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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४६०

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प्रत्यवमर्शन ३१६६ प्रत्यादेश प्रत्यवमर्शन-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] दे० 'प्रत्यवमर्श'। सकता। उ०और जो गांठ तिरछी प्रगट भई होय तो -प्रत्यवर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] जो सबसे अधिक निकृष्ट हो। सबसे उसको प्रत्यष्ठीला कहते हैं।-माधव०, पृ० १४६ । खराब । निकृष्टतम । प्रत्यस्तमय-मशा पु० [स०] १ समाप्ति । प्रत। खासमा । २ प्रत्यवरूढि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] दे० 'प्रत्यवरोह'-१,-२ । अस्तमन | ( सूर्य का ) दूदना या अस्त होना को०)। प्रत्यवरोध, प्रत्यवरोधन-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०]वाघा । अडचन । रोक [को॰] । प्रत्याकरण-मशा पु० [सं०] प्रतिक्रिया। प्रत्याख्यान । उ०-शायद प्रत्यवरोह-सचा पुं० [स०] १ अवरोहण । उतरना। २ सीढी । इसी का प्रत्याकरण हो जो पीछे मेरे लिये जरूरी हो पडता ३ वैदिक काल का एक प्रकार का गृह्य उत्सव जो अगहन है।-सुखदा, पृ०५४ ॥ मास में होता था। प्रत्याकार-सहा पु० [म.] खड्गकोश | म्यान [को०] । प्रत्यवरोहण-सज्ञा पु० [ स०] दे० 'प्रत्यवरोह' । प्रत्याक्रमण-सञ्चा पु० [ स०] आक्रमण के विरोध मे अाक्रमण । प्रत्यवलोकन-सज्ञा पु० [ स०] पर्यवेक्षण । देखना । निरीक्षण । एक पक्ष से आक्रमण हो जाने के बाद प्रतिक्रिया स्वरूप दूसरे दर्शन। 30---स्पष्ट ही केवल यात्रा का प्रत्यवलोकन काफी पक्ष से आक्रमण । नहीं है।-नदी०, १०८। प्रत्याख्यात-वि० [सं०] १ अस्वीकृत । २ निपिद्ध । रोका हुआ। प्रत्यवसानसशा पुं० [स०] भोजन । खानापीना । ३ अतिक्रमित । आगे बढ़ा हुआ। ४ दूरीकृत । अलग प्रत्यवसित-वि० [सं०] १ खाया पिया हुआ। २ जिसने पुराना किया हुआ। ५ सुचित | प्रख्यात । ख्यात । प्रसिद्ध [को०] । (बुरा) जीवन ग्रहण कर लिया हो [को॰] । प्रत्याख्यान-सचा पु० [स०] १ खडन । २ निराकरण । प्रत्यवस्कद-सचा पुं० [सं० प्रत्यवस्कन्द ] दे० 'प्रत्यवस्कदन' [को०) । प्रत्यागत'-सच्चा पुं० [म०] १ पैतरे का एक प्रकार । उ०-- गत प्रत्यागत में पीर प्रत्यावर्तन मे दूर वे चले गए। -लहर, प्रत्यवस्कंदन-सशा पुं० [सं० प्रत्यवस्फन्दन ] व्यवहार शास्त्र के पृ० ७३ । २ कुश्ती का एक पेच । अनुसार प्रतिवादी का वह उत्तर जो वादी के कथन का खडन करने के लिये दिया जाय । जवाबदावा । जवाबदेही। प्रत्यागत-वि० जो लौट पाया हो । वापस आया हुआ । प्रत्यागति-सशा खी० [ स० ] पीछे लौटना । वापस होना (को०)। प्रत्यवस्थाता-सज्ञा पुं॰ [ स० प्रत्यवस्थातृ ] १ विरोधी । शत्रु । २. प्रतिपक्ष । प्रतिवादी । मुद्दालेह (को०] । प्रत्यागम-सज्ञा पुं० [स०] दे० 'प्रत्यागमन' [को०] । प्रत्यवस्थान-सशा पुं० [सं०] १. हटाना । अलग करना। २. प्रत्यागमन-मज्ञा पुं० [सं०] १ लौट माना। वापसी । २ दोबारा भावुता । विरोध [को०] । आना । तुनरागमन । प्रत्यवहार-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ सहार । मार डालना। २ प्रलय । प्रत्याघात-सज्ञा पुं० [सं०] १ चोट के बदले की चोट । वह प्राघात जो किसी आघात के बदले मे हो । २ टक्कर । विनाश (को०)। ३ लड़ने के लिये तैयार सैनिको को लडने प्रत्याचार-सञ्ज्ञा पु० [स०] सद्व्यवहार । अनुकूल व्यवहार [को०] । प्रत्यवाय-सज्ञा पुं० [सं०] १ वह पाप या दोष जो शास्त्रो में बत प्रत्यादान-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] पुन ले लेना । फिर से ले लेना । पुन - प्राप्ति (को०] । लाए हुए नित्य कर्म के न करने से होता है। २ उलटफेर । भारी परिवर्तन । ३ जो नही है उसका न उत्पन्न होना प्रत्याताप-सज्ञा पुं॰ [सं०] वह स्थान जहाँ घाम बराबर रहती हो। या जो है उसका न रह जाना । ४ विघ्न । बाधा (को॰) । सूर्यातपयुक्त स्थान [को०] । ५. पाप (को०)। ६. दुरदृष्ट । दुर्भाग्य (को०) । ७ निर्दिष्ट प्रत्यादित्य-सज्ञा पुं० [सं०] दे॰ 'प्रतिसूर्य' । कर्म के विरुद्ध भाचरण (को०) । प्रत्यादिष्ट-वि० [सं०] १. स स्तुत । स्वीकृत । २ अस्वीकृत । प्रत्यवेक्षण-सक्षा पुं० [स०] किसी बात को बहुत अच्छी तरह निराकृत । ३ पृथक किया हमा। अलग किया हुप्रा । ४ देखना, समझना या जांचना । भली भांति जानना । चेताया हुमा । सावधान किया हुप्रा । ५. घोपित। प्रत्यवेक्षा-सच्चा स्त्री० [स०] बौदो मे पांच प्रकार के बोध या सुचित । ६ विजित । हराया हुप्रा को । ज्ञान में से एक का नाम [को०] । । प्रत्यादेय-सञ्ज्ञा पु० [सं० ] 'प्रादेय' से उलटा लाभ । यह लाभ जा प्रत्यवेक्षा-सझा खी० [सं०] दे० 'प्रत्यवेक्षण' [को०] । लौटाना पड़े। प्रत्यश्मा-सचा पुं० [सं० प्रत्यश्मन् ] गेरू । गैरिक धातु । विशेप-कौटिल्य ने इसे बुरा कहा है, केवल कुछ विशेष अवस्थाओ मे ही ठीक बताया है। प्रत्यष्ठीला-संज्ञा पुं० [सं०] सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार का वात रोग जिसमे नाभि के नीचे पेड़ में एक गुठली सी हो प्रत्यादेयाभूमि-सज्ञा जी० [ स० ] कौटिल्य के अनुसार वह भूमि जिसको लौटा देना पड़े। जाती है जिसमें पीड़ा होती है। यदि गुठली में पीडा न हो तो उसे 'वातष्ठीला' कहते हैं। गुठली मलमूत्र के द्वार रोक प्रत्यादेश-शा पुं० [सं०] १ खडन । २. निराकरण। देती है जिसके कारण रोगी मलमूत्र का त्याग नहीं कर आकाशवाणी । ४ प्राज्ञा । प्रादेश (को०)। ५. चेतावनी से रोकना।