पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४६५

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तुनुकना २१०६ तुमहिये बडे पादमी को निकटता या ऊंचा पद पाकर घमड के कारण के प्रथवा किसी निमत्रित व्यक्ति के साथ किसी के यहाँ जाय । भारमी न रहे। तुनुकदिल % बहुत छोटे दिल का । मनुदार । २ माधित व्यक्ति । वह जो किसी के सहारे हो [को०। तनुकना-क्रि० म० [हिं० ] दे० 'तिनकना'। उ०-पंकुर ने तबफ@--सका स्त्री० [हिं० ] दे० तुपक' । उ०-दल समूह तजि तुनुरुकर कहा ।-रत्यलम्, पृ० १९५1 चल्लिये तुबा पही तुर तप-पृ० रा०, २२६।। तुनुकमिजाज-वि० [फा० तुनुकमिजाज ] चिड़षिष्ठा। शीघ्र कोष तुभना-किप० [सं० स्तुम, स्तोमन (= स्तब्ध रहना, ठक रहना)] में पानेवाला। छोटी छोटी बाठो पर पप्रसन्न होनेवाला। स्तब्ध रहना । ठक रह जाना । प्रपल रह जाना 1 २०- उ०-पिछन गुपो की खुशामद ने हमें इतना पमिमाची पोर टरति न टारे यह छपि मन में धुमी। स्पाम सघन पीताबर तुनुकमिजाज बना दिया है।-गोदान, पृ० १५ । दामिनि, अस्थिया चातक ह पाय तुभी।-सुर (शब्द॰) । तुनुकमिजाजी-संकली. [फा. तुनुकमिजाजी ] छोटो बातो पर तुम-सर्व० [सं० त्वम्] 'तू' शब्द का बहुवचन । वह सवंम जिसका टीव्र पप्रसन्न होने का भाव । चिड़चिडापन । व्यवहार उस पुरुष के लिये होता है जिससे कुछ कहा जाता तुनुकसत्र-वि० [ फा• तुनु+. सब ] पातुर। खरावान् । है । जैसे,--तुम यहाँ से चले जापो। बेसन । जल्दबाज [को! विशेष-सबध कारक को छोड़ शेष सब कारकों की विभक्तियों तुनुकहवास-वि० [फा. तुमुक+प. हवास ] तोष्णवुद्धि [को०)। फे साथ शब्द का यही रूप बना रहता है, जैसे, तुमने, तुमको, तुल्ल-सक यु० [सं०] । तुन का पेर। २. फटे हुए कपड़े का तुमसे, तुममे, तुमपर । संवध कारक में 'तुम्हारा होता है। टुकड़ा। शिष्टता विचार से एकवरन के लिये भी बहुवचन 'तुम' का तुम-वि०१ कटा या फटा हुपा । छिन्न । २ पीडित (को०)। ३ ही व्यवहार होता है । 'तू' का प्रयोग बहुत छोटों या बच्चों के पुमा हुमा (को०)। माइत । घायल (को०)। लिये ही होता है। तुलवाय-सका पुं० [सं०]कपा सीनेवाला । दरजी। मुहा०—तुम जानो तुम्हारा काम जाने पर जिम्मेदारी तुम्हारी है। मन में जो भाए सो करो।उ.-और तरफ इस वक्त तुल्नसेवनी-सश ० [सं०] जहि । वह जो घाव को सोने का ध्यान न घटामो । मागे तुम जानो तुम्हारा काम जाने!- काम करता हो [को०] । सैर०, पृ० २८ । तुपक-सका मी• [तु० तोप फा पापा. रूप] १. छोटी तोप । उ०- तुमदिया -सवा बी० [हिं०] दे० 'तुमरी'। 3.--हरी बेल की तुपक तोप जरवार करारे। भरि भरि मास गप गुजारे।- कोरी तुमडिया सप तीरथ कर पाई। जगताय दरसन हम्मोर०, पृ. ३01२ बटुक । कडावीन । करके, अपहुं न गई करवाई। वीर , भा० १, पृ०४६। क्रि० प्र०-चलना । सुटना । तुमड़ो-सभा सी [सं० तुम्बर+हि. ई (प्रत्य॰)] 1 कदुए गोल तुफंग-सहा तुतोप, हि. तुपक, पयवा फा० तुझग ] १. कद्द का सूखा फल । गोल घीए का सूखा फच । २ सूखे गोष रक । तुपक । हवाई वा १०-कोदर घर करकटि कद्द को खोखला करके बनाया हुपा पात्र जिसमें प्राय साधु निपप । इफ यह मुमुही ले तुफग |---सुवान०, पृ० ३०१२ पावी पीते हैं। ३. सूखे कह का बना हपा एक बाषा को मुह वह लबी नली जिसमें मिट्टी या पाटेको गोषियो. छोटे तीर से फेंककर बजाया जाता है। महुवर। मादि डालकर फूक जोर से पलाए जाते हैं। विशेष-यह बाजा कद्दू के खोखले पेट में नरकट की दो यो०-तुफा प्रदाज = बदहची। निशानेबाज तुफगची- (१) नलिया घुसाकर बनाया जाता है। सपेरे इसे प्रायः घजाते हैं। बदूक पलानेवाला1 (२) दूक रखनेवाला । (३) निशानची। तुफतहपुर कारतूसी चंदूक । तुफगे दहनपुर - टोपीदार तुमकना-क्रि० प्र० [पनु० ] दिखाई देना। प्रकट होना । उ.- दूरु। तुफगे सीजनीकारतसी बंदूक जिसमें घोटा एक झोका वायु से ले, सिर हिलाकर तुमक जाना- नहीं होता। हिमकि०, पृ०६४। तुफ-व्य० [फा० तुफ़ ] धिक्कार । पिक [को॰] । तुमतड़ाक-सहा स्त्री [हिं०] दे० 'तुमसाक'। तुफक-सबा मो. फा. तफ वर्क । तुफंग । तुपक । तुमतराक-सया पु० [फा० तुमतराक] ! वैभव । शानशौकत । २ तुफान:-सहा . [ हि० धूमधाम । तहकभड़क । महकार । धमह [को०] । दे० 'तूफान' । तुफाना-वि० [हिं. 'तुफानी'। उ.-सासू दुरी घर ननद तुमरा-सवं० [हिं०] [खीतुमरी दे. 'तुम्हारा। नुफानो देखि सुदाग हमार परे ।-पलटू०, भा०३, पृ०७६। तुमरी-पका बी० [हिं० तुमडी] दे० 'तुमही'। तुफैल--सा ० [ मसल द्वारा । कारण। परिया। तुमरू-सघा पुं० [सं० तुम्घुक] दे॰ 'तुबु' । ___यो०--तुफैन से = के द्वारा।-की कृपा से। तुमल -सा पुं० [हिं०] दे० 'तुमुल'। तुफजी-सक्षा पु०० तली १ वा व्यक्ति जो विना निमत्रण तुमहिया--सर्व० [हि. तुम तुम ही। तुम्ही। उ०-रीझि