफचौने शीतकालको जन्म लिया था। सामन्त राजावों और अधीनस्थ सरदारों में चिरविवाद इनका वंशगत. उपाधि वा नाम कङ्ग वा कन् रहा। वह मूल रहा। सर्वदा युद्ध चलनसे देशके मध्य दुःख, फिर देशके लोग इन्हें कनफचो अर्थात् दार्शनिक वा कष्ट, दुर्भिक्ष और कुशासनको धम थी। द्वितीयतः शिक्षादाता कहने लगे। बहुविवाह प्रचलित रहा। स्त्रियां अत्यन्त यवत् इनके पिताका नाम ईई। रहा। वह अपने व्यवहृत होती थौं। उनके ऊपर नानारूप निषेध समयके एक विख्यात वीर थे। • इतिहास में भी उनका विधि प्रवर्तित रहा। इसकी इयत्ता कर नहीं सकते, नाम मिलता है। उनके तुल्य साहसी और बलवान् उक्त कारणसे कितने षड़यन्त्र, गृहविवाद और राज्य || पुरुष प्रति अल्य हो रहे। ई०से ५८२ वर्ष पूर्व वह राज्य एवं वंश वैशमें युद्ध-विग्रह चलते थे। प्राचीन येईयाङ्ग नगर अवरोध कर लड़ते थे। उसी समय युरोपीयों की भांति भूत-प्रेत न मानते या किसी विपक्ष पक्षीय किसी दलने कौशलपूर्वक नगरका हार प्रकारके धर्ममत परिवर्तनपर देशके मध्य विप्लव न खोल दिया। लोग अवरोधकारियोंके नगरमें घुसते डालते भी चौना पृथिवीसे अतीत दसरे वस्तुके होने.हो हार बन्द कर देना चाहते थे। घटना भी वैसी न होनसे अज्ञात रहे। कार्यतः वैसे वस्तुपर उन्हें ही हुयो। समस्त सैन्य नगर में जाने से हुई भी घुसे विश्वास भी न था। स्वर्ग नरकादिके वानसे वह | थे। फिर ठीक उसी समय विपक्षीय फाटकका हार दूर रहे। सुतरां उनके सम्बन्ध में उन्हें किसी प्रकारको बन्द करने लगे। हेईने देखा-महाविपद है। फिर कामना वा घणा भी न थी। . उन्होंने निमेषमात्र . विलम्ब न लगा निज भुजबलसे कनफचौके जन्म-समय चीनराज्यमें चाउ या चु वंश विराट कपाटको खींचकर पकड़ लिया और स्वपक्षी- सम्राट पदपर अधिष्ठित रहा। जिस समयसे चीन | योंको नगरसे निकलने का आदेश दिया। राज्यका इतिहास मिलता, उसमें यह राजवंश हो माताका नाम इचेल-सिङ्ग साई रहा। वृतोय पड़ता है। उस समय इस वंशको उन्नति उन्होंने चीनदेशक 'इयेन' नामक प्राचीन महद्द शमें अपनी पराकाष्ठापर पहुंच गयी थी। शासनका दण्ड जन्म लिया था। हईने ७० वत्सरके वयःक्रमपर दृढ़भावसे इसी वंशक हस्त न्यस्त रहा। पांच श्रेणीके उनसे विवाह किया। इसीसे लोगोंने सोचा था- सामन्त-सरदार थे। वह सभी सम्राट को कर और अब इनके सन्तानादि न होगा। अवशेषको महात्मा सैन्य द्वारा साहाय्य पहुंचाते रहे। अध्यवसायसम्पन्न, उत्साही और चमतावान् | • यह लु राज्य वर्तमान शानटङ्ग प्रदेशके अन्तर्गत है। यहां सम्राट न रहने से राज्यमें खभावतः विशृङ्खला कयाफ नामक नगरमें कनफुचोने जन्मग्रहण किया था। इसी समय पड़ जाती है। उस समय चीनको भी ऐसी युरोपमें भी पण्डितप्रवर पियागोरासने खोय विद्याबुद्धि फेला प्रभूत यश हो दशा रहो। साधारणतः शासनक्रिया दुर्बल | पाया। कनफुचीने बहुत सामान्य देश, जम्म लिया न था। पहले कहा पड़ी और प्रत्येक विभागमें अल्प अस्प विशृङ्खला 'जा चुका-इनके जन्मकाल चीनदेशमें चाउ वा चु नामक कृतीय राजवंश बढ़ी थी। राजत्व पर अधिष्ठित था। च वंशसे पूर्व “सान" नामक 'हितीय राजवंश राजत्व करते रहा। इसौ सानवेशक सप्तविंशति सबाट तीय नामक किन्तु ऐसे मन्द समय भी चीनदेशमै साहित्य एवं राजाके विख्यात कुलौनवंशमैं कनफुचौका जन्म हुआ। शिल्पचर्चाको सम्यक् उबति होती थी। सम्राट्स | + कोई कोई इनके पिताका नाम शालिगोना है। बताता है। वह लेकर सामान्य सामन्तको सभा. पर्यन्त गायक और जीवहशाम शह राज्य के किसी प्रधान कर पर नियुक्त थे।