पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३९७

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पैगामवर पैतामहिक पैगामवर-सञ्ज्ञा पुं॰ [ फा० पैगामयर ] स देशवाहक । दूत [को०] । प्रवेश करना । किसी वस्तु के भीतर या बीच में जाना । जैसे, पैगामी-सञ्ज्ञा पुं॰ [फा० पैगामी] वह जो दूत का काम करे [को॰] । घर में पैठना, पानी में पैठना । उ०-चलेउ नाइ सिर पेठेठ पैगोडा-सञ्ज्ञा पुं॰ [ घरमी ] बौद्ध मदिर। बागा । —तुलसी (शब्द०)। संयो.कि०-जाना। पैज यु-सञ्चा दी० [सं० प्रतिज्जा> प्रतिज्ञा, प्रा० पतिञ्ना, अप० पइज्जाँ] १ प्रतिज्ञा । प्रण । टेक । हठ । उ०—(क) पैज पैठाना-क्रि० स० [हिं० पैठना ] प्रवेश कराना । घुसाना । भीतर करी हनुमान निशाचर मारि सीय सुधि लाऊँ। -सूर ले जाना। (शब्द०)। (ख) पेज करि कही हरि तोहि उबारौं । स यो०क्रि०-देना।-लेना । -सूर (शब्द०)। पैठार+-सचा पुं० [हिं० पैठ+पार (प्रत्य॰)] १. पैठ । क्रि० प्र०-~करना ।-बांधना। प्रवेश उ०-पसगुन होहिं नगर पैठारा रटहि कुभांति कुखेत २ प्रतिद्व द्विता । होड । किसी के विरोध में किया हुमा हठ । करारा ।-तुलसी (शब्द०)। २ प्रवेशद्वार। फाटक। रीस । लागडाट । जिद । जैसे,--कुछ नही वह मेरी पेज दरवाजा । मुहाना। से वहाँ जा रहा है। पैठारी-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० पैठार] १ पैठ । प्रवेश । २ गति । पहुँच । मुहा०--पैज पड जाना = प्रतिद्व द्विता हो जाना । चखाचखी हो पैठी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० पैठ ] वदला । एवज । जाना । लागडाट हो जाना । पैठीनसि-सञ्चा पुं० [सं०] एक स्मृतिकार ऋषि (को०] । पैज ---मज्ञा पुं॰ [ म० पद्य, प्रा० पज्ज ] पैतरा । पैड-सज्ञा पुं० [अ०] १ सोख्ता या स्याहीसोख कागज की क्रि० प्र०--करना। गद्दी । २ छोटी मुलायम गद्दी। जैसे इक पैड । ३ पत्र प्रादि लिखने के लिये कागजो की एक प्रकार की कापी । जैसे, पैजनिया-मशा स्त्री० [हिं०] दे० 'पैजनी'। लेटर पैड। पैजनी-मझा सी० [हिं० ] दे० 'पैजनी'। पैटिक-वि० [सं०] पिडिका या पिटिका सवधी । फुसी सवयो (फो॰] । पंजा-सञ्ज्ञा पुं॰ [ मं० पाद हि. पाय + सं० जट, हिं० जड ] लोहे पैड़ी-सञ्ज्ञा सी० [हिं० पैर ] १ वह जिसपर पैर रखकर कार का कहा जो किवाड के छेद में इसलिये पहनाया रहता है चढ़े। सीढी। जैसे, हर की पैड़ी। २ कुएँ पर चरसा जिसमें किवाड उतर न सके । पायना । खीचनेवाले बैलों के चलने के लिये बना हुमा ढालवा रास्ता । पैजामा-सञ्ज्ञा पुं॰ [फा० पैजामह ] ३० 'पायजामा' । ३. वह स्थान जहाँ सिंचाई के लिये जलाशय से पानी लेकर पैजार-पशा ० [फा० पैज़ार ] जूता । पनही । जोठा । उ०- ढालते हैं। पोदर । काल के सिर पैजार मारि के पार उतरना ।-पलटू, पैतरा-सञ्ज्ञा पुं० [सं० पदान्तर, प्रा. पयातर ] १ पटा । तलवार पृ० ८४। चलाने या कुश्ती लडने में घूम फिरकर पैर रखने की मुद्रा। यौ०-जूती पैजार = जूते से मारपीट | जूता चलाना । लड़ाई वार करने का ठाट । झगडा। मुहा०-पैतरा पदलना= पटा चलाने या फुश्ती लटने मे ढब पैमना--क्रि० प्र० [म० प्रविध्य, प्रवेध ] प्रवेश । करना । पैठना । के साथ इधर उधर पैर रखना। पैतरा भाँजना = घूमते हुए उ०-रहै इकत शव्दु निरवाण । दरगाह पैझे पति परवाण । पैर रखना और हाथ घुमाना । -प्राण०, पृ० १०१ । यौ०-पैतरेयाजो = धोखेवाज । चालवाज । धूर्त । पैतरेबाजी= पैटने-सञ्ज्ञा पुं० [40] ढांचा। स्वरूप । उ०-यह फूल कभी घोखेबाजी। चालाकी। अप्रीतिकर या तुम्हारे पैटर्न में वेमेल नहीं होगा यही मानती हूँ।-नदी०, पृ० ३५७ । २ धूल पर पडा हुमा पदचिह्न । पैर का निशान । खोज । पैट्रोमैक्स- सज्ञा पुं० [अ० ] छोटी गैस, जिसका प्राकार लालटेन पैतरी-मज्ञा स्त्री० [हिं० पैतरा ] रेशम फेरने की परेती। की तरह होता है। लालटेन गैस । उ०-बडे कमरे में पैट्रो- पैवरो -नचा स्त्री [ सं० पग +हिं० तरी ] जूती । पनही । मैक्स जल रहा था । वो दुनियाँ, पृ०६७ । पैतला-सचा पुं० [हिं० ] दे० 'पैदल' । उ०-पांच पायक पेल पैठ'-सज्ञा स्त्री० [सं० प्रविष्ट, प्रा० पइठ्ठ ] १ घुसने का भाव । पैतल मान का गढ लीण ।-राम० धर्म०, पृ० १५५ । प्रवेश । दखल । पैतला-वि० [हिं० पाय +थल ] उथला । छिछला । पायाव । यौ०-घुस पैठ। पैथला। २ गति । पहुँच । पाना जाना । जैसे,—इस दरबार में उनकी पैठ पैतलाय-वि० [? ] सत्रह । १७ । (दलाल)। नही है। पैताना-सच्चा पुं० [हिं०] दे० 'पार्यता' । पैठ-सक्षा जी० [हिं० पैठ] दे० 'पैठ'। पैतामह-वि० [स०] पितामह सबधी। पैठना-क्रि० प्र० [हिं० पैठ+ना (प्रत्य॰)] घुसना। प्रविष्ट होना। पैतामहिक-वि० [सं०] पितामह से प्राप्त (घन मादि) ।