पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/११५

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सत्यसर ४९३३ सत्यसध--सज्ञा पुं० १ रामचद्र का एक नाम । २ भरत का एक विशेष-इसके बीच मे गोभी के पौधे की तरह एक काड ऊपर को नाम । ३ जनमेजय का एक नाम । ४ स्कद का एक अनुचर । गया होता हे और चारो ओर नीलापन लिए हरे कटावदार ५ घृतराष्ट्र का एक पुत्र । पत्ते निकलते है जिनपर चारो ओर विषैले काँटे होते है। इस सत्यसध-वि० [स० सत्य + मन्धान] जिसका निशाना अचूक हो। पौधे को काटने या दवाने से एक प्रकार का पीला दूध या रस जिसका लक्ष्य न चुके । उ०--मत्यसघ प्रभ वध करि येही। निकलता है। इसका फूल पीला, कटोरे के आकार का और आनहु चर्म कहनि वैदेही ।-मानम, ३।२१ । देखने में सु दर पर गवहीन होता है। फूल झड जाने पर सत्यसधा--सज्ञा ली० [स० सत्यसन्धा] द्रौपदी का एक नाम । गुच्छो मे फल या बीजकोश लगते है जिनमे राई के से काले काले बीज भरे रहते हैं। इन बीजो से एक प्रकार का सत्यसभव-सहा पु० म० सत्यमम्भव वचन । वादा । प्रतिज्ञा [को०] । बहुत तीक्ष्ण तेल निकलता है जो खुजली पर लगाया जाता सत्यमहित-वि० [म.] वचन का पक्का । जिसका कथन सत्य हे। वैद्यक मे सत्यानासी कडवी, दस्तावर, शीतल तथा कृमि हो [को०] । रोग, खुजली और विष को दूर करनेवाली मानी गई है। सत्यमाक्षी-सधा पु० [स० सत्यसाक्षिन्। प्रत्यक्षदर्शी या विश्वस्त सत्यानुरक्त-वि० [स०] सत्य का प्रेमी । सचाई का भक्त [को०] । गवाह को०)। सत्यानृत'--मज्ञा पुं० [स०] १ सच और झूठ का मेल । सच और झूठ । सत्याग--वि० [स० सत्याग] जिसके सभी अग सत्य के बने हो [को०) । २ वाणिज्य । व्यापार । दूकानदारी। ३ वह जो देखने मे सत्या-मज्ञा स्त्री० [स०] १ सच्चाई। सत्यता । २ दुर्गा का एक सत्य हो किंतु वास्तव मे झूठ हो । नाम । ३ सीता का एक नाम । ४ व्याम की माता सत्यवती। सत्यापन- सच्चा पुं० [म०] १ असनियत की जॉच । सत्य होने का ५ द्रौपदी का एक नाम (को०)। ६ कृष्ण की पत्नी सत्यभामा निश्चय । २ सत्य का पालन अथवा सत्य कथन (को०). (को०) । ७ विष्णु की माता (को०)। ३ सौदे के दर का निर्धारण या निश्चयन (को॰) । सत्याकृति-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ पेशगी रकम। अग्रिम धन । २ सत्यापना-सबा स्त्री॰ [स०] १ किसी सौदे या इकरार का पूरा (इकरारनामा या मसौदे मे) दर निर्धारण (को०] । होना । २ दे० 'सत्यापन' (को०)। सत्याग्नि-मशा पुं० [सं०] अगस्त्य मुनि । सत्याभिधान-वि० [स०] सच बोलनेवाला [को०] । सत्याग्रह - सज्ञा पुं० [म० सत्य + आग्रह] [वि० सत्याग्रही] सत्य के लिये आग्रह या हठ। सत्य या न्याय पक्ष पर प्रतिज्ञापूर्वक सत्याभिसव-वि० [स० सत्याभिसन्ध] वादे का पक्का । जो अपना अडना और उसकी सिद्धि के उद्योग मे मार्ग मे आनेवाली वचन पूरा करे (को०] । कठिनाइयो और कण्टो को धीरतापूर्वक महना और किसी प्रकार सत्यालापी--वि० [स० मत्यालापिन्] दे० 'सत्याभिधान' [को॰] । का उपद्रव या बल प्रयोग न करना। सत्याश्रम- सञ्चा पु० [स०] ससारत्याग । सन्यास [को०] । क्रि० प्र०—करना ।—होना । सत्यापाढी-सच्चा स्त्री० [स० सत्यापाढी] कृष्ण यजुर्वेद की एक शाखा सत्याग्रही-वि० [स० सत्याग्रहिन्] सत्य या न्याय के लिये प्राग्रह का नाम । करनेवाला । सत्याग्रह का सहारा लेनेवाला। सत्येतर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] जो सत्य से पृथक् या भि न हो। जो मत्य सत्यात्मक-वि० [स०] वह जिसका तत्त्व सत्य हो । न हो । असत्य (को० । सत्यात्मज-सना पु० [स०] १ मत्या या सत्यभामा का पुन । २ सत्योत्कर्प-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ सचाई मे श्रेष्ठता या प्रमुखता । २. सत्य का पुन (को॰] । सच्ची श्रेष्ठता [को०] । सत्यात्मा-वि० [सं० सत्यात्मन्] १ मत्यपरायण। सत्याचरण करने- सत्योत्तर--सज्ञा पु० [सं०] १ सत्य बात का स्वीकार । २ अपराध वाला। २ सत्यवादी [को०] । प्रादि का स्वीकार । इकवाल । (स्मृति) । सत्यानद-सधा पुं० [स० मत्यानन्द] वास्तविक पानद [को०] । सत्योद्य-वि० [स०] सच बोलनेवाला । सच्चा (को॰) । सत्यानास-पडा पुं० {म० सत्ता + नाग] मर्वनाश । मटियामेट। सत्योपपावन-सज्ञा पु० [स०] शरदडा नदी के पश्चिम तट पर स्थित ध्वस । बरबादी। एक पवित्र फलप्रद वृक्ष । (पुराण) । सत्यानासी'-वि० [हि० सत्यानाम + ई (प्रत्य॰)] [वि॰ स्त्री० सत्या सत्रग-सञ्ज्ञा पु० [स० सबटग] एक प्रकार का पौधा । नासिन] १ सत्यानाम करनेवाला। चौपट करनेवाला । २ सत्र-सचा पु० [स० सत्त्र] १ यज्ञ, हवन दान प्रादि । २ एक प्रभागा । बदकिस्मत । सोमयाग जो १३ या १०० दिनो मे परा होता था। ३ परि- सत्यानासी-मचा स्त्री० एक कँटीला पौधा जो प्राय खंडहरो और वेषण । गोपन । ४ वह स्थान जहाँ मनुष्य छिप सकता हो । उजाड़ स्थानो पर जमता है। घमोई। भडभाड । स्वर्णक्षीरी। ५ कोठरी । घर। मकान । ६ धोखा । भ्राति । ७ धन । ५ पीतपुप्पा। तालाब । ६ जगल । १० वह स्थान जहाँ असहायो को भोजन हिं० श९ १०-१३