२७४४ ही ' पहार पार-'] द्वार में उन। पहातो-.. [-] पटानी। पहिषा [0]१ छोटी तस्नी। पटिया। २ छोटा गट या चित्राट। ३ पपटे को छोटी पट्टी। ४ एक दिशामा । ५ रेशम वा फीता। ६ पठानी लोध । ७ थी। स प्रादि पर बांधने यो पट्टी (को०)। ८ घ-सामा (क)। पदिशग्य-शनी लोध । पटिपाटोत्र--- [] पठानी लोघ । पट्टिकाव्य । पहिल "- [-] पूनियरज । पलंग । पहिलोत्र--2] पठानी लोध । पहिलोप-7 [.] 20 'पट्टिलोध्र' । पदिग-""- ] एा प्राार पा प्राचीन शस्त्र या खांदा। विशेष-भारी वाई यी तीन मापें थीं। उत्तम ४ हाथ, मागम हाय प्रोर मपम ३ हाय लवा होता था। मुठिया बार पजानेवाने पी पनाई के बचाव के लिये लोहे की जानी बनी होती थी। पार इसमे दोनो भोर होती थी। मानगि 'पटा' रहते हैं वह इससे केवल लंबाई मे कम तोतापी-यातें दोनो मे समान हैं। पहिनी- [] १ पट्टिश बांधनेवाला । २. पट्टिश से सरनगा। पट्टिस-:"- [...] पट्टिश । पट्टा। पट्टी'--"'" - [" पहिरा] १ लकडी की वह लवोतरी, चौरस हो-निपटी पटरी जिमपर प्राचीन काल में विद्यार्थियों को पाठाि जाना या पोर अव भारभिक छात्रो को लिखना मिनाया। पाटी । पटिया । तस्ती। मुहा०-पट्टी पाना = गुग से पाठ प्राप्त करना । सवक पढ़ना । पही पाना = पात्र यो पट्टी पर लिखकर पाठ देना। सवक TIT २ पास गया । जैसे,-मैने यह पट्ट नहीं पढ़ी है। मि०प्र०-पर-पाना । 2 । निक्षा | सिगारन । जैसे,—(ग) यह पट्टी तुम्हें frमोरपी' (स) भाजपल तुम यिमको पट्टी पढते सोनी विधा जो बुरी नियत से दी जाय । वह चार सागर स्गरंमापन के लिये दे। बहकानेवाली गिग। मुजागा । परमा। झांसा । दम। --मरो जरा पट्टी पड़ा देना, फिर मेरा काम IT 70701 वि.ना--पा। T--पही में जाना = रिगी शां गुम अभिप्राय को न "दरसे मान सेना । पिसी फे परमे मिीमेटम में पा जाता। मी जो गाट पढाने पी सवाई में सगाई पाटी। : गा मागर पा पदे भी धज्जी। क्रि० प्र०-उतारना ।—काटना । तराशना । ७ कपडे की वह धज्जी जो घाव या अन्य किसी स्थान में बांधी जाय। क्रि० प्र०वधिना। ८ पत्थर का पतला, चिपटा और लवा टुकडा । ६ लकडी की लबी वल्ली जो छत या छाजन के ठाठ मे लगाई जाती है। १०: ठाठ की भोर की गल्लियो की पांती । ११ सन की बुनी हुई धज्जियां जिनके जोडने से टाट तैयार होते हैं। १३ कपडे की कोर या किनारी । १३ वह तत्ता जो नाव के बीचो बीच होता है । १४ एक प्रकार की मिठाई जिसमे चाशनी मे अन्य चीजें जैसे चना, तिल आदि मिलाकर जमाते और फिर उसके चिपटे, पतले और चौकोर टुबडे काट लिए जाते हैं। १५ सूती या ऊनी कपडे की धज्जी जिने सर्दी और थकावट से बचने के लिये टांगो में बांधते हैं। विशेष—यह चार पांच अगुल चौडी और प्राय पांच हाथ लवी होती है। इसके एक सिरे पर मजबूत कपडे की एक मौर पतली धज्जी टॅकी रहती है जिससे लपेटने के बाद ऊपर की ओर कसकर बांध देते हैं। अन्य लोग इसे केवल जाडे में बांधते हैं, पर सेना और पुलिस के सिपाहियो को इसे सभी ऋतुप्रो मे बांधना पडता है। १६ पक्ति । पाती । कतार । १७ मांग के दोनो मोर के क घी से खूब बैठाए हुए वाल जो पट्टी से दिखाई पड़ते हैं। पाटी। पटिया। उ०-नेल प्रो पानी से पट्टी है सँवारी सिर पर । मुंह पै माझा दिये जल्लादो जगे पाती है ।--भारतेंदु ग्र०, भा० ३, पृ० ७६०। विशेष-पट्टी अच्छी तरह बैठाने के लिये कुछ स्त्रियां बालो मे भिगोया हुआ गोद, अलसी का लुप्राव अथवा तेल और पानी भी लगाती हैं। क्रि० प्र०-ठाना ।-संवारना । महा०-पट्टी जमाना= मांग के दोनो ओर के बालो को गोद या लुग्राव मादि की सहायता से इस प्रकार बैठाना कि वे सिर में विलकुल चिपक जायें और पट्टी से मालूम होने लगें। पट्टी वैठाना या संवारना। १८ किसी वस्तु, विशेषत किसी सपत्ति का, एक एक भाग । हिम्मा । भाग । विभाग। पत्ती। १६ ऐसी जमीदारी का एक भाग जो एक ही मूल पुरुप के उत्तराधिकारियो या उनके द्वारा नियत किए हुए व्यक्तियो की सयुक्त सपत्ति हो। किसी जमीदारी का उतना भाग जो एक पट्टीदार के अधिकार मे हो । पट्टीदारी का एक मुख्य भाग । थोक का एक नाग । हिस्सा। यो०-पट्टीदार । पट्टीदारी । भुहा०-पट्टी का गाँव = पट्टीदारी गांव । वह गाँव जिसके बहुत मे मालिक हो और इस पारण उसमे मुअवध का प्रभाव हो । ३०-पटी का गांव और टट्टी या घर अच्छा नहीं होता। २० वह अतिरिक्त कर जो जमींदार किसी विशेष प्रयोजन के
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