पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३७५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 याददाश्त । पूर्वपक्षी ३०६४ पूर्वविहित लिये किया हुमा प्रश्न या शका। ( उत्तर में जो बात कही नाटक पारभ होने से पहले विघ्नों को शाति के लिये या जाती है उसे उत्तरपक्ष कहते हैं )। २. कृष्ण पक्ष । ३ दर्शको को सावधान करने के लिये नट लोग करते हैं। अगला हिस्सा । अग्रिम पक्ष । ४ व्यवहार या अभियोग में पूर्वराग-सज्ञा • [ स० ] साहित्य में नायक पथवा नायिका की वादी द्वारा उपस्थित बात । मुद्दई का दावा । एक अवस्था जो दोनो के स योग होने से पहले प्रेम के पूर्वपक्षी 1-सज्ञा पुं॰ [सं० पूर्वपक्षिन् ] १ वह जो पूर्वपक्ष उपस्थित कारण होती है । प्रथमानुराग । पूर्वानुराग । करे । २ वह जो किसी प्रकार का दावा दायर करे । विशेप-कुछ लोगो का मत है कि पूर्वगम केवल नायिकामों पूर्वपथ-सशा पुं० [ स०] १ पहले का रास्ता । पुरानी राह । २. मे ही होता है। नायक को देखने पर या किसी के मुंह से पूर्व दिशा की ओर का पथ । उसके रूप गुण धादि की प्रशसा सुनने पर नायिका के मन पूर्वपद-सज्ञा पुं॰ [ स०] समस्त पद या किसी वाक्य का प्रथम मे जो प्रम उत्पन्न होता है वही पूपराग कहलाता है । जैसे, पद [को०)। हस के मुंह से नल की प्रशंसा सुनकर दमयती में अनुराग का उत्पन्न होना। इसमें नायक से मिलने की अभिलाषा, पूर्वपर्वत -सञ्ज्ञा पुं० [ स०] पुगणानुसार वह कल्पित पर्वत जिसके पोछे से सूर्य का उदय होना माना जाता है । उदयाचल । उसके स वध में चिंता, उसका स्मरण, सखियो से उसकी चर्चा उससे मिलने के लिये उद्विग्नता, प्रलाप, उन्मत्तता, रोग, पूर्वपालो-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० पूर्वपालिन् ] इद्र । मूर्या और मृत्यु ये दस बातें होती हैं । पूर्वराग उसी समय पूवपितामह-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] प्रपितामह । परदादा। तक रहता है जबतक नायक नायिका का मिलन न हो। पूर्वपीठिका–सञ्चा ची० [ स० ] परिचय । भूमिका [को०] । मिलन के उपरात,उसे प्रेम या प्रीति कहते हैं। पूर्वपुरुष–पञ्ज्ञा पुं० [ स०] १ ब्रह्मा । २ पूर्वज । पुरखा [को०] । पूर्वरूप-सज्ञ पु० [सं०] १ पहले का रूप । वह प्राकार या रग- पूर्वप्रज्ञा-सज्ञा यो• [ स०] १ अतीत का ज्ञान । २ स्मृति । ढग जिसमें कोई वस्तु पहले रही हो। जैसे, इस पुस्तक का पूर्वरूप ऐमा ही था। २ किसी वस्तु का वह चिह्न या पूर्वफाल्गुना-सज्ञा रसी० [ स०] नक्षत्रों में ग्यारहवां नक्षत्र । दे० लक्षण जो उस वस्तु के उपस्थित होने के पहले ही प्रकट हो। 'नक्षत्र'। भागमसूचक लक्षण । आसार । जैसे,—(क) बादलो का घिरना वर्षा का पूर्वरूप है। (ख) पाखो का जलना मौर यौ०-पूर्वफाल्गुनीभव = वृहस्पति का नाम । प्रग टूटना ज्वर का पूर्वरूप है। ३ व्याकरण मे एक स्वर- पूर्ववधु -सञ्ज्ञा पुं॰ [मे० पूर्ववन्धु] प्रथम अथवा सर्वोत्तम मिय [को०) ।। स घि का नाम । ४ एक अर्यालकार जिसमें विनष्ट व्यक्ति या पूर्वभक्षिका 1-सशा स्त्री० [स०] प्रात काल किया जानेवाला भोजन । वस्तु के अपने पहले रूप की प्राप्ति का कथन होता है । जलपान । पूर्ववत्'-क्रि० वि० [ १० ] पहले की तरह । जैसा पहले या पूर्वभाद्रपद-सशा पुं० [स०] नक्षत्रो में २५ वा नक्षत्र । दे० 'नक्षत्र'। वैसा ही । जैसे,-पाज सौ वर्ष बीत जाने पर भी वह नगर पूर्वभाव -सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ प्राधान्य । २ पूर्व सत्ता । ३ विचारों पूर्ववत् है। की अभिव्यक्ति । इच्छा का उद्घाटन [को०] | पूर्ववत् २-सज्ञा पुं० किसी कार्य का वह अनुमान जो उसके कारण पूर्वभूत -वि० [ म० ] पहले का । जो पहले हुअा हो [को०] । को देखकर उसके होने से पहले ही किया जाय । जैसे,- पूर्वभावी'- वि० [सं० पूर्वभाविन् ] पहले का । पहले होनेवाला । बादलो को देखकर यह अनुमान करना कि पानी बरसेगा । पूर्वभावी-सञ्ज्ञा पुं० कारण । हेतु [को०] । पूर्ववय–सझा पुं० [ सं० पूर्ववयस् ] वचपन । पूर्वमारी-वि० [ स० पूर्वमारिन् ] पहले मरनेवाला [को०] । पूर्ववर्ती-वि० [सं० पूर्ववर्तिन् ] पहले का । जो पहले हो या रह पूर्वमोमासा-सपा पुं० [सं० ] हिंदुओं का एक दर्शन जिसमे कर्म- चुका हो । जैसे,—(क) इस देश के अंगरेजो के पूर्ववर्ती काड स वधी वातो का निर्णय किया गया है। इस शास्त्र के शासक मुसलमान थे । (ख) यहाँ के पूर्ववर्ती अध्यापक फर्ता जैमिनि मुनि माने जाते हैं । ब्राह्मण थे। विशेप-दे० 'मीमासा'। -संज्ञा पुं० [सं०] व्यवहार शास्त्र के अनुसार वह अभियोग जो कोई व्यक्ति न्यायालय आदि में उपस्थित करे। पहला पूर्वमुख -वि० [ म० ] जो पूर्व की ओर मुख किए हो (को०] । दावा। नालिश। पूर्वमेघ-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] महाकवि कालिदास के मेघदूत का पूर्ववादो-सज्ञा पुं० [सं० पूर्ववादिन् ] वह जो न्यायालय मादि में पूर्वाश [को०] । पूर्ववाद या अभियोग उपस्थित करे । वादी । मुद्दई । पूर्वयक्ष-समा ५० [सं०] जैनियों के अनुसार एक जिनदेव जो पूर्वविद्-वि० [सं० ] पुरानी बातो को जाननेवाला । इतिहास मणिभद्र और जलेंद्र भी कहलाते हैं । आदि का ज्ञाता। पूर्वयाम्य-वि० [सं०] पूर्वदक्षिण का । पूर्वविहित-वि० [ स०] १ पहले जमा किया हुआ (पन) । २. पूर्वरंग-सचा पुं॰ [सं० पूर्वरङ्ग ] वह सगीत या स्तुति आदि जो पहले किया या कहा हुआ (को०] । . पूर्ववाद्-