पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१२४

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४६४२ सनातन सनट्टा विशेप - इसके हीर की लकड़ी बहुत मजबूत और स्याही लिए सनमान--सधा पु० [स० सम्मान] दे० 'मम्मान' । उ.--केहि लाल होती है। इसकी कुसियाँ आदि बनती हैं। यह वृक्ष करनी जन जानि के सनमान किया रे । केहि अघ अवगुन अापनो तिनवली और ट्रावनकोर में अधिक पाया जाता है । करि टारि दिया रे ।- तुलसी ग्र०, पृ० ४७१ । सनट्टा-सञ्ज्ञा पुं० [देश॰] विलायती मेहदी नाम का पौधा जो वागो मे सनमानना -क्रि० स० [स० सम्मान + हिं० ना (प्रत्य॰)] खातिर वाट के रूप मे लगाया जाता है। विशेप दे० 'विलायती करना। आदर करना। मत्कार करना। उ०-नृप सुनि मेहदी'। आगे आइ पूजि सनमानेउ ।—तुलसी (शब्द०)। सनत् सज्ञा पुं० [स०] ब्रह्मा । सनमुख प-अव्य० [८० सम्मुख] दे० 'सम्मुख'। उ०-मनमुख सनत्कुमार-मज्ञा पुं० [स०] १ ब्रह्मा के चार मानस पुत्रो मे से अाएउ दधि अरु मगेना। कर पुस्तक दुइ विप्र प्रवीना । एक । वैधान। -मानम, १६३०३ । विशेष-ये सबसे पहले प्रजापति कहे गए है। सनय-वि० [स०] १ प्राचीन । पुराना । २ नीतियुक्त फिो०] । २ वारह सार्वभामो या चक्रवर्तियो मे से एक । (जैन)। ३ जैनो के अनुसार तीसरे स्वर्ग का नाम । ४ वह सत जिसकी सनसन-सा पुं० [अनु॰] दे॰ 'सनसनाहट' । अवस्था हमेशा एक सी रहे। सर्वदा बाल्य या युवावस्था मे सनसनाना-कि० अ० [अन० मन मन] १ हवा ने झोके मे निकलने रहनेवाला तपस्वी (को०)। या जाने का शब्द होना। २ खौलते हुए पानी का शब्द सनत्सुजात-सहा पु० [स०] ब्रह्मा के सात मानस पुत्रो मे से एक होना । ३ हवा बहने का शब्द होना । मानसपुत्र । सनसनाहट-तचा पु० [हिं० सनसनाना] १ हवा बहने का शब्द । सनत्ता-महा पु० [हिं० सन] वह वृक्ष जिसपर रेशम के कीडे पाले २ हवा मे किसी वस्तु के वेग मे निकलने का शब्द । ३ खौलते जाते हैं । जैसे,--शहतूत, वेर। हुए पानी का शब्द । ४ मनसनी। सनद- सना जी० [अ०] १ तकियागाह । आश्रय । सहारा। २ सनसनी-मज्ञा सी० [अनु० सन मन] १ सवेदन सूत्रो मे एक प्रकार नरोसा करने की वस्तु । ३ प्रमाण । सबूत । दलील । ५ का स्पदन । झनझनाहट । झुनझुनी। जैसे,—दवा पीते ही प्रमाणपत्न। सर्टिफिकेट । ५ आदर्श । नमूना। (को०) । शरीर मे सनसनी सी मालूम हुई। २ अत्यत भय, आश्चर्य ६ उदाहरण । मिसाल (को॰) । आदि के कारण उत्पन्न स्तब्धता। ठक रह जाने का भाव । ३ सनदयापता- वि० [अ० सनद+फा० याफ्तह] १ जिसे किसी बात उद्वेग । बबराहट । खलबली । क्षोभ । की मनद मिली हो। प्रमाणपत्र प्राप्त। २ किसी परीक्षा क्रि० प्र०-फैलाना। मे उत्तीर्ण । ४ दे० 'सनसनाहट' । ५ मन्नाटा । नीरवता । सनदी'-वि० [अ० सनद] प्रमाणयुक्त । प्रामाणिक । सनसूत्र-सशा पु० [स०] शण मूत्र । सन की डोरी या रस्सी (को०] । सनदी--सज्ञा स्त्री॰ हालचाल । वृत्तात । समाचार । सनहकी- सज्ञा सी० [अ० सनहक] मिट्टी का एक बरतन जो बहुधा सनना-क्रि० अ० [स० मन्धम् (= पिघल कर मिलना)] १ जल के योग मुसलमान काम मे लाते है । से किसी चूर्ण के कणो का एक मे मिलना या लगना। गीला सनहाना-सज्ञा पु० [देण०] वह नांद या वडा वरतन जिसमे भरे हुए होकर लेई के रूप मे मिलना। जैसे,—ाटा सनना। २ खटाई मिले जल मे धोने के पूर्व बरतन फूलने के लिये डाले गीली वस्तु के साथ मिलना। आप्लावित होना। अोतप्रोत जाते है। होना । जैसे,—कपडा कीचड मे मन गया। ३ लिप्त होना। पगना। एक मे मिलना। लीन होना। उ०-बोलत वैन सना' - अव्य० [स०] हमेशा । सर्वदा । नित्य [को०) सनेह सने ।--सूर (शब्द॰) । सना-सशा सी० [अ०] १ स्तुति । स्तवन । वदना । २ तारीफ । सयोक्रि०-जाना। प्रशसा । श्लाघा [मो०] । सननी-सवा स्त्री० [हिं० सनना] पानी मे भिगाया हुआ भृसा या सूखा सना-सहा पुं० [अ० सनह ] वत्सर । वर्ष । सन् [को०] | चारा जो चौपायो को दिया जाता है । सानी। सना'-तक्षा सी० [फा०] दे० 'सनाय' । सनमध-सहा पुं० [सं० सम्वन्ध] दे० 'सवध'। उ०-मात पिता सनाढ्य-सक्षा पुं० [स० सन (-दक्षिणा)+पाढ्य (= सपन्न)] जोर्यो सनमधा। के कछु अापुहि कीयो धधा।--सु दर ग्र०, ब्राह्मणो की एक शाखा जो गौडो के अनर्गत कही जाती है। भा० १, पृ० ३२३ । सनात्-अव्य० [स०] मवदा । हमेशा (को०] । सनम-सज्ञा पुं० [अ०] १ वुत । प्रतिमा । मूर्ति (को०)। २ प्रिय । सनातन'-सञ्चा पु० [स०] १ प्राचीन काल । अत्यत पुराना समय । प्रियतम । प्यारा। अनादि काल । जैसे,--यह वात सनातन से चली आती है। २ यौ०-मनमकदा, सनमखाना = बुतखाना। मदिर । सनमपरस्त = प्राचीन परपरा। बहुत दिनो से चला आता हुआ क्रम । ३ वृतपरस्त । मूर्तिपूजक । सनमपरस्ती = बुतपरस्तो । मूर्तिपूजा । ब्रह्मा । ४ विष्णु। ५ शिव (को०)। ६ वह जिसे सब श्राद्धो