पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१२२

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खबर। ४६४० सधर्म, सधर्मक सद्य पाक' शोथ या मूजन करनेवाला । मद्य शीच = तुरत की हुई यौ---सद्वशजात = सत्कुलोत्पन्न । खानदानी । शुद्धि या शुचिता। सद्य थाद्धी = जिसने अभी अभी श्राद्ध कर्म सद्वतो-मचा छी० [म० | पुलस्त्य की कन्या और अग्नि को स्त्री । किया हो । सद्य स्नात = जिमने अमी अभी स्नान किया सद्वत्सल-वि० [८० म.पुरुपो के प्रति कृपालु या अनुग्रहयुक्त (को०)। हो । सद्य स्नेहन = शीघ्रस्नेह युक्त या स्निग्ध करना । सद्वसथ-पज्ञा पुं० [स० गाँव । प्राम (को०) । सद्य पाक'-वि० [स०] जिसका फल तुरत मिले। जिसके परिणाम मे सद्वस्तु-मज्ञा पुं० [स०] १ वस्तु या कथानक जो मत् एवम् रोचक विलव न हो। हो । २ सत्कार्य । अच्छा काम । ३ मत् पदार्य या वस्तु (को०] । सद्यापाक-सञ्ज्ञा पु० रात के चौथे पहर का स्वप्न (जो लोगो के सद्वाजी-मक्षा पुं० [स० सदाजिन्] शुभ लक्षणोवाला अश्व जो विश्वास के अनुमार ठीक घटा करता है)। मवारी के लिये उत्तम हो 'को०] । सद्य प्रसूत-वि० [स०] तुरत का उत्पन्न । सद्वादिता-सज्ञा स्त्री० [म०] दे० 'मद्वादित्व' (को०] । सद्य प्रसूता--वि० सी० [स०] जिसे अभी बच्चा हुअा हो। सद्वादित्व -सज्ञा पुं० [सं०] मद्वादी होने का भाव । सद्य शोथा-सच्चा नी० [स०] कपिकच्छ । केवाच । सद्वादी--वि० [स० सहादिन्] [वि॰ स्त्री० मद्वादिनी] सच बोलने- विशेप-केवाँच छू जाने में तुरत खुजली और सूजन होती है । वाला । सत्यवादी को०] । सद्यश्च्छिन्न-वि० [स०] जो तुरत काटा गया हो। अभी अभी काट- सद्वार्ता -सज्ञा स्त्री० [स०] १ सुममाचार । शुभ सूचना। अच्छी कर छिन्न किया हुआ। २ वार्तालाप जो शोभन हो । अच्छी बात। मली सद्यस्क, सद्यस्तन-वि० [म०] १ नवीन । ताजा। टटका। २ वात (को॰] । उसी समय का ।को। सद्वि गहित-वि० [म०] जो सज्जनो द्वारा विहित हो। सत्पुरपो सद्युक्ति-सज्ञा स्त्री० [स०] अच्छी युक्ति या तरकीव । भला तरीका । द्वारा निंदित (को०] । भली युक्ति [को०] । सद्विद्य-वि० [म.] पूर्ण शिक्षाप्राप्न । जिसने अच्छी और पूरी शिक्षा सद्योजात' - वि० [स०] [वि॰ स्त्री० सद्योजाता] तुरत का उत्पन्न । प्राप्त की हो [को०] 1 सद्योजात-सज्ञा पुं० १ शिव का एक स्वरूप या मूर्ति । २ तुरत का सवृत्त'-वि० [स०] १ सदाचारी । शिष्ट । २ सु दर वर्तुलाकार । उत्पन्न बछडा। सुदर घेरेदार। जिसका घेरा सुदर और वर्तुल हो । जमे,- सद्योबल-वि० [स०] शीघ्र शक्ति देनेवाला । स्तनमडल का। यो०-सद्योबलकर = दे० 'सद्योवल'। सद्वृत्त- २- सज्ञा पुं० १ शोभन याचार । मदाचार । २ दोपरहित वृत्त सद्योभावी-वि० [स० मयोभाविन्] तरत का उत्पन्न । सद्योजात । या वर्तलाकार। सद्योभावी-सज्ञा पुं० तुरत का उत्पन्न बछडा को०) । सवृत्ति -सक्षा स्त्री० [मं०] अच्छा चालचलन । उत्तम व्यवहार । सद्योमन्यु-वि० [म०] जिमसे तुरत क्रोध उत्पन्न हो। शीघ्र क्रोध सधन'--वि० [स०] १ धनयुक्त । २ धनी । धनवान् (फो०] । पैदा करनेवाला [को०)। सधन-सञ्ज्ञा पुं० वह धन जो सामान्य या ममिलिन हो। सद्योऽमृत-वि० [म० सद्यस् + अमृन] तुरत अमृत के समान फल दायक । सधना--क्रि० अ० [हिं० साधना] १ सिद्ध होना। पूरा होना। सद्योमृत -वि॰ [म०] तत्काल का मरा हुअा [को०] । सरना । काम होना। जैसे,---काम सवना। २ काम चलना । सद्योत्रए -सज्ञा पं० [सं०] वह घार जो तुरत लगा हो। अभी अभी मतलव निकलना । ३ अभ्यस्त होना । हाथ बैठना । मंजना। लगी चोट । ताजा घाव [को०] । मक होना। जैसे,- - ग्रभी हाय सधा नही है, इसी से देर सद्योहत -वि॰ [म०] जो तुरत या अभी अभी मारा गया हो। लगती है। ४ प्रयोजन सिद्धि के अनुकूल होना। गा पर चढना । जैसे,—विना कुछ रपया दिए वह आदमी नही सधेगा। सद्र-सहा पु० [अ०] दे० 'मदर'। ५ लक्ष्य ठीक होना। निशाना ठीक होना। ६ घोडे आदि सद्रव्य-वि० [स० सद्व्य] १ स्वर्णाभ । स्वणिम । सुनहला । २ का शिक्षित होना । निकलना। ७ संभलना । ८ समाप्त द्रव्ययुक्त । धनयुक्त । होना। खत्म होना। खर्च होना। ६ ठीक नपना । नापा जाना। सद्रि-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ मेप । मेढा । २ पहाड । ३ हाथी (को०] । जैसे,—अंगरखा मचना। सद्रु-वि० [स०] १ आराम करने या बैठनेवाला। २ गमनोद्यत । सधर-सज्ञा पुं० [म० अधर का अनु०] ऊपर का अोठ । प्रोष्ठ । जानेवाला [को०] । सधर्म, सधर्मक-वि॰ [स०] १ समान गुण, धर्म, स्वभाव या क्रिया- सद्वद्व-वि० [स० मद्वन्द्वमधपप्रिय । झगडा करनेवाला [को०] । वाला। एक ही प्रकार का । २ तुल्य । समान। ३ ममान सदश - महा पु० [स०] १ उत्तम जानि का वॉम । २ अच्छा कुल या सप्रदाय या जाति का (को०)। ४ समान कर्तव्योवाला (को०)। खानदान [को०। यौ०-सधर्मचारिणी = पत्नी । भार्या ।