पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३०१

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सिद्धि ६०२१ सिद्धौध सिद्धि'--सज्ञा पुं० [सं०] शिव का एक नाम (को०] । सिद्धिद'-वि० [स०] १ सिद्धि देनेवाला । २ ईश्वर सायुज्य या मोक्ष सिद्धि' -सज्ञा स्त्री०१ काम का पूरा होना। पूर्णता। प्रयोजन निकलना। देनेवाला (को०)। जैसे,--कार्य सिद्ध होना । २ सफलता । कृनकार्यता । सिद्धिद-सज्ञा पु० १ बटुक भैरव । २ शिव (को । ३ पुत्रजीव कामयावी। ३ लक्ष्यवेध। निशाना मारना। ४ परिशोध । नाम का वृक्ष। ४ वडा शाल वृक्ष । बेबाकी । चुकता होना (ऋण का) । ५ प्रमाणित होना। सिद्धिदर्शी--वि० [सं० सिद्धिशिन्] १ भविष्य की सफलता या स्थिति साबित होना। ६ किसी बात का ठहराया जाना । निश्चय । का ज्ञान रखनेवाला [को०) । पक्का होना । ७ निर्णय । फैमला । निबटारा । ८ हल होना। सिद्धिदाता-मञ्ज्ञा पुं० [सं० सिद्धिदातृ] [स्त्री० सिद्धिदात्री) (सिद्धि ६ परिपक्वता। पकना। सीझना। १० वृद्धि । भाग्योदय । देनेवाले) गणेश। सुखसमृद्धि। ११ तप या योग के पूरे होने की अलौकिक शक्ति सिद्धिदात्री--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] दुर्गा का एक रूप । नव दुर्गा मे अतिम या सपन्नता। विभूति । देवी को०)। विशेष-योग की अष्टसिद्धियाँ प्रसिद्ध है-अणिमा, महिमा, सिद्धिप्रद--वि० [सं०] [वि० सी० सिद्धिप्रदा] सिद्धि देनेवाला । गरिमा, लघिमा प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व । पुराणो मे ये पाठ सिद्धियाँ और वतलाई गई है - अजन, सिद्धिभूमि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] वह स्थान जहाँ योग या तप शीघ्र सिद्ध होता हो। गुटका, पादुका, धातुभेद, वेताल, वज्र, रसायन और योगिनी । साख्य मे सिद्धियाँ इस प्रकार कही गई है तार, सुतार, तारतार, सिद्धिमार्ग--सज्ञा पुं० [सं०] सिद्धि प्राप्त करने का उपाय । २ सिद्ध रम्यक, आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक । लोक की प्राप्ति का मार्ग (को०] । १२ मुक्ति । मोक्ष । १३ अद्भुत प्रवीणता। कौशल । निपुणता। सिद्धियात्रिक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वह यात्री जो योग की सिद्धि प्राप्त कमाल । दक्षता । १४ प्रभाव । असर । १५ नाटक के छत्तीस करने के लिये याना करता हो। लक्षणो मे से एक जिससे अभिमत वस्तु की सिद्धि के लिये सिद्धियोग--संज्ञा पुं० [सं०] ज्योतिष मे एक प्रकार का शुभ योग । अनेक वस्तुओ का कथन होता है। जैसे,-कृष्ण मे जो नीति सिद्धियोगिनो-सज्ञा स्री० [म.] एक योगिनी का नाम । थी, अर्जुन मे जो विक्रम था, सव आपकी विजय के लिये श्राप सिद्धियोग्य-वि० [स०] जो सिद्धि के लिये जरूरी हो [को०) । मे पा जाय । १५ ऋद्धि या वृद्धि नाम की अोषधि । १७ सिद्धिरस-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दे० 'सिद्धरस' । बुद्धि । १८ सगीत मे एक श्रुति । १६ दुर्गा का एक नाम । सिद्धिराज-सज्ञा पुं० [सं०] एक पर्वत का नाम । २० दक्ष प्रजापति की एक कन्या जो धर्म की पत्नी थी। २१ गणेश की दो स्त्रियो मे से एक। २२ मेढासिगी । २३ भांग। सिद्धिलाभ--सज्ञा पुं० सं०] सिद्धि का प्राप्त होना (को०] । विजया। २४ छप्पय छद के ४१ वे भेद का नाम जिसमे ३० सिद्धिली-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] छोटी पिपीलिका । छोटी चीटी। गुरु और ६२ लघु कुल १२२ वर्ण या १५२ मात्राएँ होती है। सिद्धिति-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] दे० 'सिद्धवति' को०) । २५ राजा जनक की पुत्रवधू । लक्ष्मीनिधि की पत्नी । २६ सिद्धिविनायक--सञ्ज्ञा पु० [सं०] गणेश की एक मूर्ति । सिद्धविनायक किसी नियम या विधि की वैधता (को०)। २७ समस्या का गणेश (को०] । समाधान (को०)। २८ तत्परता (को०)। २६ सिद्धपादुका सिद्धिसाधक-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ सफेद सरसो । २ दमनक। दौने जिसे पहनकर जहाँ कहीं भी आवागमन किया जा सके (को०)। का पौधा। ३० अतर्धान । लोप (को०)। ३१ उत्तम प्रभाव । अच्छा सिद्धिस्थान-मज्ञा पुं० [सं०] १ पुण्य स्थान । मोक्ष प्राप्ति का स्थान । असर (को०)। तीर्थ । २. आयुर्वेद के ग्रथ मे चिकित्सा का प्रकरण । सिद्धिक--सञ्ज्ञा पुं० [स०] सिद्धि से प्राप्त अलौकिक शक्ति किोथ) । सिद्धीश्वर-सज्ञा पुं० [स०] १ शिव । महादेव। २, एक पुण्य क्षेत्र सिद्धिकर--वि० [स०] १ सिद्धि करनेवाला । सफलता दिलानेवाला। का नाम। २ समृद्धिकारक (को०]। सिद्धेश्वर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] [ी. सिद्धेश्वरी] १. वडा सिद्ध । सिद्धिकारक-वि० [स०] १ प्रभावी। असर करनेवाला। २ दे० महायोगी। उ०--सत्यनाथ आदिक सिद्धेश्वर । श्रीशैलादि बस 'मिद्धिकर' (को०] । श्री शकर ।--शकरदिग्विजय (शब्द॰) । २ शिव । महादेव। सिद्धिकारण-सञ्ज्ञा पु० [सं०] सिद्धि या मुक्ति का कारण [को०] । ३ गुलतुर्रा । शखोदरी। ४ एक पर्वत का नाम । श्रीशल सिद्धिकारी-वि० [म० सिद्धिकारिन्] सिद्धि करने या करानेवाला नामक पर्वत (को०)। सिद्धेश्वरी-सज्ञा सी० [सं०] नव देवियो मे एक का नाम [को०] । सिद्धि गुटिका-सञ्ज्ञा सी० [म०] वह गुटिका जिसकी सहायता से सिद्धोदक--सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १. कांजी। काजिक । २ एक प्राचीन रसायन बनाया या इसी प्रकार की और कोई सिद्धि की जाती तीर्थ का नाम। हो। उ०--सिद्धि गुटिका अव मो सँग कहा । भएउ रांग सन सिद्धौध-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] तानिको के गुरुप्रो का एक वर्ग । मन शास्त्र यि न रहा।-जायसी (शब्द०)। के प्राचार्य। (को०] ।