पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१५४

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४९७२ ६ यक्त । समानाधिकरण समाप्तिक' ममाना बकरए'--. १ नमान आ गयाना । २ एक ही श्रेणी समापन्न'--मा पुं० [स०] १ मार डालना। हत्या करना । वध । या गया। एक हो परक विभक्ति में यक्त । २ मरण । मृत्यु । ३ अन । समाप्ति । पूर्ति (को॰) । ममानाधिकार "श पु० [२०] मनानता का अधिकार । वरावरी समापन्न'--'वि० १ खतम् किया हुआ । समान किया हुआ । २ वध का दजा IPOjI किया हुआ । मारा हुा । निहत । । ३ अागत । पहुंचा समानाभिहार--मरण पुं० [म०। ममान या एक ही प्रकार की वस्तुप्रो हुअा (को०) । ४ घटिन । गुजरा हुआ (को०)। ५ निष्णात । साममि-गा। प्रवीण। कुशल (को०) । मिला हुआ । प्राप्त । अन्वित । उपेत को । ७ आर्त । दुखित । अभिभूत (को०) । समानार्थ- पु० [म०] १ वे गब्द अादि जिनका अर्थ एक ही = क्लिष्ट । कठिन । हो । पर्याय । • वे जिनका प्रयोजन 21 उद्देश्य समान हो। समापादन-सज्ञा पु० [स०] पूर्ण करना। रूप या आकार देना। समानार्थक-वि० [स०] दे० 'ममानाय' (को०) । सपादित करना किो। समानिका--मना [म.] एक प्रकार की वरण वृनि जिसमे रगण, समापादनीय--वि० [म०] पूरा करने योग्य । प्राकारित करने योग्य । जगण याक गु होता है। ममानी। उ०-देखि देखि के स्प देने योग्य किो०] । मभा। विप्र मोहिता प्रमा। राजमटली लम। देव लोक को हौ ।--काव (शब्द०)। समापाद्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] व्याकरण के अनुसार विमर्ग का 'स' और 'प' मे परिवर्तन। समानी--सपा प्रो. [२०] एक वर्ण वृन । दे० 'ममानिका' । समापिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] व्याकरण मे दो प्रकार को कियाप्रो मे समानोदक--मा पु० (म०] जिनगरी ग्यारहवी मे चौदहवी पीढी तक से एक प्रकार की क्रिया जिससे किसी कार्य का सम्मान हो के पूज एक हा। इन्हें माय माय नपण करने का अधिकार जाना चिन होता है। जैसे,- वह परसो यहाँ से चला गया। होता है। इम वाक्य मे 'चला गया' समापिका लिया है। समानोदर्य-ममा ५० [म० ममानोदयं] वे जिनका जन्म एक ही माता समापित-वि० [स०] समाप्त किया हुया । खतम या पूरा किया हुअा। के गम मे हवा हो । महोदर भाई । मगा माई। समापी-मज्ञा पु० [स० समापिन्] वह जो मम न करता हो। खतम समानोपमा--सभा सी० [म०] उपमा अलकार का एक भेद । करनेवाला। विगेप--उसमे मा प्रविच्छेद मे एक ही उपमा दूसरी उपमा का समापूर्ण-वि० [स०] पूरा पूरा भरा हुआ। सम्यक् आपूरित । भी काम द जाती है। जैसे,—'मालकानन' मे दो उपमाएँ लबरेज [को०] । छिपी है--(क) सानक+पानन अर्थात् अलकावली से युक्त समाप्त-वि० [स० | १ जिसका अत हो गया हो। जो खतम ग पूरा ग्रानन और (7) नात+कानन अर्थात् वह जगल जिसमे हो। जगे--(क) जब ग्राा अनी मव बाते ममाप्त कर माल के ही वृक्ष हा। लीजिएगा, तब मैं भी कुछ कहूँगा। (ख) आपका यह ग्रथ समाप--पना पं० [स०] इष्ट देवता की मपर्या या प्जा को०] । कवतक समाप्त होगा। २ निपुण । कुशल । चतुर (को० । समापक--मसा पुं० [म० समाप्त करनेवाला। खतम करनेवाला। ३ परिपूण (को०।। पूग नेवाना। क्रि० प्र०—करना ।होता। ममापतित--वि० [म०] मामने पाया हुवा। जो घटित हो [को०] । यौ०-ममा प्राय = जो लगभग समान या पूर्ण हो । ममा ममापत्ति-म०] १ हो नमय मे और एक ही स्थान प्नभूयिष्ठ - जो प्राय पूरा हो गया हो। समाप्नणिक्ष = पर उपस्थित होना । मिलना । २ मयोग । मौका । शिक्षा पूर्ण कर ली हो। अवमर (को०) पनि । ममाप्ति (को०)। ८ मृल म्प का ग्रहण या समाप्तलभ-मज्ञा ५० [भ• समाप्न नम्म] बीद्वो के अनुसार एक बहुत प्राप्ति (को०)। बडी सध्या का नाम । यो०-ममापत्तिदृष्ट = मंयोग ने दिखाई पड़ने वाला। ममाप्तान--मज्ञा पु० [स०] पति । स्वामी । मालिक । खाविद । समाप्ति-सञ्ज्ञा मी० स०] १ किमी कार्य या वान ग्रादि का प्रत ममापन-सक्षा १० म०] १ नमाप्त करने की किया। सनम करना। होना । उम अवस्था को पहचना जब कि उम सबध मे गोर कुछ दूराना । २ मार दाना । हा करना। वध। ३ सूक्ष्म चिनन । चिनन । भी करने को वाकी न रहे। खतम या पूरा होना। २ प्राप्त 16उट । अध्याय । विभाग (को०)। " गवानि । उपाधि । अभिनटण ( T६ ममाधान । हाने या मिनने का भाव । प्राप्ति । ३ निप्पन्नता। पूणता (को०)। ४ तर या मतभेद दूर करना (को०)। " शरीर समापना-मना 2 मि०] मान हाने का भाव। निप्पत्ति । ग्रादि का विभिन्न तत्वो मे विघटन । मृत्यु (को०)। गिनि। मिद्धि। मानता चिो०] । समाप्तिल'-सज्ञा पु० [स०] १ वह जो समान करता हो । सनम समापनोय-१० [40] १ समाप्त ने योग्य । रातम करने के या पूरा करनेवाना। २ वह जो वेदो का अध्ययन समान जाया।२ मारने वाला व्य । कर चुका हो। -