परिगत २४७ परिवह परिगत-वि० [स०] १ गत । वीता हुआ । गया गुजरा। २ मरा परिगृह्या-सज्ञा स्त्री० [सं०] विवाहिता स्त्री । धर्मपत्नी। हुमा । मृत । ३ विस्मृत। जिसे भूल गए हों। ४ ज्ञात । परिग्रह-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] १ प्रतिग्रह । ग्रहण । लेना । दान लेना। जाना हुमा । ५. प्राप्त । मिला हुआ। ६ वेष्टित । घेरा हुआ २ पाना । ३. धनादि का संग्रह । ४. स्वीकार । भगीकार । ७ स्मृत । स्मरण किया हुपा (को०)। ८ बाधित । बाधा- आदरपूर्वक कोई वस्तु लेना। ५ स्त्री को अगीकार करना। युक्त (को०) 16 पीडित । पीडायुक्त (को॰) । विवाह । ६ पत्नी । स्थी । भार्या । ७ सेना का पिछला भाग परिगम-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. घेरना । आवेष्टित करना। २ जानना । ८. परिजन । परिवार । स्ली पुत्र प्रादि । ६ राहुग्नस्त सूर्य । ३ प्राप्त करना । ४ व्याप्त होना या करना [को०] । १०. मुलकद । ११ शाप । १२. शपथ । कसम । १३ विष्णु । परिगमन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दे० 'परिगम' [को०] । १४ अनुग्रह। मिहरबानी । १५ जैन शास्त्रो के अनुसार तीन प्रकार के गतिनिवधन कम-द्रव्य-परिग्रह, भावपरिप्रद परिगर्मिक-सञ्चा पु० [स०] वैद्यक के अनुसार बालको का एक रोग और द्रव्यभावपरिग्रह । १६. कुछ विशिष्ठ वस्तुएँ सग्रह जो गर्भिणी माता का दूध पीने से होता है। न करने का व्रत। १७ राष्ट्र। राज्य (को०)। १८ दड विशेष--इसमे बालक को खाँसी, के, अरुचि और तद्रा होती है, (को०) । १६ गृह । मकान । घर (को॰) । उसका शरीर दुवला हो जाता है, भोजन नहीं पचता, और परिग्रहण-घशा पुं० [सं०] १ सब प्रकार से ग्रहण । पूर्ण रूप से पेट बढ जाता है। वैद्यक में इस रोग मे अग्निदीपक औषधो ग्रहण करना। २ कपड़े पहनना । के सेवन का विधान है। परिग्राम-सशा पु० [सं०] गांव के सामने का भाग । परिगर्वित-वि० [स०] बहुत गर्ववाला । भारी घमंडी। परिग्राह-सज्ञा पुं० [स०] एक विशेष प्रकार की यज्ञवेदी। परिगहण-सज्ञा पुं॰ [मं०] अत्यत निंदा । विशेष गर्हण [को०] । परिग्राह्य-वि० [स०] ग्रहण करने योग्य । जो ग्रहण किया जा सके । परिगक्षित-वि० [सं०] १ गला हुआ । गलित । २ तरल । पिघला परिघ-सज्ञा पु० [सं०] १ लोहांगी। गंडासा। २ ज्योतिष में हुप्रा । ३ च्युत । नीचे गिरा हुमा । ४. गायव । लुप्न [को०) । एक योग । २७ योगो के प्रतर्गत १६वा योग। परिगह-मज्ञा पुं० [स० परिग्रह ] कुटु बी। सगी साथी या विशेष-इस योग को प्राधा छोडकर शुभ कर्म करने चाहिए। प्राश्रित जन । उ०-राजपाट दर परिगह तुमही स जन्मकाल में यह योग पडने से मनुष्य व शकुठार, असत्य- उजियार। वइठि भोग रस मानहु कइ न चल हु अंधियार । साक्षी, क्षमाहीन, स्वल्पानुभोक्ता और शत्रुदल को जीतनेवासा -जायसी (शब्द॰) । होता है। परिगहन-सचा पु० [स०] अत्यत घना । अत्यत गह्न [को०] । ३ अर्गला। अगडी। ४ मुद्गर । ५ शूल । भाला। बर्ची । परिगहना-क्रि० स० [सं० परिग्रहण] ग्रहण या स्वीकार करना। ६ कलस । ७ घोडा । ८ गोपुर । फाटक । ६. घर । यासरा देना । सहारा देना। उ०-तेरे मुह फेरे मोसे कायर १० स्वामिकार्तिक का एक अनुचर । ११ तीर । १२ पर्वत कपूत कर लटे लटपटेनि को कौन परिगहैगो।-तुलसी म, १३. वजू । १४ शेषनाग । १५ जल । १६. चद्र। १७. पृ० ५८७॥ सूर्य । १८ नदी। १६ स्थल । २० आनद और सुख की परिगाढ-वि० [सं०] अत्यधिक । बहुत ज्यादा (को०] । निवारक प्रविद्या। २१. बाधा । प्रतिवध। २२ महाभारत परिगोत्त-वि० [स०] बहुव अधिक वणित [को०] । के अनुसार एक घाटाल का नाम । २३ सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार का मूढ़ गर्भ । २४ वे बादल जो सूर्य के उदय या परिगीति-सक्षा स्त्री० [१०] एक प्रकार का वृत्त । एक छद (को॰) । अस्त होने के समय उसके सामने प्रा जाय । २५ शीशे का परिगुठित-वि० [स० परिगुण्ठित ] छिपाया हुपा । ढका हुआ। घडा या जलपात्र (को०)। परिगुंडित-वि० [ स० परिगुपिडत ] धूल से छिपा हुआ। गर्द से परिघट्टन-सक्षा पुं० [सं०] ( कलछी से ) चारो ओर से घर्षण ढका हुआ। करना । दर्वी आदि से चलाना (को०) । परिगूढ-वि० [सं०] जो समझ मे कठिनता से पाए । प्रत्यत गूढ [को०] परिघट्टित-वि० [ म०] घर्षण किया हुया। चलाया या मथा परिगृद्ध-वि० [सं०] अत्यत लालची । विशेष लालचवाला [को०] । हुमा [को०] । परिगृहीत-वि० [सं०] १ स्वीकृत । मजूर किया हुआ। २ मिला परिघमूढगर्भ-सञ्चा पु० [स० परिवमूढगर्भ] वह बालक जो प्रसव के हुया । शामिल । ३. चारो ओर से घेरा हुआ। चारो पोर समय योनि के द्वार पर आकर अगडी की तरह अटक जाय । से प्रावृत (को०)। ४ धारण या ग्रहण किया हुअा (को) । परिधर्म, परिधर्म्य-सज्ञा पुं० [सं०] यज्ञ में काम पानेवाला एक ५ अनुगमित । अनुसृत (को०)। ६ पकडा हुभा (को०) १७. सरक्षित । सुरक्षित (को०)। परिघह-सञ्ज्ञा पुं० [स० परिग्रह ] दे० 'परिगह' या 'परिग्रह' । परिगृहीता'-वि० [सं०] विवाहिता । परिणीता [को०] । उ.-राम दे राव जालौर घर गोइद गढ़ घामनि पसे । परिगृहीता-संज्ञा पुं० [सं० परिगृहीत ] १ पति । २ सहयोगी। दाहिम्म वयाने उप्पनी पृथीराज परिघह बसे । -पृ० सहायक । ३ वह व्यक्ति जो गोद ले [को०] । रा०, ११५८४॥ विशेष पात्र।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/१३८
दिखावट