पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३४९

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रजस्- सञ्चा स्त्री॰ [ । GO रजम् ४१०९ रजिस्टरी वरनउँ जसे उनके रगा । —जायसी (शब्द॰) । रजामदी-सज्ञा स्त्री॰ [ फा ० रजामदी ] राजी या सहमत होने का म० ] दे० 'रज'। भाव । सहमति । स्वीकृति । जैसे,—जो काम होगा, वह आपकी रजसानु--सज्ञा पुं० [म.] १ मेघ । बादल। २ चित्त । मन । रजामदी से होगा। हृदय (को०)। रजाय@-मज्ञा स्त्री० [अ० रज़ा ] १ प्राज्ञा । हुक्म । उ०---(क) रजस्वल-सज्ञा पुं॰ [सं०] वह जो रज वा रजोगुण मे भरा हा । चोरन उर करि शुद्ध प्रति जाहु सु दियो रजाय । -रघुराज २ महिष । भैसा [को०)। (शब्द॰) । (ख) कोपि दसकी तब प्रलय पयोद वोल्यो, रावन रजस्वला-वि० [ ] १ जिसका रज प्रवाहित होता हो । रजवती। रजाय घाय पाए यूथ जोरि के ।-तुलसी (शब्द०)। २ ऋतुमती । उ०--रजस्वला तिय गर्भयुत होई । तासो रमण कर मरजी। इच्छा। जो कोई।-रघुनाथ (शब्द॰) । २ विवाह के योग्य (लडकी)। रजायस-सज्ञा पुं० [हिं० राजा अथवा थ० रजा+प्रायसु ] रजो-सशा स्त्री० [अ० रज़ा ] १ मरजी । इच्छा। उ० -(क) नेह आज्ञा । हुक्म । उ०—भयो रजायस मारहु सूत्रा । सूर न पाउ पध मे भाव ते धरिए पाइ संभार । मावित होइ मन पापने मीत चाँद जहँ ऊप्रा । —जायसी (शब्द॰) । रजा अख्त्यार । -रमनिधि (शब्द॰) । (ख) राजी हैं हम उसी रजायसुgf - सज्ञा पुं० [हि० राजा वा श्र० रज़ा + हिं० श्रायस ] में जिसमे तेरी रजा है।-नजीर (शब्द०)। २ रुखसत । दे० 'रजायस' । उ०-प्रव तो सूर शरण ताकि आया, सोइ छुट्टी। ३ अनुमति । श्राज्ञा । हुक्म । उ०—और कोज वही रजायसु दाज । जेहिं तें रहैं शत्रु प्रण मेरो वहै मतो कछु आपकी जो रजा ।-सूदन (शब्द॰) । ४ स्वीकृति । कोज । -सूर (शब्द०)। (ग) जब जमराज रजायसु ते ताहिं क्रि० प्र०—देना ।—पाना ।-मिलना ।-लेना। ले चलिह भट वाघि गटया ।—तुलसी (शब्द॰) । रजाइ-सज्ञा स्त्री० [अ० रज़ा ] १ आज्ञा। हुक्म । उ०—(क) रजिया'- सज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] १ अनाज नापने की एक माप जो प्राय पूतना पिसाचा जातुधानी जातुवान वाम रामदूत की रजाइ माथे डेढ सेर का होता है । २ काठ का वह वरतन जो इस मान का मान लेत हैं । -तुलसी (शब्द॰) । (ख) राजा की रजाइ पाइ होता है। सचिव महेली वाइ सतानद ल्याये सिय सिविका चढ़ाइ के। रजिया-सचा स्री० [अ० रजीह, ] १. दूध शरीक बहन । दूध तुलमो (शब्द०)। २ दे० 'रजा'। वहन । २ रजिया बेगम, जो गुलामवश के दूसरे वादशाह रजाइस -- सञ्चा स्त्री० [अ० रज़ा -+ हिं० श्राइस ( प्रत्य० ) ] अल्तमश की लडकी थी। प्राज्ञा । हुक्म । रजियाउर--सञ्ज्ञा पु० [हिं० राजपुर वा राजा + गृह] राजधानी । रजाई'-सज्ञा स्त्री॰ [ स० रजक (= कपडा ? या देशा)] एक प्रकार उ०- बार मोर रजियाउर रता। सो ले चला सुवा परवता। का जाडे का प्रोढना जिसका कपडा दोहरा होता है और जायसी ग्र० (गुप्त), पृ० १३३ । जिसमे रूई भरी होती है । लिहाफ । रजिष्ट्रार-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] दे० 'रजिस्ट्रार' । रजाई ----सज्ञा लो० [हिं० राजा+आई (प्रत्य॰)] गजा होने का रजिस्टर-सञ्ज्ञा [अ० ] अंगरेजी ढग को वही या किताव श्रादि जिसमे किसी मद का अाय व्यय अथवा किसी विषय का -सज्ञा स्त्री॰ [अ० रज़ा ] आज्ञा । हुक्म । उ०-चले सीस वरि विस्तृत विवरण, सिलसिलेवार या खानेवार, लिखा जाता हो । राम रजाई । -तुलसी (शब्द॰) । रजिस्टरी-सञ्ज्ञा सी० [अ०] १ किसी लिखित प्रतिज्ञापत्र को रजाकार-संशा पुं० [अ० रज़ा+कार ] १ स्वयसेवक । कानून के अनुसार सरकारी रजिस्टरो मे दर्ज कराने का काम | तापूर्व भारत मे स्थापित एक राष्ट्रविरोधी मुस्लिम राजनीतिक विशेष-प्राय सभी देशो मे यह नियम है कि बनाम, दस्तावेज तथा इसी प्रकार के और सब कागज पत्र लिखे जाने के रजाना क्रि० स० [ म० राज्य ] १ राज्यसुख का भोग करना। उपरात सरकारी रजिस्टरो मे दर्ज करा लिए जाते हैं। उ०-रूठ रही मन सो कह्यौ भूपति पानंद पाज न याहि इससे लाभ यह होता है कि उस कागज मे लिखी हुई सब रुठाऊं। मांगु ऋह्यो वनवास दे रामहिं ही अपने सुत राज बातें विलकुल पक्की हो जाती हैं, और यदि कोई पन उन रजाऊं।-हृदयराम (शब्द॰) । २ बहुत अधिक सुख देना। बातो के विपरीत काइ काम करता है, तो वह न्यायालय बहुत अच्छी तरह से रखना । जैसे,—वे अपने सभी सवधियो से दह का भागी होता है। यदि मूल कागज किसी प्रकार को राज रजा रहे है। खो जाय, तो उसके बदले मे आवश्यकता पड़ने पर रजिस्टरी- विशेप- इस शब्द का प्रयोग 'राज' या 'राज्य' शब्द के साथ ही वाली नकल से भी काम चल जाता है । होता है, अलग नहीं। २ चिट्ठी, पारसल आदि डाक से भेजने के समय डाकखान के रजामद-वि॰ [फा० रज़ामद ] जो किसी बात पर राजी हो गया रजिस्टर मे उसे दर्ज कराने का काम, जिसके लिये कुछ अलग हो । सहमत । जैसे,—अगर आप इस बात मे रजामद हो, तो फीस या दाम देना पडता है। यही सही। विशेष- इस प्रकार की रजिस्टरी से यह लाभ होता है कि भाव । राजापन । रजाई- स्वतत्र- दल।