पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४८३

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प्रयोग ३१६२ प्रयोजनीय ५ अभिनय । नाटक का खेल । स्वांग भरना। ६ रोगी के प्रयोजक'-प्रज्ञा पुं० [सं०] १ प्रयोगकर्ता । अनुष्ठान करनेवाला । दोषों तथा देश, काल और प्रग्नि का विचारकर प्रौषध २ काम में लगानेवाला । प्रोत्साहक । प्रेरक । ३. नियता। की व्यवस्था । उपचार । ७ यज्ञादि कर्मों के अनुष्ठान का व्यवस्था रखनेवाला। इतजाम रखनेवाला। ४ वह जिसके बोध करनेवाली विधि। पद्घति । ८ दृष्टात । निदर्शन सामने किसी के पास धन जमा किया जाय या जो अपने १. साम, दह प्रादि उपायो का अवलबन। १०. धन की सामने किसी से किसी के यहां धन जमा करावे । ५ कार्य वृद्धि के लिये ऋणदान । रुपया बढने के लिये सूद पर दिया रूप में करके दिखानेवाला। प्रदर्शन करनेवाला (नाटक) । जाना। ११ घोसा। १२. अनुमान के पाँचो अवयवो का ६ प्रथादि का लेखक । लेखक (को०)। ७ आरंभक । उच्चारण। १३ प्रक्षेपण । फेंकना (को०)। १४ प्रारभ । सस्थापक । प्रवर्तक (को०)। ८ शास्ता । व्यवग्थाकार (को॰) । शुरुवात (को०)। १५ परिणाम । फल (को०)। १६. प्रयोजक-वि०१ काम में नियुक्त करनेवाला । २ प्रेरक । ३ समिश्रण । सबद्घता (को०)। प्रभावशाली (को०) । ४ कारणभूत [फो०] । प्रयोगज्ञ-वि० [सं० ] दे॰ 'प्रयोगनिपुण' । प्रयोजन-सधा पुं० [सं०] १. कार्य । काम | अर्थ । जैसे,—तुम्हारा प्रयोगत.-मव्य० [सं० प्रयोगतस्] १ प्रयोग की दृष्टि से । २ यहाँ क्या प्रयोजन है ? २ उद्देश्य । अभिप्राय । मतलव । परिणामत | ३ कार्य की दृष्टि से । कार्यत । ४ प्रयोगा- गरज । प्राशय । नुसार (को०)। विशेष-याय में जो सोलह पदार्थ माने गए हैं उनमें 'प्रयोजन' प्रयोगनिपुण-वि० [म० ] कुशल अभ्यासी (को०] । चौथा है। जिस उद्देश्य से प्रवृत्ति होती है उसका नाम है प्रयोगवाद-सज्ञा पुं० [सं० प्रयोग+साद ] आधुनिक काव्य की प्रयोजन । तत्वदृष्टि से प्रात्यतिक दुखनिवृत्ति ही ससार एक विशिष्ट धारा। मे मुख्य प्रयोजन है, शेप सव गौण प्रयोजन हैं। जैसे, विशेष-प्रयोगवाद अंग्रेजी शब्द एक्सपेरिमेंटलिज्म की छाया भोजन के लिये हम रसोई पका हैं, इसमे भोजन है जिसमें नए मागों का अन्वेषण तथा शिल्प और विषय दोनो करना एक प्रयोजन है, रसोई पकाने के लिये ईधन पादि को नवीनता प्राप्त होती है। यह वाद मुख्यत प्राचीन इकट्ठा करते हैं इनसे रसोई बनाना भी प्रयोजन हुआ। काव्यधारा की परपरा-छद, भाव, विषय, भाषा पादि फा पर जब हम इस बात का विचार करते हैं कि भोजन विरोध करता है। विषय पौर शिल्प दोनो क्षेत्रो में विदेशी क्यो करते हैं तो क्षुधा के दुख की निवृत्ति मुख्य प्रयोजन कवियों का प्रभाव प्रयोगवाद पर बहुत अधिक है । विषय ठहरती है और शेष प्रयोजन गौण हो जाते हैं। इसी प्रकार को दृष्टि से प्रयोगवादी कवि किसी एक सिद्घात के अनुवर्ती संसार में जितने प्रपोजन हैं सासारिक निवृत्ति के प्रागे वे नहीं हैं। गौण ठहरते हैं। प्रयोगाविशय-सज्ञा पुं॰ [स०] नाटक मे प्रस्तावना का एक भेद ३ उपयोग। व्यवहार । उ०-यह वस्तु तुम्हारे किस प्रयोजन जिसमें प्रयोग करते करते घुणाक्षर न्याय से (मापसे धाप ) की है। ४ लाभ । फायदा (फो०)। दूसरे ही प्रकार का प्रयोग कौशल से हो जाता हुआ दिखाया प्रयोजनवतो लक्षणा-मज्ञा स्त्री० [सं० ] वह लक्षणा जो प्रयोजन जाय और उसी प्रयोग का माश्रय करके पात्र प्रवेश करें। द्वारा वाच्यार्थ से मिन्न अर्थ प्रकट करे। जैसे, कुदमाला नाम के स स्कृत नाटक में सूत्रधार ने नृत्य के लिये अपनी भार्या को बुलाने के प्रयोग द्वारा सीता और विशेप-लक्षणा दो प्रकार की होती है, प्रयोजनवती मौर लक्ष्मण का प्रयोग सूचित किया और उस प्रयोग का रूढि । 'बहुत सी तलवार मैदान में आ गई' इस वाक्य मे अवलवन करके सीता और लक्ष्मण ने प्रवेश किया। यदि हम तलवार का अर्थ तलवार ही करके रह जाते हैं तो अर्थ मे पाया पडती है। इससे प्रयोजनवश हमे तलवार प्रयोगार्थ-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वह गौण कार्य जिससे मुख्य कार्य की का अर्थ तलवारबद सिपाही लेना पड़ता है। अत. जिस सिद्धि हो । प्रत्युत्क्रम । लक्षणा द्वारा यह प्रथं लिया वह प्रयोजनवती हुई। पर कुछ प्रयोगाई-वि० [सं०] जिसका प्रयोग किया जाय । प्रयोग के योग्य । लक्ष्यार्थ रूढ़ हो गए हैं। जैसे 'कार्य कुशल'। फुशल का प्रयोगार्हता-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ प्रयोग की उपयोगितो या शब्दार्थ कुश इकट्ठा करनेवाला होता है, पर यह शब्द दक्ष व्यावहारिकता । २. प्रयोग मे पाने की योग्यता या शक्ति । या निपुण के अर्थ में रूढ हो गया है। इस प्रकार का अर्थ प्रयोगी'-सा पुं० [सं० प्रयोगिन् ] प्रयोग करनेवाला व्यक्ति । रूढि लक्षण द्वारा प्रकट होता है। व्यवहार में लानेवाला । अनुष्ठानकर्ता। प्रयोजनवान् –वि० [सं० प्रयोजनवत् ] [ वि० सी० प्रयोजनवती ] प्रयोगी-वि० १ प्रयोक्ता। जो प्रयोग करे। २ प्रेरक । ३ लक्ष्य १ प्रयोजन रखनेवाला । मतलब रखनेवाला । २. मतलबी। वा उद्देश्ययाला । उद्देश्ययुक्त [को०] । स्वार्थी (को०) । ३ उपयोगी । हितकर । उपयुक्त (को॰) । प्रयोग्य-सञ्ज्ञा पुं० [०] सवारी में जोता जानेवाला घोड़ा या प्रयोजनीय-वि० [सं०] [ सञ्ज्ञा सी० प्रयोजनीयता, प्रयोज्यता ] कोई अन्य जानवर । सवारी खीचनेवाला पशु [को॰] । काम का । मतलब का । प्रयोग के लायक ।