सघाता संधि ४८६४ सधाता-सञ्ज्ञा पुं० [स० सन्धातृ] १ शिव । २ विष्णु । सहन करना। ३ अस्वीकार करना (प्राथना आदि)। १ सधान--सज्ञा पुं० [स० सन्धान] १ धनुष पर वाण चढाने की रिया अनुसरण करना । अनुवर्तन करना [को०)। लक्ष्य करने का व्यापार । निशाना लगाना । २ शराब बनाने सधारणीय--वि० [स० मन्धारणीय] धारण करने योग्य [को०] । का काम। ३ मदिरा। शराव । ४ सघट्टन। योजन। भधार्य---वि० [म० सन्धार्य] १ धारण या बहन करने लायक । २ मिलाना । मिश्रण (अोपधि या अन्य पदार्थो का)। ५ अन्वेपण । अग्वीकृति के योग्य । ३ (नौकर) रखने योग्य (को॰] । खोज । ६ मुरदे को जिलाने की क्रिया। पुनर्जीवन । सजीवन । ७ एक मिश्रित धतु। काँसा। कास्य । ८ सधि । जोड। सधालिका-सहा मी० [स० सन्धालिका] एक प्रकार का भोजन (को०] । ९ अच्छे स्वाद की चीज। १० कॉजी। ११ मैत्री। मेन । सधि--सहा [मं०] १ दो चीजो का एक मे मिलना। मेल । दोस्ती (को०)। १२ अवधान (को०)। १३ निदेशन (को॰) । सयोग । २ वह स्थान जहाँ दो चीजें एक मे मिलती हो । १५ सँभालना। सहारा देना (को०)। १६ अंचार आदि बनाना मिलने की जगह । जोड । ३ राजाग्रा या राज्यो आदि मे (को०)। १७ रक्तस्राव का अवरोव करनेवाली प्रोपधियो के होनेवाली वह प्रतिज्ञा जिसके अनुमार युद्ध वद किया जाता है, द्वारा चमडे की सिकुडन (को०)। १८ सौराष्ट्र या काठियावाड मित्रता या व्यापार सबध स्थापित किया जाता है, अथवा इसी का एक नाम। प्रकार का और कोई काम होता है। यौ०-सधानकर्ता = सधान करनेवाला। सधानतानमगीत मे विशेष--पहले केवल दो योद्धा राज्यो में ही सधि हुआ करती एक तान । सधानभाड = अचार आदि वनाने का पात्र । थी, पर अब बिना युद्ध के हो मित्रता का बधन दृढ करने, सधानभाव = दे० 'सधानताल'। पारस्परिक वाणिज्य मे महायता देने और सुगमता सधानना --त्रि० स० [स० सन्धान+ना (प्रत्य॰)] १ धनुप उत्पन्न करने अथवा किमी दूसरे राज्य में राजनीतिक अधिकारो चढाना । धनुष पर वाण चढाकर लक्ष करना । निशाना की प्राप्ति अथवा रक्षा के लिये भी सधि हुअा करती है। लगाना । २ वारण छोडना । तीर चलाना। ३ किसी अस्त्र आजकल साधारणत राज प्रतिनिधि एक स्थान पर मिलकर को प्रयोग करने के लिये ठीक करना । सधि का मसौदा तैयार करते है, और तब वह ममीदा अपने अपने राज्य के प्रधान शासक अथवा राजा आदि के पास स्वीकृति संधाना-सज्ञा पु० [स० सन्धानिका] अचार । खटाई । उ०--पुनि के लिये भेजते है, और जब प्रधान शासक अथवा राजा उसपर सधाने आए वसाँधे । दूह दही के मुरडा वाँधे । -जायसी न०, स्वीकृति की छाप लगा देता है, तब वह सधि पूरी समझी पृ० १२४। सघानिका--सञ्ज्ञा श्री० [सं० सन्धानिका प्राचीन कान का एक प्रकार जाती है और उसके अनुसार कार्य होता है । जिम पत्र पर सधि की शर्ते लिखी जाती हैं, उसे 'सधिपत्र' कहते है। मनु का आम का अचार । भगवान् ने सधि को राजा के छह, गुणो मे से एक गुण सधानित--वि० [स० सन्धानित] १ मिलाया हुआ । साय माथ नत्थी बतलाया है, (शेप पाँच गुण ये हैं--विग्रह, यान, आसन, किया हुआ । २ बाँधा हुआ। कसा हुआ। ३ जिसका सधान द्वैध और प्राथय)। हमारे यहाँ प्राचीन काल मे किसी किया गया हो (को॰] । शवु राज्य पर आक्रमण करने के लिये भी दो राजा परस्पर सधानिनी--सञ्ज्ञा स्त्री० [म० सन्धानिनी] गौत्रो के रहने का स्थान । मिलकर सधि किया करते थे । हितोपदेश मे सधि सोलह प्रकार गोशाला। की कही गई है-कपाल, उपहार, सतान, सगत, उपन्यास, सधानी'--सच्चा सौ० [स० सन्धानी] एक मे मिलने या मिश्रित होने प्रतीकार, सयोग, पुरुषातर, अदृष्टतर, प्रादिष्ट, आत्मादिष्ट, की क्रिया । मिलन । २ प्राप्ति । ३ वधन । ४ अन्वेपण । उपग्रह, परिक्रय, ततोच्छिन, परभूषण और स्क्धोपनेय । जब तलाश । ५ पालन । ६ कांजी। ७ अचार । खटाई। ८ सधि करनेवालो मे से कोई पक्ष उस सधि की शर्तों को तोडता वह स्थान जहाँ ढलाई की जाती है । ६ वह स्थान जहाँ मदिरा या उनके विरुद्ध काम करता है, तो उसे सधि का भग होना बनाई जाती है। १० दे० 'सधान'। ११ मदिरा वनाना। कहते है। शराव चुआना (को०)। ४ सुलह । मित्रता । मैत्री। ५ शरीर मे कोई वह स्थान जहाँ सघानी-वि० [स० सन्धानिन्] १ निशाना लगाने मे प्रवीण । २ दो या अधिक हड्डियां आपस में मिलती हो। जोड । गाँठ । मदिरा तैयार करनेवाला। ३ एक साथ मिलाने या मुक्त जैमे,--कुहनी, घुटना, पोर आदि । करनेवाला (को०] । विशेष--वैद्यक के अनुसार ये सवियाँ दो प्रकार की है । चेप्टा- सघापगमन--सहा पुं० [स० सन्धापगमन] कामदकीय नीति के अनुसार वान् और निश्चल । सुश्रुत के अनुसार सारे शरीर मे सब समीपवर्ती शत्रु से सधि कर दूसरे शनु पर चढाई करना । मिलाकर २१० सधियां है। संधारण--सबा पुं० [म. सन्धारण] [ी० सधारणा] [वि० सधार ६ व्याकरण मे वह विकार जो दो अक्षरो के पास पास पाने के पोय] १ रोक रखना । धारण करना । २ वरदाश्त करना । कारण उनके मेल से होता है।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४८
दिखावट