पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४४२

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- / प्रसितूणी प्रतिनमस्कार प्रवृत्तियों का प्रतितुलन बराबर होता रहता है ।-भा० ६० उत्पन्न होने के स्थान पर फिर से सुनाई पड़ता है। अपनी ०, पृ०६०६। उत्पत्ति के स्थान पर फिर से सुनाई पडनेवाला शब्द । प्रति नाद । प्रतिशब्द । प्रतियुत । गूज। भावाज । वाजगश्त । प्रतितूणी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार का रोग जिसमे गुदा अथवा मूत्राशय से पीडा उठकर पेट तक पहुँचती है। जैसे,—(क) दूर की पहाडी से मेरी पुकार की प्रतिध्वनि सुनाई पड़ी। (ख) उस गु वद के नीचे जो कुछ कहा जाय, प्रतिदह-वि० [सं० प्रतिदण्ड ] अविश्वस्त । प्रविनयी । घृष्ट किो०] । उसकी प्रतिध्वनि वराबर सुनाई पड़ती है। प्रतिदत्त-वि० [सं०] १ लौटाया हुअा। वापस किया हुआ। २ विशेष-वायु मे क्षोभ होने के कारण लहरें उठती हैं जिनसे शब्द बदले में दिया हुमा। की उत्पत्ति होती है। जब इन लहरो के मार्ग में दीवार या प्रतिदान-सज्ञा पुं० [सं०] १ ली या रखी हुई चीज को लौटाना । चट्टान आदि की तरह का कोई भारी वाधक पदार्थ प्राता है वापस करना । २ एक चीज लेकर दूसरी चोज देना। परि तब ये लहरें उससे टकराकर लौटती हैं जिनके कारण वह शब्द वर्तन । विनिमय । बदला। फिर उस स्थान पर सुनाई पडता है जहाँ से वह उत्पन्न हुआ था। यदि वायु की लहरो को रोकनेवाला पदाथ शब्द उत्पन्न प्रविदारण-सज्ञा पुं० [०] १. सघर्प । युद्ध । लडाई । २. चीरना। होने के स्थान के ठीक सामने होता है तब तो प्रतिध्वनि फाडना (को० । उत्पन्न होने के स्थान पर ही सुनाई पडती है। पर यदि वह प्रतिदिवा-सज्ञा पुं० [सं० प्रतिदिवन् ] १ सूर्य । रवि । २ दिवस । इधर उधर होता है तो प्रतिध्वनि भी इधर या उघर सुनाई दिन [को०)। पडती है। यदि लगातार बहुत से शब्द किए जाय तो सब प्रतिदूत-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] वह दूत जो बदले में भेजा जाय [को० । पान्दो की प्रतिध्वनि साफ नही सुनाई पडती, पर शब्दो की प्रतिदृष्ट-वि० [स०] १. देखा हुआ । अवलोकित । दृष्टिगत । २. समाप्ति पर अतिम शब्द की प्रतिध्वनि बहुत ही साफ सुनाई प्रसिद्ध । ख्यात [को०] 1 पडती है । जैसे, यदि किसी वहुत बहे तालाब के किनारे या किसी बड़े गुबद के नीचे खड़े होकर कहा जाय 'हाथो या प्रतिदृष्टातसम-सञ्ज्ञा पु० [ मं० प्रतिदृष्टान्तसम ] न्याय मे एक प्रकार घोडा' तो प्रतिध्वनि में 'घोडा' बहुत साफ सुनाई देगा । की जाति। साधारणत प्रतिध्वनि उत्पन्न होने में एक सेकेंड का नवा प्रतिदेय-वि० [स०] १. जो प्रतिदान करने योग्य हो। जो बदलने मश लगता है, इसलिये इससे कम प्र तर पर जो शब्द होगे या लौटाने योग्य हो । २ जो ( वस्तु मादि ) क्रय करके फिर उनकी प्रतिध्वनि स्पष्ट नहीं होगी। शब्द की गति प्रति सेकेंड लोटाई जाय (को०)। लगभग ११२५ फुट है, अतः जहाँ बाधक स्थान शब्द उत्पन्न प्रतिद्वंद्व-सज्ञा पुं॰ [ स० प्रतिद्वन्द्व ] १. दो समान व्यक्तियो का होने के स्थान से (११२५ का पेटवा मश) ६२ फुट से विरोध । बराबरवालो का झगडा । २. विरोधो। पाशु (को०)। कम दूरी पर होगा, वहाँ प्रतिध्वनि नही सुनाई पडेगी ? सबसे प्रतिद्वदिता-सचा ओ० [सं० प्रतिद्वन्द्विता ] बराबरवाले की लडाई । अधिक स्पष्ट प्रतिध्वनि उसी शब्द की होती है जो सहसा और समान बल या बुद्धिवाले व्यक्ति का विरोध । अपने से जोर का होता है। प्राय बहुत बड़े वडे कमरो, गु वदो, समान व्यक्ति का विरोध । १ प्रतिद्व ही होने का भाव । तालाबों, कूपो, नगर के परकोटो, जगलो, पहाडो और तरा- इयो मादि में प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है। किसी किसी स्थान प्रतिद्वंद्वी'-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रतिद्व द्विन् ] बराबरी का विरोधी। पर ऐसा भी होता है कि एक ही पाव्द की कई कई प्रति- मुकाबले का लडनेवाला । शत्रु । ध्वनियां होती हैं। प्रतिद्वदी-वि० १ प्रतिकूल । विरोधी । २ शत्रुतापूर्ण (को०] । २. शब्द से व्याप्त होना। गूंजना । ३ दूसरो के भावो या प्रतिधा-सचा स्त्री० [०] पालेख्य [को०] । विचारो आदि का दोहराया जाना । जैसे,-उनके व्याख्यान प्रतिधान-सज्ञा पुं० [सं०] १. रखना। स्थापित करना। २. निरा- में केवल दूसरो की उक्तियों की प्रतिध्वनि ही रहती है। करण [को०] । प्रतिध्वनित-वि० [ स०] प्रतिध्वनि से परिपूर्ण । गुजित [को०] । प्रतिधाषन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] अाक्रमण । हमला [को०] । प्रतिध्वान-सज्ञा पुं० [स०] दे॰ 'प्रतिध्वनि' । प्रतिधि-सचा पुं० [स०] सध्या के समय पढ़ा जानेवाला एक प्रकार प्रतिध्वानिव-वि० [सं०] गुजित । मतिध्वनित को०)। वैदिक स्तोत्र । प्रविनदन-सझा पुं० [स० प्रतिनन्दन] १ वह अभिनदन जो प्रांशी- प्रसिधुनि-सञ्ज्ञा सी० [सं० प्रतिध्वनि ] दे० 'प्रतिध्वनि'। उ०- वर्वाद देते हुए किया जाय । २. स्वागत करना (को०)। ३. केह अपनी प्रतिधुनि सों अरें। गारि देहि बहुरयो हँसि परें। धन्यवाद देना (को०) । ४. बधाई देना (को॰) । नद० प्र०, २६०।- प्रतिनप्ता-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रतिनप्त ] प्रपौत्र । पुत्र का पौत्र [को०] । प्रविध्वनि-सशा मो० [सं०] १ वह शब्द जो ( उत्पन्न होने पर ) प्रतिनमस्कार-मश पुं० [ म० ] नमस्कार के बदले मे किया गया किसी बाधक पदार्थ से टकराने के कारण लौटकर अपने नमस्कार । प्रत्यभिवादन ।