पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२५३

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HO श्र० मेधानंद ४०१२ मेटा मेघडवर । उ०-मेघाडमर सिर छत्र ठयो। देश मालगिर मेजपोश -सना पुं० [फा० मेज़पोश ] चौरी या मेज पर विधानेवाला चालियो राई । -वी० रासो, पृ० १३ । कपडा। मेघानद-सज्ञा पुं० [सं० मेघानन्द] १ मोर । मयूर । २ वताका। मेजवान सज्ञा पुं० [फा० मेजयान ] भोजन करान या प्रातिय्य वगला। करनेवाला । मेहमानदार । 'मेहमान' का उनटा । उ०-१७ मेघारि-सञ्ज्ञा पुं० [सं० मेघ+ अरि ] मेघ का शत्रु, वायु [को०] । मई को रामपुर और अपन मेजबान ने विदाइ ले ली!-- मेघावरि-मज्ञा स्त्री० [ म० मेघावलि ] बादलो की घटा । मघ- किन्नर०, पृ० २८1 पक्ति । उ०-केश मेघावरि सिर ता पाई। चगकहिं दमन मंजवानी-राशा ग्ने [फा० मेजवानी] १. मेजबान का भाव या वीजु के नाई।-जायसी (शब्द॰) । धर्म । २ वे माद्य पदार्थ जो रात याने पर पहले पहल क्या पक्ष से गतिया ने लिये भेजे जाते हैं। ३. भाज। मेघास्थि-मज्ञा पुं० [ स०] पोला । दावत (को०)। मेघोदय र-सज्ञा पुं० [ ] बादल घिरना । घटा का उठना । मेजर-सज्ञा पुं० [ ] फौज का एक अफगर । कप्तान से ऊंचा यौ०–मेघोदयकाल = वर्षा ऋतु । वरमात । और लेफ्टिनेंट कर्नल ने नीचे का श्रफमर । मेघौना-सहा पुं० [ मं० मेघवर्ण ] मेघवर्ण या रगवाला कपड़ा। मेजर जनरल-सा पुं० [' अ०] फौज का एक अफगर जिगका दर्जा दे० 'मेघौना'। लेफ्टिनेंट जनरल के बाद ही है। मेवा-सहा स्त्री॰ [ मं० मञ्च ] १ पयक। पलग । २ वत की मंजा-मज्ञा पुं० [सं० म० भइक, हिं० मेऊक, ० हिं० मेनुका ] धुनी हुई खाट । मेढक । मलूक । उ०—पट हमे सो मुनत गवेजा। ममुद न मेच-सञ्चा स्त्री॰ [फा० मेज़ ] दे० 'मेज' । जानु पुजा कर मेजा ।-जायमी (जब्द०)। मेच'-सशा पुं० [ देश० ] अासाम की एक पहाडी जाति । मेजारिटो-मशा सी० [ घ.] वहमस्या | पारे में अधिक पक्ष । मेचक'-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] १ अधकार । अंधेरा । २ नीलाजन । अधिकाश । जसे, मजारिटी रिपोर्ट। सुरमा । ३. मोर को चन्द्रका । ४ घूमा। धूम । ५ मेघ । मेजुक -सा पुं० ["० मेजा । मेढा । ६ शोभाजन । सहिजन । ७ पीतशाल । पियासाल । ८. काला मेट' -मया पु० [सं० ] सफेदी किया हुना मकान जिनमे कई खड नमक । ६ विच्छू की एक छोटी जाति । वा मरातिब हो (को०] । मेचक-वि० श्यामल । काला । स्याह। उ०-चोकने मेचक रुचिर, मेट'-सा पुं० [अ० ] १. मजदूरों का अफसर या मरदार । सुकु चत मुचित केम । -घसान द, पृ० २६६ । उल । जमादार । २. जहाज का एक कर्मचारी जिसका काम यौ०-मेचकगल = मोर । मयूर । मेचकापगा = यमुना नदी। जहाज के अफमर की महायता करना है। ३. सगी । साथी । मेचकता-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० ] कालापन । श्यामलता। जैसे, क्लाम मेट । मेचकताई-सशा स्त्री॰ [ सं० मेच कता + ई (प्रत्य० ) ] दे० मेटक-सज्ञा पुं० [ देशी /मिट, मेट, हिं० मेटना + सं० 'मचकता' । उ०-यह प्रभु ससि मह मेचकताई। कहहु काह क (प्रत्य॰)] नाशक । मिटानेवाला । उ०—देव जू का न हिय निज निज मति भाई।-मानस, ६।१२। हुलसा तुलमा वन मे फुलसीउ को मेटक । -देव (शन्द०)। मेटनहार, मेटनहारा-सा पुं० [हिं० मेटना + हार (प्रत्य॰)] मेचकित-वि० [ ] गरे नीले रगवाला [को०] । भिटानेवाला । दूर करनेवाला। हटानेवाला। उ०-बाये मेचटिक-सज्ञा ॰ [ सं० ] खराव तेल की महक या गध (को०] । फर लिखा को मेटनहारा ।-तुलसी (शब्द॰) । मेछ-सज्ञा पुं० [स० म्लेच्छ, प्रा० मिच्छ, मेच्छ ] अनार्य । म्लेच्छ । मेटना-फ्रि० स० [सं० मृष्ट (= साफ किया हुआ ), प्रा० मिट्ट+ विदेशी। उ०—(क) जल थलति थलति करि जल हिं० ना (प्रत्य॰) अथवा देशी/मिट्ट, मेट + हिं० ना (प्रत्य॰)] प्रमान । उनरयो मेछ जनु मध्य भान |-पृ० रा०, १ घिसकर साफ करना । मिटाना। २ दूर करना । न रहने १९८४ । ( ख ) के भजी मेछान दल, के रजों पुरसान । - पृ० देना। ३ नष्ट करना । उ०—तिण वेला तारण तरण गिर- रा०, १२।११६। धारी गोपाल । मिलियो उर भ्रम मेटवा, हिंदू ध्रम रखवाल । मेज-सज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] एक प्रकार की पहाडी घास जो हिमालय -रा० रू०, पृ० ७० । दे० 'मिटाना'। पर ५००० फुट की ऊंचाई तक पाई जाती है और जिसे घोड़े मेटर्निटी हास्पिटल-सज्ञा पुं० [अं॰] प्रसवशाला। प्रसूति अस्पताल । और चौपाए बड़े चाव से खाते हैं। उ.-मैने प्रस्ताव रखा कि उस कार पर बिठाकर किसी भच्छे मेज' - सधा स्त्री॰ [पुर्त० > फा० मेज़ ] लवी घौडी पौर ऊंची चौकी मेटनिटी हास्पिटल मे पहुचा हूँ।-जिप्सी, पृ० ४६० । जो वैठे हुए धादमी के सामने उसपर रखकर खाना खाने, मेटा-वि० [सं० मृष्ट, हिं० मिटाना ] मेटक। मिटानेवाला । उ०- या लिखने पढने और कोई काम करने के लिये रखी जाती है। धनमद अध नद को बेटा । सो भयो हमरे मख को मेटा।-नद० २ दावत का सामान। भोजन की सामग्री। ग्र०, पृ० ३०७1 FO