पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२२५

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मुस्क ३१८४ मुहताज मुसौवर खीच ले तसवीर गर तुझमे रमाई हो । --श्यामा०, मुस्तहकिम-वि० [अ० मुस्तहक्क्रीन] योग्य । ठीक । वाजिव । उ०- पृ०७३ । कम्फहम श्रादमी की गय मुस्तहकिम नहीं होती।-श्रीनिवास मुस्क-सशा पु० [अ० मुश्क ] कस्तूरी । दे० 'मुश्क' । उ०—है ग्र०, पृ० ३१ । न जटा, ए बार विराजत नील न ग्रीव में मुस्क लगाए। मुस्ता-मश स्त्री० [ 10 ] एक प्रार को घाम । मोया। सीस न चद कला ए 'गुविंद' मु पुस्पप्रभा विलसे सुखदाए। मुस्ताद-सज्ञा पुं० [ मं० ] जगती मूबर (जो मोये को जट खाता -पोद्दार अभि०ग्र०, पृ० ४३५ । मुस्किला-वि० [अ० मुश्किल दे० 'मुश्किल' । उ०—पढना गुनना चातुरी, यह तो वात सहल । काम दहन मन वगि करन, गगन मुस्ताभ-सा पुं० [सं०] नागरमोया (को०] । चढल मुस्कल |--सतवाणी०, पृ० ४६ । मुस्तु--सा पुं० [ म०] मुक्का | घूसा । मुट्टी को०] । मुस्की-मञ्शा स्त्री॰ [ हिं• ] दे० 'मुसकराहट' । मुस्तैद-वि० [अ० मुस्तश्रद, मुस्तइद ] १ जो किमी कार्य के लिये तत्पर हो । रानद्ध । २ चुस्त । चालाक । तेज । मुस्को'-वि० [फा० मुश्की ] दे॰ 'मुश्की' । मुस्क्यानg+-प्रज्ञा स्त्री॰ [हिं० ] दे० 'मुसकराहट' । मुस्तैदी -मशा सो० [अ० मुन्तश्रद+ई (प्रन्य०) मुन्नहद्दी ] १ सन्नद्धता । तत्परता । २ फुरती । उत्साह । मुस्टडा-वि० [ सं० पुष्ट ] १ मोटा ताजा । हृष्टपुष्ट । पुष्ट भुजदड- मुरतोजिर-मश पुं० [अ०] ठेके पर काम करनेवाला । ठेकेदार पिो०] ! वाला । २ वदमाश । गुडा । लुच्चा । शोहदा । मुस्त-सशा पु० [सं० ] [ सी० मुस्ता ] नागरमोथा। माथा नाम मुस्तौफी-यज्ञा पुं० [अ० मुस्तीफी ] वह पदाधिकारी जो अपने की घास । अधीनस्थ कर्मचारियों के हिमाव को जांच पन्नाल करे। प्राय- व्यय-परीक्षक । उ०-वामिल बाको स्याहा मुजलिम मब मुस्तक--सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] [ स्त्री० मुस्तफा ] नागरमोथा। मोथा । अधर्म की बाकी । चिगगुप्त होते मुस्तौफी शरण गहूं मैं काफो | यौ०-मुस्तगधा। मुस्तकगधा = नागरमोथा। उ०—मुस्तक- -सूर (शब्द०)। गधा खुदी मृत्तिका है इधर, वने प्रार्द्र पदचिह, गए शूकर जिधर । —साकेत, पृ० १३७ । मुत्र-सा पुं० [ स०] १ मूमन । २ अश्रु । प्रांमू फिो०] । मुस्तकिल-वि० [अ० मुस्तकिल ] १ अटल। स्थिर । २ पक्का। मुहगा-वि० सं० महार्य, प्रा० महन्ध ] दे० 'महंगा' । उ०-परि मजबूत । दृढ़। ३ स्थायी रूप से किमी पद वा काम पर बइठा ही श्राभरण, मोल मुहगा लेसि ।-टोला०, दू० २२५ । नियुक्त (को०)। मुद्द-सज्ञा पुं० [सं० मुख] दे० 'मुंह' । उ०—(क) पहिन नेवाला साई यौ०--मुस्तफिल मिजाज = स्थिरचित्त । दृढनिश्चयी । मुस्तफिल जाय मुह भीतर जवही। खण सूप भै रहइ गारी गाड़ दे हकदार = सपत्ति, विशेषतया भूमपत्ति का स्थायी अधिकारी। तबही । -कीर्ति०, पृ० ४२ । (ख) मुह मे सांट पेट मे विप ऐसे मुस्तकीम-वि० [अ० मुस्तकीम ] सरल । ऋजु। ठीक । सीधा । इम पुरुवंशी के फद मे फंसकर अव में निर्लज कहलाई सो ठीक उ०—यकीन जप में वई बदा हूँ कदीम। करनहार हूँ काम है।-शकुतला, पृ० ६५ । फिर, मुस्तकीम । —दक्खिनी०, पृ० ६१ । मुहकम - वि० [अ० ] हठ | पक्का । उ०—सूर पाप को गढ दृढ मुस्तगीस-सशा पुं० [अ० मुस्तगीस ] [ स्त्री० मुस्तगीसा ] १ वह कीन्हो मुहकम लाइ किंवारे।—सूर (शब्द०)। जो किसी प्रकार का इस्तगासा या अभियोग उपस्थित करे । मुहकमा-राज्ञा ० [अ० ] सरिश्ता । विभाग । सीगा। फरियादी । २ मुद्दई । दावेदार । मुहजब-वि० [अ० मुहज्जन] सस्कृत । शिष्ट । नागरिफ। मुस्ततील-सशा पु० [अ० ] अायत समकोण चतुर्भुज [को०] । शिक्षित । उ०-हिंदुस्तानी जवानो मे सबसे ज्यादा शान्ता मुरतदई-वि० [अ० ] अावेदफ । प्रार्थी [को॰] । और मुहज्जव जवान ग्वालियरी है। -पोद्दार अभि• ग्र०, मुस्तनद-वि० [अ० ] जो सनद के तौर पर माना जाय । विश्वास पृ०८७॥ करने के योग्य । प्रामाणिक । मुहतमिम-सया पुं० [अ०] वदोबस्त करनेवाला। इतजाम करने- मुस्तफा-वि० [अ० मुस्तफा ] १ पवित्र । पुनीत । निर्मल । जिसमे वाला । निगरानी करनेवाला । प्रवधक | व्यवम्यापक । मनुष्यों का कोई दुर्गुण न हो । २ चुना हुआ । श्रेष्ठ [को०] । मुहतरका-सज्ञा पुं॰ [?] वह कर जो व्यापार, वाणिज्य आदि पर मुस्तफीद-वि० [अ० मुस्तफीद] फायदा उठाने या चाहनेवाला। लगाया जाय। मुस्तशना—वि० [अ० मुस्तसना] १ अलग किया हुआ। छोटा मुहतरम-वि० [अ० मुहतरम ] मान्य । प्रतिष्ठिन । श्रेष्ठ (को॰] । हुआ। भिन्न । २ जो अपवाद स्वरूप हो। ३ उससे मुक्त किया मुहताज-वि० [अ० मुहताज़ ] १ जिसे किसी ऐसे पदार्थ की बहुत हुश्रा, जिसका पालन औरो के लिये आवश्यक हो। बरी किया अधिक आवश्यकता हो जो उसके पास विलकुल न हो। जैसे, हुआ। दाने दाने को मुहताज । उ०-कौडी कौडी को करूं, मैं सबको मुस्तहक-वि० [अ० मुस्तहक ] १ हकदार । अविकारी ।। २ योग्य । मुहताज ।-भारतेंदु ग०, भा॰ २, पृ० ४७३ । २ दरिद्र । पात्र। गरीव । कगाल । निर्धन ।