पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२४०

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६६६६ ४ HO मूल्य मूमल मूल्य--पि० १ प्रतिष्टा के योग्य । पादर के लाया । २. रोगने या gfa Tu-t7 ( { - 0 - 1 लगाने योग्य ( पौधा ) । ३ मूल मे रोनयाना । जो मृल मे मपिकधिपाय, 1 ० ] . मी गीगी नही हो (फो०) । ४ जड मे उसाटन योग्य । (गेत पी फमन, 117467 3117) जमे, उर्द, मूंग आदि)। गृपिकाला रन... [JATT नायर गिो गित मूल्यक-मज्ञा पुं० [ म० ] मूल्य । धन । पान । कोमन नि । हो गाने, मामा 'कि, मायनी दोग गाना मूल्यवान-वि० [स० मूल्यवत् ] जिसका दाम बहुत अधिक हो। उगले म तुम का कहना बड़े दाम का। कीमती। मृपिकम्बल-पुं० [सं०] १ बम्मी । बाबी bojI मूल्याकन-संज्ञा पुं० [ मै० मूल्याङ्कन] १ मिमी वस्तु का मूल्य निर्धा मूपियाय- पुं० [ म पिगा रित या निश्चित करना । २ किमी विशिष्ट क्षेत्र में किसी व्यक्ति मूपिसाचन- -० [1० मूपिता] गगे।। अथवा गृत की उपयोगिता एव महत्व TT 'प्रार न करना। मूपिका-सी [ 10 ] 'मोटा " । नुनिया । २ नमागणी उ०---रहीम हिंदी जगत् के ख्यातिप्राप्त कवि , रितु भी नर गा।३ तजगारानी। मूल (को०)। गा। उनकी काव्यगत विचारधारा का मूल्याकन नहीं हो पाया था। तिकी (20) -अकबरी०, पृ०८। मूपियाद- पु. [ 10 ] माजार । विवि | मूवमेंट-राश पुं० [अ० ] यह प्रयत्न या प्राोलन जो किगी उद्देश्य मूपिकार- पुं० [ म० ] नर । नूश | की मिद्धि या अभीष्ट फल की प्राप्ति के लिये एा या विक मापकारात- [ 1: 'भूपताद। व्यक्ति करते हैं। प्रादोलन । जैन, स्वदशो मूपगेट, नान मृपी - 777० [20] १ सोना यादि TIT यो परिया। २. कोप्रापरेशन मूरमेट । हा। मृश-स पुं० [फा० तुल० सं० मूप ( = चूहा)] मूपक । नहा को०) । मूपीक-'. पुं[ 10 ] [ मूगा ] TT नापि । यो०-गूगदान = दे० 'चूहादान' । मृपीकरण-7.1 पुं० [ #० ] पाग्या में भा गादि गलाने पी किया। मूशली-मज्ञा सी० [सं०] तालमूली । मूप्यायण-) पुं० [सं०] गुत व्यभिगार से उत्पन्न पुस । यह गूप-सज्ञा पुं० [सं०] १ चूहा । २ गोली विटकी । गवाक्ष (को) | जिगरे एका पता नहो। योगता । ३. सोना आदि गलान की कुल्हिया (को०) । मूस-। ० [म सप] ना। उ-मूग मारि दोल्लो भूपक-सज्ञा पुं० [सं०] १ चूहा । उ०-पल विनु म्वारध घर गरि-हम्मीर०, १० १० । अपकारी । अहि मूपक इव सुनु उरगारी ।-तुनी (गन्द०)। मूमदानी-7 ग्री० [हिं० मुम + १० दानी (म० पापा )] | २ तस्कर । चोर (को०)। पमान वा पिजजा। तासान। मूपकरी सशा स्पी० [सं०] गूमाकानी नाम की लता । अासुनौँ । मूसना-नि: ग. [ 30 भूपण ] गार जाने लगा। मृपरवाहन-सा पुं० [सं० ] गणेश । (र.) भूमा पांच नार प िदंगा। हालि मिशि मूपकमारो-सशा स्पी० [सं०] श्रुतर्थणी नाम की लता । गा।-नानाम (र.) । (ग) iT IT गय मृपण-मश १० [सं०] चुराना । मूमना कि०] । गनी, हमि के सा मन धन मूगं ।-मागे, [सं०] १ सोना प्रादि गलाने की परिया। तेजमा मा०२, १०८११। (ग) मा न्दिा ग नागार २ देवताउ वक्ष ३ गोग्यमापौरा।" न्ही पटानी कि गोमती मुहिया । मूपिा पो०) । ५ गवाक्ष । झरोगा। र मूरी-ल:०) । (५) सिा दर निस मूपाक f-7 सी० [सं० ] मूगागानी लता । मग । दिया नाटिकाम, चो।।-नारसी (मन)। मूपातुग्य-मा पु० [सं०] नोला योधा । तू नेया । मयोलमि-ले जाना [-लेना। मृापक-सा पु. [सं०] १ नृहा । गुमा । २ मि का। 7775-"*" 11 ] ! ! !'? Do शिरीष क्ष (को०)। ३ मूगनवाला । समर । । ५ महाभारत के अनुसार दावारण एवं गनर या प्राचीन (2)1:"1511":"1 गृनरचंय, to [FO नगर ...] मृपिकपर्णा---० [सं०] जाने दवाना ए पार गारग। मूमल- पर्या-नाप्रोधी। किता। उपपिया। प्रपती। मरी गृपा । पपगी। पापली । ८-१९ मूपारमा सी० यतिनी। नाम।