पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४३३

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लिगेंद्रिय । प्रजातंत्रवादी ३१४२ प्रजासत्ता प्रजा द्वारा कोई एक व्यक्ति चुन लिया जाता हो। वह स्थूल पात्मज्ञान प्राप्त किया था। पुरुषमेघ यज्ञ में प्रजापति शासनव्यवस्था जो जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि द्वारा के प्रागे पुरुष की बलि दी जाती है। पुराणो में ब्रह्मा के परिचालित हो। पुत्र अनेक प्रजापतियो का उल्लेख है। कही ये दस प्रजापति विशेष-ऐसी व्यवस्था में उस चुने हुए व्यक्ति को प्रायः राजा के कहे गए हैं-(१) मरीचि । (२) अनि। (३) पगिरा। समान अधिकार प्राप्त होते हैं, और वह प्रजा की चुनी हुई (४) पुलस्त्य । (५) पुलह । (६) ऋतु। (७) प्रचेता। किसी सभा या समिति प्रादि की सहायता से कुछ निश्चित (८) वशिष्ठ । (६) भृगु । (१०) नारद । और कहीं इन समय तक शासन का सब प्रवध करता है । गणतत्र । इक्कीस प्रजापतियों का उल्लेख है-(१) ब्रह्मा । (२) सूर्य । प्रजातंत्रवादी-वि० [हिं० प्रजातन्त्र + वादी ] प्रजातात्रिक शासन (३) मनु । (४) दक्ष । (५) भृगु । (६) धर्मराज । (७) व्यवस्था को माननेवाला । प्रजातन का अनुयायी।। यमराज । (5) मरीचि । (६) अगिरा । (१०) प्रति । (११) प्रजात-वि० [सं०] उत्पन्न (फो०] । पुलस्त्य । (१२) पुलह । (१३) ऋतु । (१४) वशिष्ठ । (१५) परमेष्ठी। (१६) विवस्वान् । (१७) सोम । (१८) प्रजातांत्रिक-वि० [सं० प्रजातान्त्रिक ] प्रजातत्र से सवचित । कर्दम । (१६) क्रोध । (२०) अर्वाक् पोर (२१) फ्रीत । प्रजातत्र का। २ ब्रह्मा। ३. मनु । ४. राजा। ५ सूर्य । ६ अग्नि । प्राग । प्रजाता-सषा स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसको पालक उत्पन्न हुपा ७ विश्वकर्मा। पिना। बाप । ६. घर का मालिक हो । प्रसूतिका । जच्चा। या वहा । वह जो परिवार का पालन पोषण करता प्रजाति-सज्ञा स्त्री० [स०] १ उत्पादन । प्रजनन । २ प्रजनन हो। १० एफ ताग। ११ जामाता। दामाद। १२ एक शक्ति । ३ सतति । सतान । प्रजा (को०] । प्रकार का यज्ञ। १३ साठ सवत्सरो में से पांचवा सवत्सर । प्रजाद-वि० [सं०] सतानदाता । सतति देनेवाला (को०) । १४ विष्णु का एक नाम (को०)। १५ पाठ प्रकार के विवाहों प्रजादा-सञ्चा स्त्री० [सं०] गर्भदा नाम की मोषधि जिससे बांझपन में से एक प्रकार का विवाह । विशेष- दे० 'प्राजापत्य' । १६ दूर होता है। प्रजापति-सज्ञा स्त्री० [सं०] गौतम बुद्ध को पालनेवाली गौतमी प्रजादान-सशा पुं० [ स० ] चाँदी । रजत । का नाम। प्रजाद्वार-संज्ञा पुं० [सं०] १ सूर्य का एक नाम । २ प्रजा या प्रजापाल, प्रजापालक-सशा पुं० [ स०] प्रजा का पालन करने- सतान उत्पन्न करने का साधन या उपाय । वाला-राजा। प्रजाधर-सज्ञा पुं॰ [सं०] विष्णु [को०] । प्रजापालन-सञ्चा पुं० [सं०] प्रजा का पालन करना [को०] । प्रजाध्यक्ष-सज्ञा पुं० [सं०] १ प्रजापति । २ सूर्य । प्रजापालि-सज्ञा पुं० [सं० ] शिव [को॰] । प्रजानती-रज्ञा स्त्री॰ [सं०] पहिता । विदुषी [को०) । प्रजापाल्य-सज्ञा पुं० [सं०] गजपद । राजा का पद [को०] । प्रजानाथ-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ ब्रह्मा । २ मनु । ३. दक्ष । ४ राजा। प्रजायी-वि० [सं० प्रजायिन् ] [वि० सी० प्रजायिनी ] उत्पन्न प्रजानिपेक-सज्ञा पुं० [सं०] गर्भाधान (को०। करनेवाला । पैदा करनेवाला (कोम। प्रजाप- सज्ञा पुं० [सं० ] राजा (को०] । प्रजायिनी--सझा स्त्री॰ [सं० ] माता । प्रजापति -सः पुं० [सं०] १ सृष्टि को उत्पन्न करनेवाला | प्रजारना +-क्रि० स० [सं० (प्रत्य०) प्र+हिं० जारना ] अच्छी वह जिसने सृष्टि उत्पन्न की है । सृष्टिकर्ता । तरह जलाना। उ०- (क) वाजहि ढोल देहि सब तारी। विशेष-वेदो और उपनिषदों से लेकर पुराणों तक में प्रजापति नगर फेरि पनि पूछ प्रजारी।—तुलसी (शब्द०)। (ख) के सबंध मे अनेक प्रकार की कथाएँ प्रचलित हैं। वैदिक प्रब्बत प्रजारि सो करत धार ।-पृ० रा०, ६१७४ । २. काल में प्रजापति एक वैदिक देवता थे और वे ब्रह्मा के उद्दीप्त करना। जलाना । उ०-विकसत नव बल्ली कुसुम पुत्र तथा सृष्टिकर्ता माने जाते थे। तैत्तिरीय ब्राह्मण में निकसत परिमल पाय । परसि प्रजारति विरह हिय वरसि लिखा है कि ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति सृष्टि को उत्पन्न करने रहे की वाय ।-विहारी (शब्द॰) । के उपरात माया के वश में होकर भिन्न भिन्न शरीरों में प्रजावतो-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ भाई की स्त्री। २. बड़े भाई की बँध गए थे और देवताओं ने एक प्रश्वमेघ यज्ञ करके उन्हें स्त्री । ३. प्रियव्रत राजा की स्त्री का नाम । ४. बहुत से लड़कों शरीरों से मुक्त किया था। ऐतरेय ब्राह्मण में लिखा है कि की माता। वह ली जिसे कई सताने हो। ५ गभवती स्त्री। प्रजापति ने अपनी उषा नाम की कन्या के साथ सभोग प्रजावृद्धि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] संतानों की बढती। सततिवृद्धि (को०] | किया था जिससे मृग नक्षत्र की उत्पत्ति हुई थी और वे प्रजाव्यापार-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] प्रजा का हितचितन या देख स्वय तथा उषा दोनो मिलकर रोहणी नामक नक्षत्र के रेख [को०] । रूप में परिवति हो गए थे। पादोग्य उपनिषद् में लिखा है प्रजासत्ता-सच्चा स्त्री० [स०] वह शासन व्यवस्था जिसमें किसी की इद्र ने प्रजापति से सूक्ष्म पात्मज्ञान तथा वैरोचन ने देश के निवासियो या प्रजा के चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन