प्रेस ऐक्ट २२४७ प्रोज्झित प्र० का काम होता है। छापने की कल । ३ वह स्थान जहाँ प्रॉठ-सञ्ज्ञा पु० म०प्रोयठ ] पीकदान । उगालदान । पुस्तको आदि की छपाई का काम होता हो। छापाखाना । प्रोक्त'-वि० [सं०] कथित । कहा हुमा। २. पूर्वाक्त । पूर्व- मुहा०-(क्सिी चीज का ) प्रेस में होना = (किसी चीज की) सूचित (को०)। छपाई का काम जारी रहना। छपना । जैसे, अभी वह प्रोक्त-क्रि० वि० कथित या सूचना होने के बाद [को०] । पुस्तक प्रेस मे है। प्रोक्लेमेशन-सा पु० [ ] १. राजाज्ञा या सरकारी सूचनायो यौ०-प्रस ऐक्ट । प्रस कम्यूनिक । प्रेस मशीन । प्रेस रिपोर्टर। का प्रचार । घोषणा । एलान । २ ढिंढोग। डुग्गी । प्रेस ऐक्ट-सज्ञा पुं० [५०] वह कानून जिसके द्वारा छापाखानेवालो प्रोक्ष-वि० [सं० परोक्ष] दे० परोक्ष ' ३०-देह ई को बब मोक्ष के अधिकारो और स्वतत्रता चादि का नियत्रण होता है। देह ई मप्रोक्ष प्रोक्ष, देव ई क्रिया कर्म शुभाशुन ठान्यौ है। विशेष-ऐसा कानून उनको उच्छृ खल होने, राजकीय प्रयवा -सु दर० ग्र०, भा०२, पृ० ५६२ । सामाजिक नियमो को तोडने, अथवा इसी प्रकार के और काम प्रोक्षणा–सञ्चा पुं० [स० ] पानी छिडकना। २. यज्ञ मे वध के करने से रोकता है। जो छापाखानेवाले ऐसे नियमो का भग पहले बलिपशु पर पानी छिड़कना। ३ पानी का छीटा। करते हैं, उन्हे इसी कानून के द्वारा दड दिया जाता है। ४ वध। हिंसा। हत्या । ५ विवाह की परिछन नामक प्रेस कम्यूनिक-सा पु० [ भ० प्रेस + कम्यूनिक ] किसी विषय रीति । ६ श्राद्ध आदि मे होनेवाला एक सस्कार । के संवध मे वह सरकारी विज्ञप्ति या वक्तव्य बो अखबारो प्रोक्षणी-शा श्री० [ स०] १. यज्ञ का वह पात्र जिसमे पशु पर को छापने के लिये दिया जाता है। जैसे,—सरकार ने प्रेस छिड़कनेवाला जल रहता है । २ कुश की मुद्रिका जो कम्यूनिक निकाला है कि अफसरो को डालियां आदि नजर होमादि के समय अनामिका में धारण की जाती है। न करें। प्रोक्षणीय'–वि० [स०] प्रोक्षण कार्य के योग्य । छिडका जाने, प्रेसमैन-सचा पुं० [प्र.] छापे की कल चलानेवाला मनुष्य । वह जो वाला [को०] । प्रेस पर कागज छापता हो। प्रोक्षणीय-सञ्ज्ञा पुं० प्रोक्षण कार्य में प्रयुक्त जल । वह जल जो प्रेस रिपोर्टर-शा पुं० [अ०] २० 'रिपोर्टर'-१॥ छिडका जाय (को०] । प्रसिडेंट-सचा पु० [4] १. किसी सभा या समिति यादि का प्रोक्षित'-वि० [सं०] १ सीचा हुना। २ जल का छीटा मारा प्रधान । सभापति । अध्यक्ष । २ राष्ट्रपति । जैसे, अमेरिका ! हुमा । ३ वष किया हुमा । मारा हुआ। ४. बलिदान के प्रेसिडट का निर्वाचन । प्रोसिडेंसो-सज्ञा स्त्री॰ [अं०] १. प्रेसिडेंट का पद या. कार्यः। प्रोक्षित-सञ्ज्ञा पुं॰ वह मास जो' यज्ञ के लिये सस्कृत किया सभापति का ओहदा या काम । २ ब्रिटिश भारत में शासन गया हो।। के सुबीते के लिये कुछ निश्चित प्रदेशो या प्रातों का किया विशेष-ऐसा मास खाने में किसी प्रकार का दोष नही माना हुआ विभाग जो एक गवर्नर या लाट की अधीनता में होता जाता है। या। बगाल प्रेसिडेसी, मदरास प्रेसिडेंसी और बबई प्रेसिडेंसी प्रोक्षितव्य-वि० [सं० ] जो प्रोक्षण के योग्य हो । ये तीन प्रेसिडेंसियाँ उस समय भारत में थी। प्रोग्राम-सञ्ज्ञा पु० [म.] १ किसी सभा, समाज, नाटक, सगीत प्रेस्क्रिप्शन-सहा सज्ञा पु० (म०) रोगी के लिये डाक्टर की लिखी अथवा व्यक्ति के होनेवाले कार्यों को सिलसिलेवार सूवी । होने- हुई औषध या दवा । औषध या दवा का पुरजा । नुसखा । वाले कार्यों आदि का निश्चित क्रम । कार्यक्रम । उ०-वरच, उ०-डाक्टरी प्रेस्क्रिप्शन के एक अत्यत कडवे मिक्सचर यात्रा के प्रोगाम का निर्माण ही कठिन था।-प्रेमघन०, की तरह उस भाव को चुपचाप एक घूट में पी गया । भा० २, पृ० १३२ । २ वह पत्र जिसमे इस प्रकार का कोई -न्यासी, पृ०४३६ । क्रम या स ची हो । कार्यक्रमसूचक पत्र । प्रैय-सञ्चा पु० [सं०] १ प्रिय का भाव । स्नेह । प्रेम । २ कृपा। प्रोच्चड-वि० [स० प्रोच्चपढ] अत्यत भयकर । अत्यत प्रचड [को०] । दया। प्रोच्छून-वि० [सं०] १. फैला हुमा । विस्तृत । २. सूजा हुमा [को०] । प्रयव्रत-सज्ञा पुं० [स०] वह जो प्रियव्रत के वश मे हो। प्रोज-सशा पुं० [ 10 ] गद्य । उ०—पोइट्री में बोलती थी प्रोज में प्रैप-सज्ञा पुं॰ [स०] १. क्लेश । कष्ट । दुख। २ मर्दन । ३ बिलकुल अडी-कुकुर०, पृ० १६ । उन्माद । पागलपन । ४ प्रेषण। भेजना। ५ वह शब्द या प्रोज्जासन-पञ्चा पुं० [स] हत्या । वध (को०] । वाक्य जिसमें किसी प्रकार की प्राशा हो। प्रोज्ज्वल-वि० [सं० (उप०) प्र + उज्ज्वल ] दीप्त । ज्योतिर्मय । प्रेषणिक-वि० [सं० ] आदेश माननेवाला (जैसे नौकर )। प्रगट । स्पष्ट । उ०--उसके भीतर का पुरुष प्राज्ज्वल हुया । प्रेष्य-सज्ञा पुं० [सं०] १. दास । सेवक । २ दासत्व । -सुनीता, पृ० २४७। प्रोंछन-सा पुं० [ स० प्रोञ्छन ] १ मिटाना । पोछना । २ बचे प्रोज्मन-सचा पुं० [ स०] त्याग । दुरीकरण [को०] । हुए मंश का चुनना (को०)। प्रोज्झित-वि० [सं०] त्यक्त । तिरस्कृत [को०] । किया हुआ।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५३८
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