पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/५७७

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योनियंत्र २८६८ यौवत वे पूजन के समय उँगलियों से प्रायः योनि का सा आकार यौक्तिक-वि० [सं. जो युक्ति के अनुसार ठीक हो।युक्ति-युक्त। बनाते हैं। ठीक। योनियंत्र--संज्ञा पुं० [सं.] कामाक्षा, गया आदि कुछ विशिष्ट संज्ञा पुं० विनोद या कीड़ा का साथी । नर्म-सखा । तीर्थ स्थानों में बना हुआ एक प्रकार का बहुत ही संकीर्ण योगंधर-संज्ञा पुं० [सं० ] अस्त्रों के निष्फल करने का एक प्रकार मार्ग, जिसके विषय में यह प्रसिद्ध है कि जो इस मार्ग का अस्त्र। से होकर निकल जाता है, उसका मोक्ष हो जाता है। यौगंधरायण-संज्ञा पुं० [सं०] (१) वह जो युगंधर के गोत्र में योनिवेश-संज्ञा पुं० [सं०] महाभारत के अनुसार एक देश उत्पन्न हुआ हो । (२) राजा उदयन के एक मंत्री का प्राचीन नाम जिसमें क्षत्रियों का निवास था। का नाम । योनिशूल-संज्ञा पुं० [सं० ] योनि का एक रोग जिसमें बहुत योग-संज्ञा पुं० [ सं . ] वह जो योग दर्शन के मत के अनुसार पीदा होती है। चलता हो। योनिशुलनी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] शतपुष्पा । योगक-वि० सं०] योग संबंधी । योग का। योनिसंकर-संज्ञा पुं० [सं० ] वह जिसके पिना और माता यौगिक-संज्ञा पु० [सं० J(1) मिला हुआ। (२) प्रकृति और दोनों भिन्न भिन्न जातियों के हो । वर्ण-संकर । प्रलय से बना हुआ शब्द । (३) दो शब्दों मे मिलकर बना योनिसंकोचन-संज्ञा पुं० [10] (१) योनि को फैलाने और हुआ शब्द । (४) अट्ठाइस मात्राओं के छंदों की संज्ञा । सिकोड़ने की क्रिया । (२) योनि के मुव को सिकोड़ने योजनिक-वि० [सं०] जो एक योजन तक जाता हो । एक वा तंग करने की औषध। योजन तक जानेवाला। विशेष-यह क्रिया अथवा इसका उपाय प्रायः संभोग-सुख यौनक, यौतुक-संशा पुं० [सं० } (१) वह धन आदि जो के लिए किया जाता है। विवाह के समय पर और कन्या को मिलता हो। दाइजा। योनिसंभव-संज्ञा पु० [सं०] वह जो योनि से उत्पन्न हुआ जहेज । दहेज। हो। योनिज। विशेष-ऐसे धन पर सदा बधू काही अधिकार रहता है, योनिसंवरण-संज्ञा पु० [सं० । गर्भवती स्त्रियों का एक प्रकार घर के और लोगों का उस पर कोई अधिकार नहीं होता। का रोग, जिसमें योनि का मार्ग सिकुड़ जाता है, गर्भाशय यह स्त्री-धन माना जाता है। का द्वार रुक जाता है और गर्भ का मुंह बंद हो जाने ये (२) अन्न-प्राशन आदि संस्कारों के समय उन्मको मिलने- साँस रुककर बरचा मर जाता है। इस रोग में गर्भिणी के वाला धन, जिसका संस्कार होता हो। भी मर जाने की आशंका रहती है। यौथिक-वि० [सं०] (१) यूथ संबंधी । समूह का । (२) जो योन्यर्श-संशा पुं० [सं० योन्यशेम ] योनि का एक रोग जिसमें यूथ में रहता हो । झुंड बांधकर रहनेवाला । उसके अंदर गाँठ सी हो जाती है। योनिकंद। यौध-संज्ञा पुं० [सं०] योद्धा । सिपाही । यांम-संशा पु0 190 ] (9) दिन । रोज़ । (२) तिथि । तारीख । यौधेय-संज्ञा पुं० [सं०] (१) योन्द्रा । (२) प्राचीन देश का यारोप-संज्ञा पुं० दे० "युरोर"। नाम । (३) प्राचीन काल की एक योद्धा जाति जो उत्तर- योगपियन-संज्ञा पुं० दे० "युरोपियन"। पश्चिम भारत में रहती थी और जिसका उल्लेख पाणिनि योषणा-संज्ञा स्त्री० [सं०] वह स्त्री जो मती और पतिबना न ने किया है। यौद्ध काल में इस जाति का बहुत जोर और हो। दुश्चरित्रा स्त्री। आदर था । इस जाति के राजाओं के अनेक सिक्के भी योपा-संज्ञा स्त्री० [सं० प नारी । स्त्री । औरत । पाए गए हैं। पुराणानुसार यह जाति युधिष्ठिर के वंशजों योपित्-संज्ञा स्त्री० [सं०] नारी। श्री। औरत । से उत्पन्न हुई थी (५) युधिष्ठिर का पुत्र जो राजा शैव्य योपिप्रिया-संज्ञा स्त्री० [सं० ] हलदी। का दौहित्र था। याँt-अन्य दे. “यों" । उ.-पहिरत ही गोरे गरे यो दौरी यौन-वि० [सं०] योनि संबंधी। यानि का। दुति लाल । मनौ परमि पुलकित भई मौलसिरी की संज्ञा पुं॰ उसरापथ की एक प्राचीन जाति का नाम माल। बिहारी। जिसका उल्लेख महाभारत में है। कदाचित् ये लोग ययन यौन-मर्व० [हिं० यह ] यह। उ०—ऐसी एक आप कहि जाति के थे। राजा सौ यौ बात कही, लेके जावी बाग स्वामी नेक देखीं यौवत-संज्ञा पुं० [सं०] (1) खियों का समूह । (२) लास्य नृत्य प्रीति को।-प्रियादास । का दूसरा भेद । वह नृत्य जिसमें बहुत सी नटियाँ मिल योक्ताश्व-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का माम । कर नाचती हों।