पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/५१९

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मदकची ३७५८ मदज्वर-संशा पुं० [सं०] १. कामज्वर । २. बल या घमंड का नशा को। मदत@ - स्त्री० [अ० मदद ] सहायता। सहारा । ३० 'मदद' । उ०-जवही मीरा सपद साह की मदत पठाए । सिर उतारि कर लिए राप परि संमुख पाए।-ह० रासो, पृ०८४1 मदद-संज्ञा० [अ० ] १. सहायता । सहारा उपहलवान सो बखाने वली। मदद मीर हनना प्रौ अली।-नावमी (शब्द०)। यो०-मदद खर्च । मददगार । क्रि० प्र०--करना । देना। मुहा०-मदद पहुंचाना= कुमक पहुँचना । सहायता मिलना । २. मजदूर पोर राज पादिपो किसी काम के ऊपर लगाए जाते हैं । साथ काम करनेवालों का समूह । क्रि० प्र०-लगना।—लगाना । मु हा.-मदद बॉटना=काम पर लगे मजदूरों को मजदुरी वोटना वा देना । दैनिक मजदुरीनुकाना। मददखर्च-संशा जी० [प्र. मदद + फ़ा० ख] १. वह धन जो किसी को सहायतार्थ दिया जाय । २. वह धन जो कोई काम करने के लिये काम करनेवालों को भगा दिया जाय । HO पेशगी। से बनता है। पीने वाले इसकी छोटी छोटी गोलियों को चीलम पर रखकर तमाखु की भांति पीते है । यौ०-मदकची या मदकमाज = मद पीनेवाला। मदकची-वि० [हिं मदक+ची (प्रत्य॰)] जो मदक पीता हो । मदक पीनेवाला। मदकट-सज्ञा पुं॰ [स०] १. साह । २. नपुंप | पंड | हिजड़ा (को॰) । मदकमद्रम-वि॰ [ स०] ताड़ का पेड़ । मदकर'-वि० [१०] मदवर्धक | मदकारक । जिससे मद उत्पन्न हो । मदकर'-प्रज्ञा पु० धतूरा । मदकरी-सज्ञा पुं० [ मदरिन् ] मस्त हाषी । मदाध गज (को०] । मदकल-वि० [स०] १. मत्त । मतवाला। उ०-मदकल मलय पवन ले ले फूलों से । मधुर मरद बिंदु उसमे मिलाया था। -लहर, पृ०६८। २. बावला । पागल । ३. मद के कारण प्रस्पष्ट या धोरे धीरे वोलनेवाला (को॰) । मदको-वि० [हिं० मदक+ई (प्रत्य॰)] मदक पीनेवाला । मदकची। मदकूक-वि० [अ० मद्कूक ] १. तपेदिक का रोगी। क्षयरोगी। २. कुटा हुमा [को०] । मदकृत्-वि० [स०] उन्मादजनक । मादक । मदकोहत-सञ्ज्ञा पु० [सं० ] साड़। मदखूल-वि० [अ० मखूल ] प्रविष्ट । दाखिल किया हुमा [को०] । मदखूला-सज्ञा स्त्री॰ [अ० मखूलह ] वह स्त्री जिसे कोई विना विवाह किए ही रख ले या घर में डाल ले । गृहीता । रखनी। सुरैतिन । मदगंध-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० मदगन्ध ] १. छितवन । २. मद्य । मदगंधा-संज्ञा स्त्री० [स० मदगन्धा ] १. मदिरा। शराब । २. अतसी । अलसी। मदगमन-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] महिप । भैसा । मदगली-वि० [सं० मदकल ] मत्त । मस्त 1 30-साहि के सिवाजी गाजी सरजा समत्य महा मदगल अफजले पंजा बल पटक्यो ।- भूषण (शब्द॰) । मदपूर्ण-वि० [सं० मद+घूर्ण ] मद में धूरती या हिलती डोलती। उ.-देखतीं प्यासी आंखें थी रस भरी मांसों को मदघूर्ण। -झरना, पृ० २७॥ मदनी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] पोय । पूतिका । मदच्युत-वि० [सं० मदच्युत् ] १. गर्वनाशक । २. जिससे मद च्युत हो रहा हो । जैसे, हाथी (को०)। ३. मत्त । नशे में चूर (को०)। मदच्युत- सञ्चा पुं० इंद्र [को॰] । मदजल-पंक्षा पु० [स०] मत्त हाथी के मस्तक का स्राव । हाथी कामद। दान। मददगार-वि० [फा०] सहायता देनेवाला । मदद करनेवाला । सहायक। मददगार-संशा पु० [अ० मदद + फ़ा० गार (प्रा.)] मदद करनेवाला व्यक्ति । सहायता करनेवाला प्रादमी। सहायक व्यक्ति। मदद्र-संशा पु० [ स० ] नारियल का वृक्ष [को०] । मदद्विप-जा गु० [सं०] मद से मस्त हायो । मदारी को। मद्धार-सग पुं० [सं०] महाभारत के अनुसार एक पर्वत का नाम। मदन-संज्ञा पुं० [ म०] १. कामदेव । २. कामकोड़ा। उ०--वह कभी मदन तथा शारीरिक मानदों के लोभादि प्रपंचो ने नही फैसता।-कबीर मं०, पृ०२। ३. कामशास्त्र के अनुसार एक प्रकार का प्रालिंगन जिसमे नायक अपना एक हाप नायिका के गले में डालकर मोर दूसरा हाच मध्यदेश मे लगाकर उसका प्रालिंगन करता है। ४.मैनफल नामक वृक्ष भोर उसका फल । ५. धतूरा । ६.सेर । ७. मौलसिरी । ५. भ्रमर | ६. मोम । १०. प्रखरोट का वृक्ष। ११. महादेव के चार प्रधान अवतारो में से तीसरे मरतार का नाम । १२. मैना पक्षी। सारिका । १३. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म से सप्तम गृह का नाम । १४. एक प्रकार फा गीत । १५. प्रेम। १६. रूपमाल छंद का दूसरा नाम । १७ छप्पय के एक भेद का नाम । १८. खंजन पक्षी।