पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/११७

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- . सत्वलक्षण सद सत्वलक्षण-सज्ञा पु० [म० सत्त्वलक्षण] गर्भद्योतक चिह्न या सत्समागम-पला पुं० [२०] भले आदमियो का ससर्ग । लक्षण [को०] । सत्सहाय'--'व० [स०] जिसके मित्र या सहायक सत्पुरुप हो । सत्वलक्षएा--वि० स्त्री॰ [म० सत्त्वलक्षणा] जिसमे गर्भ के लक्षण हो । सत्सहाय--पज्ञा पु० सन्मिन्न । अच्छा दोस्त (को०] । गर्भवती । हामिला। सत्सार-पशा पु० (स०] १ चित्रकार। चितेरा। २. कवि । ३ सत्ववतो'-वि० [स० सत्त्ववती] १. गर्भवती । २ सत्वगुणवाली । एक प्रकार का पौधा । सत्ववतो-सशा मी० एक तात्रिक देवी। (बौद्ध)। सत्सार-वि० जिसका रस अच्छा हो । अच्छे रमवाला (को०] । सत्ववान्-वि० [स० मत्त्ववत्] [श्री० सत्त्ववती] १ प्राणयुक्त । सथर पु-सज्ञा स्त्री॰ [सं० स्थल] 'पृथ्वी । भूमि । २ दृढतायुक्त । दृढ । ३ धीर । साहसी । सथरो-पक्षा स्त्री० [हिं० साथरी] दे० 'साथरी' । सत्वविप्लव--सज्ञा पुं० [स० सत्त्वविप्लव चेतना का अभाव । अचे- सथिया-सञ्ज्ञा पु० [स० स्वस्तिक, प्रा. सत्यिय] १ एक प्रकार का तनता [को॰] । मगलसूचक या सिद्धिदायक चिह्न जो कलश, दीवार आदि पर सत्वविहित-वि० [सं० सत्त्वविहित] १ प्राकृतिक । २ सत्वगुण बनाते है और जो समकोण पर काटती हुई दो रेखानो के रूप युक्त । पुण्यात्मा । धार्मिक (को०] । मे होता है--卐। स्वस्तिक चिह्न । उ-द्वार बुहारत'अष्ट सत्वशाली-वि० [स० सत्त्वशालिन्] [वि० सी० सत्त्वशालिनी ] दृढता सिद्धि। कौरेन सथिया चीतत नवनिधि ।—सूर (शब्द॰) । युक्त । साहसी । धीर । दमवाला। २ देवता आदि के पदतल का एक चिह्न। ३. फोडे आदि की सत्वशील-वि० [स० सत्त्वशील] सात्विक प्रकृति का । अच्छी प्रकृति चीरफाड करनेवाला । जहि । का । सदाचारी | धर्मात्मा। सथूत्कार-वि० [स०] (व्यक्ति) बोलते समय जिसके मुख से थूक के सत्वसपन्न-वि० [स० सत्त्वसम्पन्न] १ सतोगुण से युक्त । २ धीरता छोटे उडे (को॰] । युक्त । शातचित्त । सथूरकार-सञ्चा पु० वातचीत करते समय मुह से थूक के छोटे सत्वसप्लव-सज्ञा पुं० [स० सत्त्वसम्प्लव १ बल या सामर्थ की निकलना कोना हानि । २ प्रलय । विश्व का नाश । सदजन-सञ्ज्ञा पुं० [सं० सदञ्जन] पीतल से निकलनेवाला एक प्रकार सत्वसार-सज्ञा पुं० [स० सत्त्वसार] १ शक्ति का मूल या सार । का अजन। २ अत्यत शक्तिशाली पुरुप [को०। सदभ--वि० [स० सदम्भ] १. दभयुक्त । घमडी। गर्वीला । २ सत् सत्वस्थ'--वि० [सं० सत्त्वस्थ] अपनी प्रकृति मे स्थित । २ दृढ । अर्थात् स्वच्छ जल से युक्त [को०] । अविचलित । धीर । ३. सशक्त । ४. प्राणयुक्त । ५ सत्त्वगुण से युक्त (को०) । ६ उत्तम । श्रेष्ठ (को०)। सदंश-मचा पु० [म०] १ कर्कट । केकडा । २ वह जिसका दश तीक्ष्ण हो (को०। सत्वस्थ'--सञ्ज्ञा पुं० योगी को०] । सदशक-मचा पु० [स०] केकडा । सत्वात्मा'-वि० [स० सत्त्वात्मन्] जिसमे सत्व गुण हो (को०) । सदशवदन-पञ्चा पु० [स०] एक प्रकार का वगला [को०] । सत्वात्मा-सञ्ज्ञा पु० लिंग शरीर (को०] । सद्-पञ्चा श्री० [स०] गोष्ठी । सभा । जमावडा (को०] । सत्वाधिक-वि० [स० सत्त्वाधिक] १ भला । जिसका स्वभाव अच्छा हो । २ हिम्मती । साहसवाला को०] । सद'-अव्य० [सं० सद्य तत्क्षण । तुरत । तत्काल । सत्वोद्रेक-सञ्ज्ञा पुं० [स० सत्त्वोद्रेक] १ उत्तम प्रकृति की अधिकता सद-वि० १ ताजा । उ०--सद माखन साटी दही धरयो रहे मन या उमग । २ साहस । उमग । उत्साह । मद । खाइ न विन गोपाल को दुखित जसोदा नद ।-पृ० रा०, २१५५७ । २ नया । नवीन । हाल का। सत्सग-सज्ञा पु० [स० सत्सङग] साधुअो या सज्जनो के साथ उठना बैठना । अच्छा साथ । भली सगत । अच्छी सोहबत । सद-पञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० सत्त्व प्रकृति । अादत । टेव । उ०--सदन सत्सगति-सञ्ज्ञा पी० [स० सत्सङ्गति] २० 'सत्सग' । उ०-सत्संगति सदन के फिरन की सद न छुट हरि राय । रुचै तितै विहरत महिमा नहिं गोई । —तुलसी (शब्द॰) । फिरौ, कत विहरत उर आय।-विहारी (शब्द०)। सत्सगी-वि० [स० सत्सडिगन्] [वि॰ स्त्री० सत्सगिनी] १ सत्संग सद"-सञ्ज्ञा पुं० [स० सदस्] १ सभा। समिति । मडली। २ एक करनेवाला। अच्छी सोहबत मे रहनेवाला । २ मेल जोल छोटा मडप जो यज्ञशाला में प्राचीन वश के पूर्व बनाया रखनेवाला । लोगो के साथ बातचीत आदि का व्यवहार रखने- जाता था। वाला । जैसे,—वे बडे सत्सगी आदमी हैं। सद-सहा पु० [अ० सदा (= आवाज)] गडरियो का एक प्रकार सत्ससर्ग-सहा पुं० [स०] भलेमानुसो का सग । सत्सग (को०] । का गीत । (पजाव)। सत्सन्निधान-मक्षा पुं० [सं०] सत्सग (को०] । सद-वि० [फा०] शत । सी (को०] ।