पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२९

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तैयार हो। कठोर हृदय । वार्ता। संग सगतार्थ ४८४५ सगवारान = ढेलो की वर्षा । सग मरमर = दे० 'सगमर्मर'। २ वह सस्था या संघ आदि जो इस प्रकार की व्यवस्था से सगमुरदार = मुरदासख । सगयशव । सगमार | सग सुर्ख = एक प्रकार का लाल रंग का पत्थर । मग मुलेमानी। सगठित-वि० [सघटित हिं. सगठन] जो भलीभांति व्यवस्था करके सग'-वि० पत्थर की तरह कठोर । बहुत कड़ा । एक मे गिलाया हुअा हो। जो व्यवस्थित रूप मे और काम विशेष-इस अर्थ मे इस शब्द का प्रयोग प्राय यौगिक शब्द बनाने करने के योग्य मिलाकर बनाया गया हो। मे उनके प्रारभ मे होता है । जैसे,—सगदिल = पापाण हृदय । संगएक-मझा पु० [म० स + गणक] उच्च कोटि की सूक्ष्मतम एव जटिल- तम गणना करनेवाला आधुनिक यन विशेष । (अ० कप्यूटर)। सग अंगूर-मण पु० [सग? हिं० अगूर] एक प्रकार की वनस्पति । विशेष-यह हिमालय पर पाई जाती है और ओपधि के काम मे सगणिका-सज्ञा स्त्री० [स० सङ गणिका] अप्रतिरूप कथा। सुदर अाती है । इसे अगूरशेफा, गिरी बूटी या पेवराज भी कहते हैं । सग असवद - सच्चा पुं० [फा० सग+ अ० असवद] काले रंग का एक सगत'--वि० [म० सङ गत] १ मिला या जुडा हुआ। संयुक्त । बहुत प्रसिद्ध पत्थर। २ एकन्न किया हुआ । एक मे मिलाया हुअा। ३ शादी- विशेष-यह काबा की दीवार मे लगा हुआ है और इसको हज शुदा । विवाहित । ४ मैथुन सबध मे ससक्त । सभोग मे लगा करने के लिये जानेवाले मुसलमान बहुत पवित्र समझते तथा हुग्रा । ५ समुचित । युक्तियुक्त | उपयुक्त । ठीक । ६ चूमते है। मुमलमानो का यह विश्वास है कि यह पत्थर स्वर्ग कु चित । सिकुडा हुआ [को०] । से लाया गया है, और इमे चूमने से पापो का नष्ट होना यो०-सगतगान - सकुचित शरीरवाला। माना जाता है। संगत-सज्ञा पुं० १ मिलन । २ साथ। साहचर्य । ३ मिन्नता। संगकूपी-महा श्री० [हिं०] एक प्रकार की वनम्पति जो प्रोपधि के दोस्ती । अतरगता। ४ सामजस्यपूर्ण या उपयुक्त वाणी । काम मे प्राती है। युक्तियुक्त टिप्पणी (को०)। सगखारा--सचा पुं० [फा० सग+खार] एक प्रकार का पत्थर जो सगत:--सचा ग्मी० [स० सङ गति] १ सग रहने या होने का भाव । कुछ नीलापन लिए भूरे रंग का और बहुत कडा होता है । साथ रहना । सोहवत । सगति । २ सग रहनेवाला । साथी। चकमक पत्थर। ३ वेश्याओ या भाँडो आदि के साथ रहकर सारगी, तवला, सगजराहत-सचा पु० [फा० मग+अ० जराहत] एक प्रकार का सफेद मॅजीरा आदि बजाने का काम । चिकना पत्थर जो घाव भरने के लिये बहुत उपयोगी होता है । क्रि० प्र०-वजाना ।-मे रहना । विशेप-इमे पीसकर बारीक चूर्ण बनाते हैं जिसे 'गच' कहते है और जो साँचा बनाने के काम में भी आता है। इसका मुहा०-सगत करना = गानेवाले के माथ साथ ठीक तरह से गुण यह है कि पानी के साय मिलने पर यह फूलता है और तवला, साग्गो, सितार आदि का बजाना । मूखने पर कडा हो जाता है। इसनिये इससे मूर्तियाँ आदि ४ वह जो इस प्रकार किसी गाने या नाचनेवाले के साथ रहकर भी बनाते है । इमे कुलगार, कारमी, सफेद सुरमा या सिल साज वजाता हो। ५ वह मठ जहाँ उदासी या निर्मले आदि खडी भी कहते है। साधु रहते है। ६ सबध । ससर्ग। ७ प्रसग। मैथुन । ८ सगट@-सला पु० [म० सबकट] ० 'सकट' । उ०-सगट तै हरि लेह दे० 'सगति'। उबारी। निसदिन सिवरौं नॉव तुमारी।-रामानद०, पृ०२६। सगतसवि-सन्ना स्त्री० [म० सड गतसन्धि] १ कामदक नीति के सगठन-सञ्चा पु० [स० सघटन, सङ्घटन या सम् + हिं० गठना] अनुसार गच्छे के साथ सधि जो अच्छे और बुरे दिनो मे एक १ बिखरी हुई शक्तियो, लोगो या अगो आदि को इस प्रकार सी बनी रहती है । काचन सधि । २ मित्रता के अनतर होने- मिलाकर एक करना कि उनमे नवीन जीवन या बल या वाली मधि या सुलह (को०)। जाय । किमी विशिष्ट उद्देश्य या कार्यसिद्धि के लिये विखरे हुए अवयवो को मिलाकर एक और व्यवस्थित करना। एक संगतरा-सशा पुं० [पुर्त० >फा०] एक प्रकार की बडी और मीठी मे मिलाने भौर उपयोगी बनाने के लिये की हुई व्यवस्था। नारगी। सतरा। विशेष-वास्तव में यह शब्द शुद्ध सस्कृत नहीं है, गलत गढा हा संगतराश-सहा पुं० [फा०] पत्थर काटने या गढनेवाला मजदूर । पत्थरकट। २ एक औजार जो पत्थर काटने के काम मे है, पर आजकल यह बहुत प्रचलित हो रहा है। कुछ लोग आता है। इससे, संस्कृत व्याकरण के नियमो के अनुसार 'सगठित', 'सगठनात्मक' आदि शब्द भी बनाते है, जो अशुद्ध है । कुछ संगतार्थ'-वि० [मं०] ठीक ठीक अर्थ देनेवाला । उपयुक्त प्रथं का लोगो ने इसके स्थान पर 'सघटन' शब्द का व्यवहार करना प्रारभ किया है, जो शुद्ध मस्कृत है। सगतार्थर-सहा पु० वह अर्थ जो ठीक या सगत हो [को०] । हिं० २०१०-२ बोधक को।