पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१६९

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समोना ४९८७ सम्मान' की होई। वश आपु मे लेहि समोई |--कबीर सा०, पृ०६५५। समोना-कि० अ० [स० समुद] पान दित होना । प्रसन्न होना। अनुरक्त होना। उ०-जोति वरै माहेब के निसु दिन तकि तकि रहत समोई ।--कवीर० श०, भा० ३, पृ. ६ । समोमा--पझा पुं० [फा० सवोमह] एक प्रकार का प्रसिद्ध व्यजन । सिंघाडा । तिकोना। विशेष-यह मैदे से बनाया जाता है। मैदा गूंथ कर छोटी पतली रोटी की तरह वेल लेते है। इसी वेली हुई रोटी को बीच से काट कर दो अर्द्धवृत्त की शक्ल मे कर लेते हैं। फिर एक हिस्सा लेकर उसके बीच मसालेदार आलू मटर आदि भरकर तिकोने के आकार मे लपेट लेते है और घी या तेल मे छान लेते है। यह नमकीन और मीठा दोनो प्रकार का बनाया जाता है। समोह-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] समर । युद्ध । लडाई । समौ ५ ---सञ्ज्ञा पु० [सं० समय, पु हि० समउ) दे० 'समय' । समौरिया-वि० [हिं० सम+ उमरिया] बराबर उम्रवाला । सम- वयस्क। सम्मवए-सञ्ज्ञा पु० [स० सम्मन्त्रण] राय लेना । मन्त्रणा करना को०)। मम्मन्नएीय- वि० [स० सम्मन्त्रणीय] दे० सम्मत्रव्य' । सम्मत्रव्य-वि० [स० सम्मन्त्रव्य] १ मन्त्रणा करने योग्य । २ भली भाँति मनन करने योग्य । सम्मत्रित-वि० [स० सम्मन्त्रित] अच्छी तरह विचार किया हुआ। भली भांति समझा वूझा हुआ (को०] । सम्म--सज्ञा पुं० [अ०] विष । गरल [को०) । सम्मग्न--वि० [स०] पूर्णतः निमग्न । डूबा हुआ। तल्लीन | खोया हुया [को०। सम्मत-सशा पु० [स०] १ राय । समति । सलाह । २ अनुमति । ३ धारणा (को०' । ४ सावरिण मनु का एक पुत्र (को॰) । सम्मत'--वि० १ जिसकी राय मिलती हो। सहमत। अनुमन । २ पसद । प्रिय (को०)। ३ सोचा विचारा हुआ (को०)। ४ समान । तुल्य (को०)। ५ समानित । प्रतिष्ठित (को०)। ६ युक्त । सहित (को०)। सम्मति'-सज्ञा स्त्री० [स०] १ सलाह । राय । २ अनुमति । अादेश । अनुज्ञा। ३ मत । अभिप्राय । ४ सम्मान । प्रतिष्ठा । ५ इच्छा । वामना । ६ आत्मबोध । आत्मज्ञान । ७ सहमति । ममर्थन (को०)। ८प्रेम । स्नेह (को०)। ६ एक नदी का नाम (को०)। सम्मति'--वि० [स० सम मति] समान मति या एक राय का । सम्मत्त- वि० [स०] १ मतवाला । नशे में धुत । २ जिमके गडस्थल से मद बहता हो (हाथी)। ३ जो आनदातिरेक से मस्त हो। आनदविह्वल (को०)। सम्मद'--सज्ञा पुं० [म०] १ हर्प । ग्रामोद । ग्राह्लाद । २ एक ऋषि (को०) । ३ एक प्रकार की मछली । विशेष-विष्णुपुराण मे लिखा है कि यह मछली अधिक जल मे रहती है और बहुत बडी होती है। इनके बहुत बच्चे होते हैं। सम्मद'--वि० सुखी । अानदित । हर्पयक्त । प्रसन्न । सम्मदो--वि० [स० सम्मदिन] अानदयुक्त । प्रसन्न [को०] । सम्मन--सज्ञा पुं० [अ० समन्स] प्रदानत का वह सूचनापत्र या आदेश पत्र जिसमे किसी को निदिष्ट ममय पर अदालत में उपस्थित या हाजिर होने की सूचना या प्रादेश लिखा रहता है । तलवी- नामा । इत्तिलानामा । आह्वानपत्र । क्रि० प्र०-याना।--देना।-निकलना।--निकलवाना।---जारी कराना।--जारी होना ।--तामील होना।--तामील कराना। सम्मरपुर--सञ्ज्ञा पु० [स० स्मर] दे० 'स्मर'। उ०--छुटि समाधि ऋपि नैन उघारे। अति सकोपि सम्मर उर मारे ।- ह. रासो, पृ० २७ । सम्मर--सशा पुं० [स० समर] युद्ध । रण । लडाई । सम्मद--सच्चा पु० [सं०] १ युद्ध । लडाई। २ ममूह । भोड । ३ परस्पर का विवाद । लडाई झगडा । ४ रगड । घिसना । घर्पण (को०)। ५ कुचलना। रीदना (को०)। ६ (लहरो की) टक्कर या मुठभेड। सम्मर्दन--सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ भली भांति मर्दन करने का व्यापार । रौदना। २ वसुदेव के पुत्रो मे एक पुत्र । ३ रगडना। घिसना । सघर्पण (को०)। ४ लडाई। युद्ध (को०)। ५ वह जो भली भॉति मदन करता हो। अच्छी तरह मर्दन करनेवाला। सम्मर्दी-सज्ञा पुं० [स० सम्मदिन] १ भली भांति मर्दन करनेवाला। २ रगडने या घिसनेवाला। सम्मर्शन-सञ्ज्ञा पु० [सं०] थपथपाना । सहलाने की क्रिया [को०] । सम्मर्शी-वि० [स० सम्मशिन्] भले बुरे, सत् असत् का निर्णय कर सकनेवाला [को०] । सम्मर्ष-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] मर्प । सहन । धैर्य । सम्महा-सधा पु० [स० शुष्मा ] अग्नि । प्राग । पावक । (डि ० ) । सम्मा-सच्चा श्री० [स०] सय्या, आकार आदि की तुल्यता या समानता । २ एक छद का नाम (को०)। सम्मातृ - वि० [स०] जिसकी माता पतिव्रता हो। सती मातावाला। सम्मातुर-वि० [०] सती साध्वी मातावाला । सन्मातुर [को॰] । सम्माद-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ नशा। मद । २ उन्माद। पागलपन । सम्मान'-सज्ञा पुं० [स०] १ समादर। इज्जत । मान । गौरव । प्रतिष्ठा । २ माप । मान (को०)। ३ तुलना । नता (को०)। सम्मान-वि० १ मान सहित । २ जिमका मान पूरा हो । ठोक मानवाला। समा-