पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१२८

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मन्निपातक ४६४६ सम्भागे 5 स्थिति । आधार । रखने की जगह । ७ अासन । वैठकी। ८ रहने की जगह । निवास । घर । ६ पुर या ग्राम के लोगो के एकत्र होने का स्थान । अथाई । चौपाल । १० एकत्र होना । जुटना। ११ समूह । समाज । १२ योजना। व्यवस्था । १३ रचना । १४ गढन । गठन । बनावट। आकृति । १५ स्तभ, मूर्ति आदि की स्थापना । १६ गहरी पैठ। १७ उत्कट भक्ति (को०)। १८ सचय । समुच्चय (को०)। १६ डेरा डालना। शिविर स्थापित करना । सन्निवेशन-पज्ञा पुं० [स०] [वि० सन्निवेशित, सन्निवेशी, सन्निवेश्य, सन्निविष्ट] १ एक साथ बैठना । २ बैठना। जमना । ३ रखना। घरना। ४ बैठाना। लगाना। जडना । ५ टिकाना । ठहराना । अडाना। ६. स्थापित करना । जैसे, प्रतिमा या स्तभ का सन्निवेशन । ७ वास। निवास । विधान । व्यवस्था । सन्निवेशित--वि० [मं०] १ बैठाया हुआ। जमाया हुआ। २ ठहराया हुआ। रखा हुआ । ३ म्यापित । प्रतिष्ठित । ४ अंटाया हुआ। भीतर डाला हुना। ५ सौपा हुग्रा (को०)। सन्निसर्ग--सज्ञा पुं० [सं०] सत् स्वभाव । विनयशीलता । उदा. रता [को०] । सन्निहित' - वि० [स०] १. एक साथ या पास रखा हुआ। २ समीपस्थ । निकटस्थ । ३ रखा हुआ। धरा हुमा । ४ ठहराया हुआ। टिकाया हुआ। अडाया हुआ। ५ जो कुछ करने पर हो । उद्यत । तैयार । ६ उपस्थित । विद्यमान (को०)। सन्निहित-सञ्ज्ञा पुं० १ सामीप्य । २. एक प्रकार की अग्नि [को० । सन्निहितापाय-वि• जिसका विनाश निकट ही हो । क्षणभगुर [को०)। सन्नी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० सन] सन की जाति का एक प्रकार का छोटा सवध्र। सन्निपातक-- यु० [म.] निदीप विशेप। दे० 'सन्निपात'-५ (को०] । सन्निपातित-वि० [म०] १ च्युत । नि मत । २ समवेत । इकट्ठा। एकत्र (को०)। सन्निपाती--वि० [म० तिनातिन्] सामवायिक [को०] । सन्निवव--सा पु० [म० मनिवन्ध] १ एक मे बाँधना । जकडना । २ लगाव । नबध । ३ प्रभाव । तासीर । ४ फल । परिणाम । सन्निवद्ध--वि० [सं०] १ एक न वधा हुया । जकडा हुआ । २ लगा या । अडा हुआ। फंसा हुआ। ३ सहारे पर टिका हुआ। आश्रित । ८ व्यवस्थित (को०)। सन्निवर्हए-मुझ पु० [म०] प्रतिरोध । प्रतिवध [को०] । सन्निभ--व० [०] सदृश । ममान । मिलता जुलता । सन्निभृत--वि० [१०] १ अच्छी तरह छिपाया हुप्रा । गुप्त । २ ममझ बूझकर बोलनवाला । ३ चतुर । शिष्ट (को०)। सन्निमग्न--वि० [१०] १ खूब यूवा हुआ। २ सोया हुआ । सन्निमित्त--परा पु० [प०] १ अच्छा मगुन २ जिमका कारण सत् या अच्छा हो। ३ भले लोगो का हित [को०] । सन्नियता--वि० [८० मन्नियन्तृ] शामन करनेवाला। नियामक । व्यवस्थापक (को०] । सन्नियोग--मश पुं० [म०] १ अच्छा योग। सयोग । नियुक्ति । ३ लगाव । ४ फरमान । प्राज्ञा । आदेश (को०] । सन्निरुद्ध-वि० [म०] १ रोका हुआ। ठहराया हुआ। अडाया हुया । २ दवाया हुआ। दमन किया हुअा। ३ एक साथ रखा या वटोग हुया । जैसे,- ठसाठस भरा हुआ । कसा हुआ। सन्निरोच-मसा पु० [म.] १ रोक । रुकावट । वाधा । २ दमन । निवारण । ३ निग्रह । वधन । कारागृह (को॰) । ४ तगी। सकोच । ५ तग रास्ता । सँकरी गली। सन्निवाय--मरा पुं० [म०] महनि । मघात (को०] । सन्निवास--सज्ञा पुं० [म०] १ भले लोगो के माथ रहना । साथ रहना । २ निवास । वमति । नीड (को०) । सन्निविष्ट-वि० [म०] १ एक साथ बैठा या मिला हुअा। २. जमा हुआ । धरा हुमा । ३ स्थापित। प्रतिष्ठित । ४ लगा हुआ । जडा हुआ । ५ अंटा हुआ । प्राया हुअा। ६ समाया हुआ । लीन। ७ पास का। ममीप का। लगा हुआ। ८ जिसने शिविर या पडाव डाला हो (को॰) । सन्निवृत्त-वि० [सं०] १ जो लौट आया हो । प्रत्यावर्तित । २. ठहरा या रुका हुआ। ३ जा अलग हट गया हो । पराडमुख [को०] । सन्निवृत्ति--मश मो० [२०] १ लौट आना। पलटना । प्रत्यावतन । २ ठहरना । र कना। ३ अलग हटना । दूर होना। ४ रोकने की क्रिया [फो०] । सन्निवेश-सा पु० [म०] १ एक साथ बैठना । २ जमना । स्थित होना । बैठना । ३ जना । वरना। ठहरना । ४ लगाना । जड़ना । बैठाना। ५ अंटना । भीतर आना। समाना। ६. R पौधा। विशेष-वह पौधा प्राय सारे भारत और बरमा में पाया जाता है। इसके डठलो से भी एक प्रकार का मजबूत रेशा निकलता है, पर लोग उसका व्यवहार कम करते ह । यह देखने में बहुत सु दर होता है, अत कही कही लोग इसे बागो मे शोमा के लिये भी लगाते हैं। सन्नोदन-सज्ञा पु० [स०] १ पशु प्रादि को चलाना । हाँकना । २ प्रेरित करना । उभारना । उसकाना । सन्मगल-सक्षा पुं० [स० सन्मडगलमला काम [को० । सन्मएि -सञ्ज्ञा पु० [स०] उत्तम कोटि का रत्न (को०] । सन्मति-सक्षा खी० [स०] दे॰ 'सम्मति' (को०) । सन्मातुर-सझा पुं० [सं०] वह जो साध्वी स्त्री का पुत्र हो। सती स्त्री का पुन (को०)। सन्मान'--वि० [म०] जिसका अस्तित्व मान्न स्वीकार्य हो [को०] । सन्मान–समा पुं० [स०] आत्मा का एक नाम [को॰] । सन्मान-सज्ञा पुं॰ [म.] दे० 'सम्मान' । सन्मानना पु-क्रि० स० [हिं० सनमानना] दे० 'सनमानना' । सन्मार्ग-सबा पुं० [सं०] सत् मार्ग । अच्छा मार्ग ।