पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५२९

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प्रियंगु ३२३८ प्रियमंडन प्रियगु-सचा त्री० [म० प्रियङ्ग] १ कैंगनी नाम का अन्न । २ प्रियजानि-पुं० [सं०] दे॰ 'प्रियकला' [को०]। राजिका । ३. पिप्पली । पीपल । ४ फुटको । ५ राई । प्रियजीव-सशा पु० [मं०] सोनापाठा । प्रियगू-संज्ञा पुं॰ [सं० प्रियङ्ग] दे० 'प्रियगु' । प्रियतम'-वि० [सं०] [वि० श्री. प्रियप्तमा] सबसे अधिक प्यारा | प्रियद-वि० [स० प्रियन्दद] प्रिय वस्तु देनेवाला। इंसिद्ध वस्तु प्राणों से भी बढ़कर प्रिय । देनेवाला [को०] । प्रियतम-राज्ञा पुं० १ स्वामी। पति । २ प्यारा। अत्यत प्रिय प्रियवद्'--सञ्ज्ञा पुं० [स०] १. खेचर। पाकाशचारी। पक्षी । व्यक्ति । ३. मोरशिखा नाम का वृक्ष । २ एक गधर्व का नाम । प्रियतमता-सरा रत्री० [सं०प्रियतम +ता (प्रत्य॰)] मतीव प्रियता । प्रियवद्-वि० [खी० प्रियवदा] प्रिय वचन कहनेवाला । मीठा अत्यंत प्रिय होने का भाव । उ०-मूतन प्रियता का प्रियतमता बोलनेवाला । प्रियभाषी। समता नृतन । -मपरा, पृ० २१२ । प्रियवदा-सज्ञा [स्रो०] १ अभिज्ञान शाकुंतल में शकु तला की एक प्रियतमा'-तचा म्भी० [सं०] १ पत्नी । २. प्रिया [को०)। सखी । २ एक वृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में नगण, प्रियतमा-वि० सबसे अधिक प्यारी । प्रत्यत प्रिय (स्त्री)। भगण, जगण और रगण (un, 11, 151, sis) होता है और ४४ पर यति होती है। जैसे-न भज रे हरिजु सो की प्रियतर-वि० [सं०] अत्यत प्रिय [को॰] । नरा । जिहि भज हर विधी सुनिर्जरा । प्रियता-सहा सी० [सं०] प्रिय होने का भाव । प्रिय'-पुं० [स०] [खी० प्रिया] १. स्वामी । पति । २ जामाता। प्रियतोपण-सशा पुं० [सं०] १. वह जिससे प्रिय सतुष्ट हो। २ एक जवाई। दामाद । कन्या का पति। ३ कार्तिकेय । स्वामि प्रकार का रतियप। कार्तिक । ४ एक प्रकार का हिरन । ५ जीवक नाम की प्रियत्व-सज्ञा पुं० [स०] प्रिय होने का भाव । प्रौषधि । ६. ऋद्धि । ७. धर्मात्मा और मुमुक्षुत्रों को प्रसन्न प्रियद-वि० [सं०] जो प्रिय वस्तु दे। करनेवाला और सबकी कामना पूरी करनेवाला, ईश्वर । ८ प्रियदत्ता-सज्ञा स्त्री० [सं०] पृथ्वी । कंगनी। ६ हित । भलाई । १० वेत। ११ हरताल। प्रियदर्श-वि० [सं०] दे॰ 'प्रियदर्शन' । १२ धारा दब। प्रियदर्शन'-वि० [सं०] [खी० प्रियदर्शना] जो देखने में प्यारा सगे । प्रिय -१ जिससे प्रेम हो। पारा । २ जो भला जान पड़े। शुभदर्शन । सु दर । मनोहर । ३ महंगा। खर्चीला (को॰) । प्रियदर्शन-सज्ञा पुं० १. खिरनी का पेड़ । २ तोता । ३. एक गधव प्रियक-सञ्चा पु० [सं०] १ पीतसालक । पियासाल नाम का वृक्ष । का नाम । २ कदम का पेड । ३ कॅगनी नामक अन्न । ४ फेसर । प्रियदर्शी-वि० [स० प्रियदर्शीन् ] सयको प्रिय देखने या समझने- ५ धारा कदव । ६ चितकधरा हिरन जिसके रोएँ रग- वाता । सयसे स्नेह करनेवाला । मनोहर । बिरगे, मुलायम, घड़े पौर चिकने होते हैं। चित्र भृग । ७ प्रियदर्शी-मशा पुं० प्रशोक की एक उपाधि । अशोक का नाम । पाहद की मक्खी। भ्रमर । भौरा (को०)। 8 एक पक्षी। प्रियदेवन-वि॰[स०]द्यूतक्रीडा का प्रेमी । जिसे जुप से प्रेम हो [को०] । प्रियकर-वि०१ प्रानद देनेवाला।२ हितकर [को०) । प्रियधन्वा-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रियधन्वन् ] शिव । प्रियकलत्र-सज्ञा पुं० [सं०] वह पति जो मपनी पत्नी को बहुत प्यार प्रियनिवेदन-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] सुसमाचार [को०] । करता हो [को०] । प्रियपात्र-वि० [सं०]जिसके साथ प्रेम किया जाय । प्रेमपात्र। प्यारा। प्रियकाक्षी-वि० [स० प्रियकाडि छन् ] मला चाहनेवाला । हितकारी। प्रियवादिनो-सज्ञा सी० [सं० प्रियवादिनी ] राजवल्ली। उ.- शुभाभिलाषी। मबिप्टा प्रियवादिनी, राजपुत्रिका भाहि । -नद० प्र., पृ० १०५। प्रियकाम-सज्ञा पुं० [सं०] भला चाहनेवाला । हितकारी। शुभ- चितक। प्रियव्रत-सज्ञा पु० [ स० प्रियग्रत] प्रियव्रत । उ०- मतिराम कहत प्रियकारक-सञ्ज्ञा पुं० [स०] दे० 'प्रियकाम'। प्रियव्रत प्रताप मैं, प्रवल बल पृथु, पारपहि वा पन में। -मति०प्र०, पृ. ३७३ । प्रियकारी'-वि० [सं० प्रियकारिन्] दयापूर्ण व्यवहार करनेवाला। प्रियभापण-सज्ञा ॰ [स०] मधुर वचन बोलना। ऐसी बात कहना प्रियकारी-सज्ञा पुं०१. मित्र । २ हितकारी [को०] | जो प्रिय लगे। प्रियकृत-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ प्रिय करनेवाला मित्र । २. विष्णु का प्रियभाषी-वि० [सं० प्रियभापिन् ] [ सी० प्रियभाषिनी ] मधुर एक नाम । वचन बोलनेवाला | मीठी बात कहनेवाला । प्रियजन-सज्ञा पु० [सं०] १ सगा सबधी ।२ प्रिय व्यक्ति । प्रियमहन-वि० [ स० प्रिंयमण्डन ] जिसे माभूषण, शृंगार प्रिय प्रियजात-देश० पुं० [सं०] मग्नि का एक नाम । हो [को०] । .