पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/५०

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३ नंव लगाने कास्थान। सध्या संधिपूजा सधिपूजा-सञ्चा मी० [सं० सन्धिपूजा] शारदीय नवरात्र मे अप्टमी सविविपर्यय-मशा पुं० [म० मन्धिविपर्यय मंत्री पार पत्रुता । शानि और नवमी के सधिकाल मे दुर्गा की अर्चना । और युद्ध ! | सधिप्रच्छादन-सशा पु० [स० सन्धिप्रच्छादन] संगीत मे स्वर माधन सधिवेला-समा सी० [सं० मन्धिवे ना] १ मध्या ला गमय । नागवान। की एक प्रणाली जो इस प्रकार होती है। पारोही-मा रे ग, शाम । २ कोई भी सधिकाल । वद जिनम दो बाल- रे ग म, ग म प, म प ध, प ध नि, ध नि सा। अवरोही-सा विभागो का मेल हो (को०) । नि ध, नि ध प, ध प म, प म ग, म ग रे, ग रे सा । सधिशूल -ससा पुं० [सं० मन्धिशूल ] एक रोग । ० 'प्रामपात को०)। सधिप्रबधन-सज्ञा पु० [स० सन्धिप्रवन्धन ] ८० 'सधिवधन' । सधिसभव-सा पुं० [म० मन्धिसम्भव] मयुक्त म्बर या मधिन बना सधिबध-सज्ञा पु० [म० सन्धिवन्ध] १ भुइँ नपा। २ स्नायु । नम वण । जमे, पाय+म, ए%D+६, क्ष%30+ , r% (को०) । ३ दराज या सधि को जोग्नेवाली वस्तु । चूना या ज्+जयादि। सोमेट (को०)। सविसितासित-मशा पुं० [सं० सन्धिमितागित] प्राजा प्रभार मधिबधन-सज्ञा पुं० [स० सधिवन्धन] शिग । नाडी । नस । का राग। सधिभग-सज्ञा पुं० [स० सन्धिमडग] १ वंद्यक के अनुसार हाथ या सविस्थल-समा पु० [सं० सन्धिस्यन] १ वर न्धन जना गष्ट्रा में पैर आदि के किसो जोड का टूटना । २ सधि की शर्तों की सधि हो । २ पिन्ही दो के मिलन का स्थान । अवहेलना करना (को०)। सधिभग्न-सज्ञा पु० [स० सन्धिभग्न] एक प्रकार का रोग जिसमे अग सविहारक-मरा पुं० [० मन्धिहारा] वह नौ जो संब गाकर की सधियो मे अत्यत पीडा होती है। चोरी करता हो । सेधिया चोर । सधिमुक्त--सज्ञा ५० [म० सन्धिमुक्त] दे० 'सधिभग । सधी-सा पुं० [सं० सन्धि] मधि का काम देनगंवाला मन्त्री। सधिमुक्ति-मज्ञा स्त्री॰ [म० सन्धिमुक्ति] जोड खुल जाना (को०] । मुलह समझौता करनेवाला मत्री । परराष्ट्र नत्री (०) | सधिमोक्ष-सज्ञा पु० [स० सन्धिमोक्ष] पुरानी सधि तोडना । सधिभग । सधुक्षए।'-ससा पुं० [सं० सन्युक्षण] [ मधुलिन) १ जाना। विशेष दे० 'समाधि मोक्ष' । प्रदीप्त करना । २ नमाना। उनेजित करा ।। सधिरध्रका-सहा स्त्री० [म० सन्धिरन्द्रका सुग्ग । सेध सधुक्षए-वि० उद्दीपक । उत्तेजक फो०) । सधिराग-सज्ञा पुं० [स० सन्धिराग) १ सिंदूर। सेदुर । २ साँझ सघुक्षित-वि० [स० सन्धुक्षित] प्रयनित या उद्दीप्त किया हुआ को०] । या सवेरे की लाली (को०) । सधेय-वि० [स० सन्धेय] १ मे सधि परने के योग हो। जिसके सधिला-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं० सन्धिला] १ सुरंग । सेध । दरार । २. गर्त । साथ सधि की जा सके। २ जिने शात किया जा सके। शात गड्ढा। ३ नदी। ४ मदिरा। शराब। ५ एकमाथ अनेक वाद्यो के वजने से उठनेवाली जोर की आवाज (को॰) । करने या मनाने योग्य (को०) । ३ नध्य माधने पे चोग (10) ४ जो पुन जोडा या मिलाया जा सके। फिर से मिलने, सधिविग्रह-सञ्ज्ञा पुं० [स० सन्धिविग्रह] राजशासन की परराष्ट्र सवधी दो नीतियां शाति और युद्ध। मैत्री और लढाई या जुटने या एक होने योग्य (को०)। सध्यग-पज्ञा पुं० [स० सन्ध्यदग] नाटक में मुखापि सधियो के अग, शत्नुता। सधिविग्रहक-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० सन्धिविग्रहक] दे॰ 'सधिविग्रहिक' । उपाग (को०] । सधिविग्रहाधिकार-सञ्ज्ञा पु० [स० सन्धि विग्रहधिकार] विदेश विभाग सध्य-वि० [मं० सन्ध्य] १ सधि सवधी। सधि का । २, नधि पर या परराष्ट्र सबधी मनालय (को०)। प्राद्धृत (को०)। ३ जिमनी सधि होनेवाली हो (को०)। सधिविग्रहिक-सक्षा पुं० [स० सन्धिविग्रहिक] परराष्ट्रो के साथ युद्ध ४ विचारयुक्त । सोचता हुआ (को०)। या सधि का निणय करनेवाला मनी या अधिकारी। सध्यक्ष-सशा पुं० [सं० सन्ध्यभ] वह नश्व जिनमे दो राशियां हो। सधिविग्रही-सञ्ज्ञा पुं० [सं० सन्धिविग्रहिन् ] दे॰ 'सधिविग्रहिक' । दो राशियों के बीच का नक्षन । जैसे,-कृतिका नक्षत्र, जिनके सधिविचक्षए-सञ्चा पु० [स० सन्धिविचक्षण] वह व्यक्ति जो सधि पहले पाद मे मेष राशि और तीनो पादो मे नृप राशिह । करने मे नतुर हो [को॰] । सध्याश, सध्याशक-सज्ञा पुं० [म० सन्च्याग, मन्ध्याश] युगात सधिविच्छेद-मज्ञा पुं० [स० सन्धिविच्छेद] १. समझौता तोडना या काल । दो युगो का सधिकाल । वह काल जिसमे एका युग की टूटना। २ व्याकरण मे सधिगत शब्दो को अलग अलग समाप्ति और दूसरे का प्रारभ हो (यो०] । करना (को०] । सध्या-सा ली० [सं० सन्ध्या]१ दिन और रात दोनो के मिलने का सघिविद्-सज्ञा पु० [१० सन्विविद्] सधि की वार्ता करनेवाला (को०) । समय । सधिकाल। सधिविद्ध-सचा ५० [म० सन्धिविद्ध] एक प्रकार का रोग जिसमे हाथ विशेष-दिन और रात के मिलने के दो समय ह--प्रात काल पैर के जोडो मे सूजन और पीडा होती है। और सायकाल। शास्त्रो मे कहा है कि रात का अतिम एक 1