पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१५६

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४६७४ समालव समाविष्ट समालव-सज्ञा पु० [स० ममालम्ब रोहिप तृण । रुसा नामक धास । सी बातें अच्छी और कीन सी खराव है, विशेपत किसी समालवन-महा पु० [म० समालम्बन] अालवन करना। टेक लेना। पुस्तक के गुण और दोष आदि देखना। ३ वह कथन, लेख महारा लेना को । था निवध आदि जिसमे इस प्रकार गुणो और दोपो की विवे- चना हो । पालोचन।। ममाल वित-वि० [स० समालम्बित] किसी के सहारे टिका हुआ। प्राधिन । टॅगा या । लगा हुआ [को० । समालोची--सज्ञा पुं० [स० समालोचिन्] वह जो किसी चीज के ममालविनी--मन्ना सी० [स० समालम्बिनी] एक तृण को०] । गुण और दोप देखता हो । समालोचना करनेवाला । समालवी'-सशा पु० [स० समालम्बिन्] भू तृण । ममावर्जन--सज्ञा पु० [स०] वशीभूत करना। अपनी ओर करना या खीचना । आकृष्ट करना [को०] । समालवी-वि० पराययी । परावलवी (को०] । समावर्जित-वि० [स०] झुकाया हुआ । जिसे झुका दिया गया हो। समालभ-सज्ञा पुं० [म० ममालम्भ] १ शरीर पर केशर आदि का कृतनम्र 'को०] । लेप करना। २ मार डालना। हत्या करना। ३ ग्रहण समावर्त्त-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ वापस आना । लौटना । १ दे० 'समा करना । पकडना (को०)। ४ (यज्ञ मे) पशु को वलि के लिये पकडना (को०)। वर्तन' । ३ विष्ण (को०) । समालभन--सधा पुं० [स० समालम्भन] दे० 'समालभ' । समावर्त्तन--सज्ञा पुं॰ [म०] [वि० समावर्तनीय] १ वापस आना। लौटना। २ गुरुकुल मे विद्याध्ययन करके ब्रह्मचारी का गुरु समालक्ष्य-वि० स०] जो दिखाई पडे । दिखाई पडनेवाला। की अनुमति से अपने घर वापस जाना। ३ प्राचीन वैदिक व्यक्त । गोचर को०)। काल का एक प्रकार का सस्कार । समावर्तन सम्कार । समालव्व-वि० [स०] १ जो पकड मे आ गया हो । गृहीत । २ विशेष-यह सस्कार उस समय होता था जब वालक या ब्रह्म- मपर्क मे प्राया हुआ [को०] । चारी नियत समय तक गुरुकुल मे रहकर गौर वेदो तथा समालाप-सज्ञा पु० [स०] अच्छी तरह वातचीत करना। अन्यान्य विद्याओ का अच्छी तरह अध्ययन करने के उपरात समालिंगन--सज्ञा पु० [स० ममालिङगन] [वि० समालिगित] कसकर स्नातक बनकर घर लौटता था। इस सस्कार के समय कुछ आलिंगन करना । गाटालिगन (को०] । हवन आदि होते थे। स मालिप्त--वि० [स०] अच्छी तरह लिप्त या पुता हुआ । लेप किया यौ०--समावर्तन सस्कार= दे० 'समावर्तन'-३ । हुआ (को०] । समावर्तनीय-वि० [स०] १ लौटने योग्य । वापसी के लायक । २ समाली--सशा स्त्री॰ [स०] पुष्पगुच्छ । फूलो का गुच्छा। कुसुम का जो समावर्तन सस्कार करने योग्य हो गया हो । स्तवक । गुलदस्ता ।को। समावर्तमान-वि० [स०] दे॰ 'समावर्ती' । समालोक--सञ्ज्ञा पु० [स०] १ अवलोकना। देखना। २ कल्पना । समावर्ती--वि० [स० समावत्तिन्] १ अध्ययन समाप्त कर गुरुकुल चिंतन । मनन (को॰] । से लौटनेवाला। २ लौटने या वापस होनेवाला। समालोकन-सा पु० [स०] १ अच्छी तरह देखना । निरीक्षण । समावह-वि० [स०] १ जो उत्पन्न या प्रस्तुत करे। २ जो किसी २ सोचना । विचारना । मनन । चितन (को०)। (कार्य या व्याधि) का कारणभूत हो (को०] । समालोकी-सशा पु० [स० समालोकिन्] १ वह जो किसी चीच ममावाय-महा पु० [स०] दे॰ 'समवाय' । को अच्छी तरह देखता हो। समावास--सचा पु० [स०] १ निवास स्थान । घर । २ ठहरने का समालोकी--वि० १ किसी वस्तु का अच्छी तरह निरीक्षण करने स्थान । ३ शिविर । पडाव (को०] । वाला। २ सोचने विचारनेवाला। चिंतन मनन करने- समावामित-वि० [स०] १ ठहगया या टिकाया हुआ। २ वसाया वाला (को०। हुया [को०। मालोच--सज्ञा पुं॰ [स०] वातचीत । सभापण । मलाप [को०] । यौ०-समावासित कटक = वह जिसने सेना को शिविर करने समालोचक--ससा पु० [स०] १ वह जो किसी चीज के गुण और का आदेश दिया हो। दोप देखकर वतलाता हो। २. वह जो कृति के दोप गुण समाविग्न-वि० [स०] १ भीत या डरा हुआ। २ उद्वेल्लित । आदि को विवेचित करता हो। समालोचना करनेवाला । क्षुब्ध । विह्वल । कपित [को० । ३ अच्छी तरह देखनेवाला। समाविद्ध-वि० [स०] १ जिसका मयोग या सघटन हुआ हो। समालोनन-सहा पुं० [सं०] दे० 'समालोचना'। २ विह्वल । क्षोभयुक्न । प्राकुल (को० ॥ ३ क्षीण (को०)। समालोचना-मशा सी० [स०] १ अच्छी तरह देखने की क्रिया। समाविष्ट-वि० [सं०] १ जिसका समावेश हुना हो। समाया हुआ । पूब देना भालना। २ पिसी पदार्थ के दोपो और गुणो २ जिसका चित्त किसी एक अोर लगा हुआ हो। एकाग्न को अच्छी तरह देखना। यह देखना कि किसी चीज मे कौन चित्त । ३. गृहीत । ग्रहण किया हुआ (को०)। ४ भूतप्रेत