पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४००

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सुलाकर ७०२० सुल्त जिसपर परस्पर लडनेवाले दो व्यक्तियो या दलो की ओर २ एक पहाड जो बलोचिस्तान और पजाव के बीच मे है। से समझौते की शर्ते लिखी रहती है, अथवा यह लिखा रहता सुलेमानी'---सज्ञा पुं० [फा०] १ वह घोडा जिमकी आँखें सफेद हो । है कि अब हम लोगो मे किसी प्रकार का झगड़ा नहीं है। २ एक प्रकार का दोरगा पत्थर जिसका कुछ अश काला और सुलाक'--सज्ञा पुं० [फा० सूराख ] सूराख । छेद । (लश०)। कुछ सफेद होता है। सुलाकर -- सज्ञा स्त्री॰ [फा० सलाख] दे० 'सलाख' । सुलेमानी--वि० सुलेमान का। सुलेमान मबधी। जैसे,--सुलेमानी नमक। सुलाखना-क्रि० स० [स० सु + हिं० लखना (= देखना)] सोने यौ०-सुलेमानी नमक = एक प्रकार का बनाया हुआ नमक जो या चाँदी को तपाकर परखना। अत्यत पाचक होता है। सुलेमानी मुरमा = दे० 'मुरमा सुलाखना-क्रि० स० [फा० सूराख] सूराख या छेद करना । सुलेमानी'। सुलागनाgक्रि० अ० [हिं० सुलगना] दे० 'सुलगना' । उ०--- अगिनि सुलागत मोस्यो न अँग मन विकट वनावत बेहु । वकती सुलोक-सज्ञा पुं० [स० सु + लोक] स्वर्ग । सुलोचन'--वि० [स०] [वि॰ स्त्री० मुलोचना] सुदर आँखोवाला । कहा बाँसुरी कहि कहि करि करि तामस तेहु। -सूर (शब्द॰) । जिसके नेव सुदर हो। सुनेन । सुनयन । सुलाना--क्रि० स० [हिं० सोना का प्रेर० रूप] १ सोने मे प्रवृत्त सुलोचन'-सशा पुं० १ हरिन । २ धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । कना । शयन कराना । निद्रित कराना। २ लिटाना । डाल विशेष-महाभारत के प्रादि पर्व के ६७ वें अध्याय मे इसका उल्लेख देना। मिलता है अत किसी किसी के मत से दुर्योधन का ही यह एक सुलाभ--वि० [स०] दे० 'सुलभ' । नाम था क्योकि जलस्तभन (जलसघ) विद्या इमी को सुलाभी-सज्ञा पुं० [स० सुलाभिन] एक प्राचीन ऋषि का नाम । आती थी। सुलाह-सरा स्त्री० [अ० सुलह] १ मेल । अनुकूलता।२ समझौता। ३ एक दैत्य का नाम । ४ मक्मिणी के पिता का नाम । ५ सुलिखित--वि० [स०] १ सुदर एव सुस्पष्ट लिखा हुआ। २ दर्ज चकोर । ६ एक बुद्ध (को०)। किया हुआ (को०] । सुलोचना--पशा स्त्री० [सं०] १ एक अप्सरा का नाम । २ राजा सुलिप--वि० [सं० स्वल्प, हिं० सुलप] थोडा । स्वल्प । माधव की पत्नी का नाम जो आदर्श पत्नी मानी जाती है। सुलिपि - सज्ञा स्त्री० [स०] सुदर एव सुस्पष्ट लिपि । साफ लिखावट । ३ वासुकी की पुत्री और मेघनाद की पत्नी का नाम । सुलुलित-वि० [स०] १ आनद से इतस्तत हिलता हुआ । क्रीडापूर्वक सुलोचनि, सुलोचनी-वि० जी० [सं० सुलोचना] सुदर नेत्रो- ४ सदर महिला । मोहक नेत्रोवाली औरत (को०)। इधर उधर घूमता हुआ। २ अत्यत क्षतिग्रस्त । नष्टभ्रष्ट किया हुआ (को०] । वाली । जिसके नेत्र सुदर हो । उ०-सुदरि सुलोचनि सुवचनि सुदति, तैसे तेरे मुख आखर परुप रुख मानिए। केशव सुलुस-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] तीसरा भाग । तृतीयाश [को०] । (शब्द०)। सुलू--वि० [सं०] अच्छी तरह छेदने या काटनेवाला को०] । सुलोम---वि० [सं०] [वि० सी० सुलोमा] सुदर लोमो या रोमा से सुलूक--सञ्ज्ञा पु० [अ०] दे० 'सलूक' । युक्त । जिसके रोएँ सु दर हो। सुलेक-पज्ञा पुं० [सं०] एक आदित्य का नाम । सुलोमनी--सशा स्त्री॰ [स०] जटामासी । बालछड । सुलेख'--वि० [सं०] १ सुदर लिखनेवाला । सुदर रेखाएँ बनानेवाला। सुलोमश--वि० [स०] दे० 'सुलोम' । २ जो शभ रेखाओ से युक्त हो। सुलोमशा-सज्ञा स्त्री० [स०] १ काकजघा । २ जटामासी। सुलेख'--पशा पु० सुदर लेख । अच्छी और साफ लिखावट । खुश- सुलोमा'---सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ ताम्रवल्ली। २ मासरोहिणी। मासच्छुदा। सुलेखक--सका पुं० [म०] १ अच्छा लेख या निबंध लिखनेवाला। सुलोमा--वि० दे० 'सुलोम' । जिसकी रचना उत्तम हो। उत्तम ग्रथकार या लेखक । २ सुलोल--वि० [स०] १ अत्यत लोल या लालायित । सुदर और साफ अक्षर लिखनेवाला । खुशखत । चचल [को०)। सुलेमॉ--सज्ञा पु० [फा०] दे० 'सुलेमान'। उ०--हाथ सुलेमा केरि सुलोह-सज्ञा पुं० [मं०] एक प्रकार का वढिया लोहा । अँगूठी । जग कहँ दान दी ह भरि मूठी ।—जायसी (शब्द०)। सुलोहक-सज्ञा पुं० [स०] तल । सुलेमान--सज्ञा पुं० [फा०] १ यहूदियो का एक प्रसिद्ध बादशाह जो सुलोहित-सचा पुं० [०] सुदर रक्त वर्ण । अच्छा लाल रग । पैगवर माना जाता है। सुलोहित-वि० सु दर रक्त वर्ण से युक्त । सु दर लाल रगवाला । विशेष--कहते हैं, इसने देवो और परियो को वश मे कर लिया सुलोहिता -सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] अग्नि को सात जिह्वानो मे से एक था और यह पशुपक्षियो तक से काम लिया करता था। जिह वा का नाम । इसका जन्म ई० पू० १०३३ और मृत्यु ई० पू० ६१५ मानी सुलोही--सज्ञा पुं० [स० सुलोहिन्] एक प्राचीन ऋषि का नाम । सुल्त-सचा पु० [अ०] जौ । यव (को०] । खती। २ अतीव जाती है।