पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४२८

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प्रघट्टकर HO प्रगल्भवचना ११३७ पृष्टता। प्रौढता। १२ वकवाद । व्यर्थ की बातचीत । १३. प्रगुण्य-वि० [सं०] १ विशेष । अधिक । २. उत्कृष्ट । उत्तम [को॰] । सामर्थ्य | शक्ति । अध्यवसाय । प्रगृहीत-वि० [ मं०] १ जो मच्छी तरह ग्रहण किया गया हो। प्रगल्भवचना-सज्ञा स्त्री॰ [40] मध्या नायिका के चार भेदों मे २ जिसका उच्चारण विना सधि के नियमो का ध्यान रसे से एक। वह नायिका जो बातो ही बातो में अपना दुख किया जाय। पौर कोघ प्रकट फरे और उलाहना दे। प्रगृह्य-वि० [ J१ जो ग्रहण करने के योग्य हो। २. जो विना प्रगल्भा-सरा सी० [ मं०] १. दे० 'प्रौढा' (नायिका) । २ धृष्ट सधि के नियमो का ध्यान रखे उच्चारण करने के योग्य हो। स्त्री । कर्कशा स्त्री (को०) । ३ दुर्गा का एक नाम (को०) । प्रगृह्य-मज्ञा पुं०१ स्मृति । २. वाक्य । प्रगसनाg+-क्रि० प्र० [म० प्रकाश ] प्रकट होना । प्रकाशित प्रगे-क्रि० वि० [सं०] प्रातः । तडके । मधेरे (को०] । होना । व्यक्त होना। यौर-प्रगेनिश, प्रगेशय = सुबह होने पर भी जो सोता रहे। प्रगाढ'-वि० [स० प्रगाढ ] १. बहुत अधिक । जैसे, प्रगाढ सकट । प्रगेतन-वि० [म०] प्रात कालीन । सुबह किया जानेवाला [को०] । २. गाढा या गहरा । जैसे, प्रगाढ निद्रा । ३. कडा । कठोर । प्रग्रह-सचा पु० [सं०] १ ग्रहण करने या पकडने का भाव या घना । ४ अच्छी तरह सुवाया या तर किया हुप्रा (को॰) । ढग। धारण। २ लडने का एक प्रकार । ३. सूर्य अथवा ५. शक्तिशाली । दृढ़ (को०)। ६ बहुत प्रागे वढा हुमा (को०)। चद्रमा के ग्रहण का प्रारभ । ४ प्रादर | सत्कार । ५. प्रगाढ-सशा पुं० १ तपस्या । तपश्चरण। २ भभाय । कष्ट । अनुग्रह । कृपा । ६. उद्धता । ७. चाग । लगाम। ८. दुख । कठिनाई को०] । किरण । ६. रस्सी। डोरी। विशेषत तराजू प्रादि में बंधी प्रगाढ़ता-संज्ञा पुं० [सं० प्रगाढता] १ तीव्रता। अधिकता । २ हुई डोरी। १०. नेता। मार्गदर्शक । ११. किसी ग्रह के गभीरता। गहराई । ३०-साहित्यकार के जीवन मौर साथ रहनेवाला छोटा ग्रह । उपग्रह । १२. बांह । हाथ । साहित्य में वह जितनी प्रगाढता से मतमूत रहेगा।-इति० १३. वैधुवा । कैदी। १४ कणिकार वृक्ष । कनियारी। पालो०, पृ० २४ । ३ कठिनता । कठिनाई। १५ इद्रियदमन । इद्रियनिग्रह । १६ सोना। सुवर्ण । प्रगाता-वि०, सज्ञा पुं॰ [ म० प्रगात ] गानेवाला । अच्छा गायक । १७. विष्णु । १८ एक प्रकार का अमलतास । १६ नियमन प्रगामी-सरा पुं० [स० प्रगामिन् ] वह जो गमन करता हो । गता। (को०) । २०. घोडे प्रादि पशुमों का साधना । जानेवाला। प्रग्रहणा-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] १ ग्रहण करने की क्रिया या भाव । प्रगायी-पि, सच्चा पु० [सं० प्रगायिन् ] पच्छा गानेवाला । उत्कृष्ट घारण। २. सूर्य प्रादि के प्रहण का प्रारभ । ३.घोसे । गायक । प्रगाता। आदि पशुप्रो को साधना । ४. तराजू आदि फी डोरी। प्रगास-सज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'प्रकाश' । उ०-अजपा जपै जीभ्या ५. नियमन (को०)। ६. बधन (को०)। ७ नेतृत्व करना। बिना यह मूल प्रगास परसि लोजे ।-स० दरिया, पृ०६६ । अगुअा वनना (को०)। ८ लगाम । वाग। प्रवाह-सञ्ज्ञा पुं॰ [ म०] १. तराजु धादि की डोरी। २. लगाम । प्रगासना-क्रि० स० [हिं० प्रगासना] प्रकाशित करना। प्रगट वाग । ३ ग्रहण । धारण । लेना (को॰) । करना । उ.-बीसल रास प्रगासता । नाल्ड कह जिरिण प्रावह हो खोडि ।-ची. रासो. पृ०३। प्रग्रिह-सञ्ज्ञा पुं० [सं० परिग्रह ] दे० 'परिग्रह' । प्रगीत'-वि० [स०] १ गाया हुपा। जो गाया गया हो। २. प्रग्रीव-सज्ञा पुं० [सं०] १. किसी मकान के चारो तरफ का वह गायक । गानेवाला (गो०] । घेरा जो लट्टे या वास आदि गाडकर बनाया जाता है। २. झरोखा। छोटी खिडकी। ३. अस्तवल । ४ वृक्ष का ऊपरी प्रगीत-मज्ञा पुं० १ गीत । गाना (को०) । २ आधुनिक काव्यो मे लिखे गए ये गीत जो काव्य होने के साथ ही अत्यधिक गेय भाग। ५ प्रामोद प्रमोद करने का स्थान । रगभवन । ६. रंगा हुआ शिरोगृह या प्रासादशिखर (यो०)। होते हैं। प्रगीति-राशा पु० [सं०] एक प्रकार का छद । प्रघट-वि० [सं० प्रकट, हिं० प्रगट ] दे० 'प्रकट'। प्रगुण-वि० [ मं०] १. चतुर । दक्ष । होशियार । २ प्रकृष्ट गुणो- प्रघटक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं०] सिद्धांत । नियम । विधि । वाला । उत्तम गुणवान् । ३ सरल । प्रकुटिल । सीधा । प्रघटनाए-क्रि० स० [हिं० प्रघट+ना ] 'प्रगटना'। अनुकूल। प्रघटा-समा सी० [सं०] किसी शास्त्र के संबंध में जानकारी की प्रगुणन-सरा पुं० [ म०] १ श्रमयुक्त करना । व्यवस्थित करना। प्रारभिक छोटी छोटी बातें [को०)। २ सरल या धनुकूल करना [को०] | यो०-प्रघटाविद् = प्रघटा का जानकार । साधारण जानकार। प्रगुणित-० [सं०] १ व्यवस्थित । समीकृत । २ चिकना या प्रघट्टक'-सज्ञा पुं० [म०] १. सिद्धात । नियम । विधि १२ प्रकरण । सीधा किया हुआ । अनुकूल किया हुआ [को०] । प्रगुणी-4 [ स० प्रगुणिन् ] गुणवान् । प्रघट्टक'-० [सं० प्रकट, हि० प्रगट, प्रघट] प्रगट करनेवाला। परिच्छेद ।