पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४५३

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प्रतिसारणीय प्रतिहारक सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार का अग्निकार्य जिसमें गरम प्रतिस्फलन-ज्ञा पुं० [सं०] फैलाव । विस्तार । घी या तेल प्रादि की सहायता से कोई स्थान जलाया जाता प्रतिस्याय-सञ्चा पुं० [सं०] 70 'प्रतिश्याय'। है। बवासीर, भगदर, अर्बुद रोगो में यह विधेय है। ३ इस प्रतिस्राव-ज्ञा पुं॰ [स०] एक प्रकार का रोग जिसमें नाक मे से काय में प्रयुक्त होनेवाला उपकरण या भौजार (को॰) । पीला या सफेद रग का बहुत गाढ़ा कफ निकलता है। ४ मसूडों मे से वहनेवाला खून बद करने के लिये, उनकी सूजन दूर करने के लिये अथवा यों ही मुह साफ करने के प्रतिस्वन, प्रतिस्पर-सशा पुं० [ स० ] प्रतिध्वनि । प्रतिशब्द [को॰] । लिये किसी प्रकार का चूर्ण या अवलेह मादि लेकर उंगली प्रतिहंता-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रतिहन्तु ] १ रोकनेवाला । बाधक । २ से दातों या मसुडो प्रादि पर मलने को क्रिया । मजन । मुकाबले में खड़ा होकर मारनेवाला। प्रतिसारणीय'-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार की प्रतिहत-वि० [सं०] १ अवरुद्ध । रुका या रोका हुआ । २ क्षारपाकविधि जो हटाया हुआ । ३ फेंका हुमा । ४. गिरा हुपा । ५ निराश । । कुष्ट, भगदर, दाद, कुष्ठव्रण, झांई, मुहाँसे और बवासीर प्रादि में अधिक उपयोगी होती है । ६ कुठित । जो कोठ हो गया हो। जैसे, दाँत (को०)। ७ अपने शत्रु के द्वारा पीछे हटाया हुमा ( सैन्य ) । प्रतिसारणीय- वि० [म. ] प्रतिसारण के योग्य । हटाकर दूसरे विशेष-कौटिल्य ने प्रसिहत सेना को हतानवेग सेना से अच्छा पर ले जाने के योग्य कहा है, क्योकि यह छिन्न भिन्न भाग को फिर से जोडकर प्रतिसारा-मज्ञा स्त्री॰ [ सं० ] बौद्ध तात्रिकों के अनुसार एक प्रकार युद्ध के योग्य हो सकती है। की शक्ति जिसका मत्र धारण करने से सब प्रकार की विघ्न यौ.-प्रतिहतधी, प्रतिहतमति (१) विरोधो। (२) जिसकी बाघानो का दूर होना माना जाता है। मति अवरुद्ध हो । अवरुद्ध ज्ञान । प्रतिसारित-वि० [सं०] १ अपवारित । दूरीकृत । २ मरहम पट्टी प्रतिहित-सचा स्त्री॰ [स० १ रोकने या हटाने की चेष्टा । २ किया हुमा [को०] । 'वह प्राधात जो किसी के भाघात करने पर किया जाय । प्रतिसारो-वि० [सं०] विरोध या उलटी दिशा में जाने वाला [को०] । प्रतिघात । ३ टक्कर । ४ क्रोध । गुस्सा। ५ कुठा। प्रतिसीरा-सज्ञा स्त्री॰ [ म० ] यवनिका । परदा । नैराश्य (को०)। प्रतिसूर्य-संज्ञा पुं० [सं०] १ सूर्य का महल या घेरा । २ भाकाश प्रतिहनन--सज्ञा पुं० [सं०] बदले मे प्राघात करना । प्रत्याघात [को॰] । मे होनेवाला एक प्रकार का उत्पात जिसमे सूर्य के सामने एक प्रतिहरण-यज्ञा पुं० [सं०] १ विनाश । वरवादी । २ निवारण । और सूर्य निकला हुमा दिखाई देता है । ३ गिरगिट । हटाना (को०)। प्रतिसर्यक-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] १ कृकलास । २ दे० 'प्रतिसूर्य' [को०] । प्रतिहर्ता-सझा पुं० [सं० प्रतिहतं.] १ यज्ञ मे उद्गाता का सहायक । प्रविसृष्ट-वि० [सं०] १ प्रेषित । भेजा हुप्रा । २ प्रत्याख्यात । यज्ञादि में १६ ऋत्विजो में से बारहवां ऋत्विज । २ वह जो निराकृत । ३ अनुष्ठित । दत्त । प्रदत्त । ४ क्षोव । मत्त । विनाश करे । ३ वह जो निवारण करे या हटावे । मतवाला (को०] । प्रतिहस्त, प्रविहस्तक-पज्ञा पुं० [सं०] प्रतिनिधि । प्रतिसेना-सक्षा मा० [सं०] शत्रु की सेना । दुश्मन की फौज । प्रतिक्षार-तशा पुं० [स०] १ द्वारपाल । दरवान । योढ़ीदार । प्रतिसोमा-सञ्ज्ञा सी० [स०] छिरेटा नाम की वेल । महिषवल्ली। उ.-प्राण | प्रतीक्षा में प्रकाश प्रो, प्रेम वने प्रतिहार ।- छिरहटा। युगवाणी, पृ० ६१ । प्रतिरकध-सज्ञा पुं० [ स० प्रतिस्कन्ध ] पुराणानुसार कार्तिकेय के यौ०-प्रतिहारभूमि = वह स्थान जहाँ प्रतिहार वैठता है। एक मनुचर का नाम । ड्योढ़ी। प्रतिहाररमो द्वाररक्षिका । प्रतिहारी। प्रतिस्त्री-सज्ञा स्त्री० [म०] दूसरे की स्ली। परकीया । परस्त्री [को०] । २ द्वार । दरवाजा । योढ़ी । ३ प्राचीन काल का एक राज- प्रतिस्नात-वि० [म.] नहाया हुमा। कृतस्नान । जो नहा चुका कर्मचारी जो सदा राजामो के पास रहा करता था मौर जो हो [को०)। राजामों को सब प्रकार के समाचार यादि सुनाया करता था। वहुधा पढ़े लिखे ब्राह्मण या राजवश के लोग इस पद पर प्रतिस्नेह-सरा पुं० [सं०] वह प्रभाव जो किसी के प्रेम करने पर नियुक्त किए जाते थे।४ चोवदार । नकीव । ५. सामवेद व्यक्त हो । प्रेम का प्रतिदान [को०] । ' गान का एक भग। ६ मायावी। ऐंद्रजालिक । वाजीगर । प्रतिस्पदन-सशा पुं० [सं० प्रतिस्पनून ] स्पदन । स्फुरण [को०] । ७ एक प्रकार की सघि । दे० 'प्रतीहार-२'। ८ इद्रजाल । प्रतिस्पर्द्धा-सञ्ज्ञा सी० [सं०] १ किसी काम में दूसरे से बढ़ जाने वाजीगरी (को०)। ६ हटाना । पीछे करना। निवारण करना की इच्छा या उद्योग । लाग डॉट । चढ़ा ऊपरी । २. झगडा । (को०) । १०. पुराण के अनुसार परमेष्ठी के पुत्र (को॰) । प्रतिस्पर्धी-वधा पुं० [स० प्रतिस्पर्दिद्धन्] १ वह जो प्रतिस्पर्धा करे। प्रतिहारक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ इद्रजाल दिखानेवाला । बाजीगर । मुकावला या बरावरी करनेवाला । २ उद्दड । विद्रोही। २. वह प्रतिहार जो सामगान करता हो। ३ बुलावा देने प्रतिस्पर्धा-सज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'प्रतिस्पर्धा' । वाला या पामत्रण करनेवाला राज्याधिकारी।