पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/२०२

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[सू॰—इन संबंधसूचकों का विशेष विचार इसी अध्याय के अंत में किया जायगा।]

२३५—"परे। और "रहित" के पहले "से" आता है। "पहले," "पीछे," "आगे" और "बाहर" के साथ "से" विकल्प से लाया जाता है। जैसे, समय से (वा समय के) पहले, सेना के (वा सेना से) पीछे, जाति से (वा जाति के) बाहर, इत्यादि।

२३६—"मारे," "बिना" और "सिवा" कभी कभी संज्ञा के पहले आते हैं, जैसे, मारे भूख के, सिवा पत्तों के, बिना हवा के, इत्यादि। "बिना," "अनुसार," और "पीछे" बहुधा भूत-कालिक कृदंत के विकृत रूप के आगे (बिना विभक्ति के) आते हैं, जैसे, "ब्राह्मण का ऋण दिये बिना।" (सत्य॰)। "नीचे लिखे अनुसार"। "रोशनी हुए पीछे।" (परो॰)।

[सू॰—संबंधसूचक को संज्ञा के पहले लिखना उर्दू रचना की रीति है जिसका अनुकरण कोई कोई उर्दू प्रेमी करते हैं, जैसे, यह काम साथ होशियारी के करो। हिंदी में यह रचना कम होती है।]

२३७—"योग्य" (लायक) और "बमूजिब" (अप॰—मूजब) बहुधा क्रियार्थक संज्ञा के विकृत रूप के साथ आते हैं, जैसे, "जो पदार्थ देखने योग्य है।" (शकु॰)। "याद रखने लायक" (सर॰)। "लिखने बमूजिब।" (इति॰)। "कहने मूजब।" (परी॰)।

[सू॰—'इस,' 'उस,' 'जिस' और 'किस' के साथ "लिए" का प्रयोग संज्ञा के समान होता है। जैसे, इसलिए, किसलिए, इत्यादि। ये संयुक्त शब्द बहुधा क्रियाविशेषण वा समुच्चयबोधक के समान आते हैं। ऐसा ही प्रयोग उर्दू "वास्ते" का होता है।]

२३८—अर्थ के अनुमार संबंधसूचकों का वर्गीकरण करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इससे कोई व्याकरण-संबंधी नियम सिद्ध नहीं होता। यहाँ केवल स्मरण की सहायता के लिये इनका वर्गीकरण दिया जाता है—