पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४५९

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रोमिल F ४२१८ रोला स० 1 TO के बीचोवीच नाभि से ऊपर की ओर गई होती है । रोमाली । पीत पिछोरी। उर बनमाल काछनी काछे, कटि किकिनि छवि रोमराजी। उ०-नाभि हद रोमावली अलि चारु सहज रोरी ।-मूर (शब्द०)। सुभाव । - सूर (शब्द०)। रोरी - सज्ञा पुं० [हिं० शैली] लहसुनिया नग । एक प्रकार का रत्न । रोमिल-वि० [ म० रोम + इल ( प्रत्य० ) ] रोएंदार । रोमवाला । रोर दा-सज्ञा स्त्री॰ [ अत्यत रुदन और विलाप । उ०-वहां गिलहरी दीडा करती तरु जलो पर, चचल लहरी रोलव'-मज्ञा पुं० [ स० रोलम्ब ] १ भ्रमर । भौरा। भंवर । २ सो मृदु रोमिल पूँछ उठाकर ।--ग्राम्या, पृ० ७५ । सुखी जमीन। रोमोद्गम - सम्रा पु० ] रोयो का हर्प या भय से खडा होना । रोलव-वि० विश्वास न करनेवाला । अविश्वासी । रोमोझै द-सज्ञा पु० [सं० । रोमहर्ष । रोल-मज्ञा सी० [ स० रवण, हिं० रोर ] १ रोर । हल्ला । रोयाँ-सज्ञा पुं० [ से० रोमन् वाल जो सव दूध पिलानेवाले कालाल । २ शब्द । ध्वनि । उ०-ग्राजु भोर तमचुर की प्राणियो के शरीर पर थोरे या बहुत उगते है । लोम । रोम | रोल | गोकुल मे पानद होत है, मगल धुनि महगने ढोल ।- मूर (शब्द०)। क्रि० प्र०-उखडना। -निकलना। -जमना । रोल-सज्ञा पुं० पानी का तोड । रेला । बहाव । मुहा०-एक रोयाँ न उखडना कुछ भी हानि न होना। रोया खडा होना= हर्प या भय से रोमकूपो का उभरना। रोयाँ रोल-सञ्ज्ञा स० [ देश० ] रुखानी की तरह का एक औजार जिसमे दुखित होना = अत्यत माननिक वेदना होना। रोयां वर्तन की नक्काशी की जमीन साफ की जाती है। पसीजना = हृदय मे दया उत्पन्न होना । करुणा होना। तरस रोल -सज्ञा पुं० [सं० ] हरा अदरक । होना । तरम पाना । उ०—ईगुर भा पहार जो भोजा। पं रोल-मज्ञा पुं० [अ०] १ नामो की तालिका या फेहरिस्त । २ तुम्हार नहिं रोयं पमीजा जायसी।-(शब्द॰) । नाटक या चलचित्र मे अभिनेना को भूमिका । उ०-पतजी ने एक नए मसीहा का रोल भी अख्तियार किया।-प्र० सा०, रोर'-मज्ञा स्त्री॰ [ म८ रवण ] १ बहुत से लोगो के मुह से निकल- पृ० ४६ । २ जीवन में किए जानेवाले विशिष्टताव्यजक कर उठी हुई समिलित ध्वनि । कलकल । हल्ला। कोलाहल । कार्य । जैसे,—पुत्र के चरित्रनिर्माण मे माता का रोल महत्व- रौला। शोरगुल । चिल्लाहट । उ०—(क) परी भोर ही रोर पूर्ण होता है। लक गढ़, दई हांक हनुमान । -तुलसी (शब्द॰) । (ख) जिनके जात बहुत दुख पायो, रोर परी एहि खेरे। -सूर (शब्द॰) । रोलनवर -सशा ० [अ० ] नामो की तालिका या सूचो का क्रम । क्रमसख्या। क्रि० प्र०-उठना ।-फरना।-पडना ।—-मचना । रोलर-सज्ञा ० [अ० । १ ढुलकनेवाली वस्तु । बेलन । बेनना । २ बहुत से लोगो के राने चिल्लाने का शब्द । उ०-घरी एक २ छापेखान मे स्याही देने का वेलन । सुठि भएउ अंदोरा । पुनि पाछे बीता होइ रोरा । —जायसी विशेष—यह सरेस और गुड मिलाकर बनता है। इसी पर स्याही (शब्द०)। ३ घूम । धमासान । उपद्रव । हलचल । आदालन । लगाकर टाइपो पर फेग जाती है । रोर'-वि० १ प्रचड । तेज । दुर्दमनीय । उ०—(क) देव बदीछोर, रोलर फ्रेम-सज्ञा पुं० [अ० | वेलन को कमानी । रन रोर केसरीकिसोर, जुग जुग तेरे वर बिग्द विराजे है।- विशेष - इसमे रोलर लगाकर स्याही तथा टाइपो पर फेरते है। तुलसी (शब्द॰) । (ख) ते रन रोर कपीस किसोर बडे बरजोर परे फंग पाए।-तुलसी (शब्द॰) । २. उपद्रवी । उद्धत । दुष्ट । यह लोह का एक हलका सा घेरा हाता है जिसमे एक पॅचदार अत्याचारी। उ०-क) आपनी न बूझ, न कहे को राह रोर छड लगी होती है। ऊपर काठ को दा मुठिया होती ह जिन्हे रे।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) तालाने को बांधवो, वध रोर पकड कर सिल पर स्याही पीसते हैं और हरफा पर फेरते हैं । को, नाय के साथ चिता खरिए जू । -केशव (शब्द०)। रोलर मोल्ड-सञ्ज्ञा पु० [ ] सरेस का वेलन ढालने का सांचा। रोरा 1- सचा पु० [हिं० रोड़ो ] चूर गाँजा । विशेष—यह दो प्रकार का होता है-(१) चोगा, जिसमे से वेलन ठेलकर निकाला जाता है। वेतन ढालते समय इसमे पीसी रारा-सज्ञा पु० [हिं० रोर ] दे० 'रोर' । खडिया तथा रेडी का तेल लगा दिया जाता है जिसमे मोल्ड मे रोरी -सचा स्त्री॰ [सं० रोचनी ] हलदी चूने से बनी हुई लाल रग की बुकनी जिसका तिलक लगाते है । रोली। उ०—मुख मडित सरेस न पकड ले । (२) दोफांका, जिसके पल्ले अलग अलग होते है। इन्हें खोल देन से रोलर सहज मे निकल पाता है। रोरी रंग रोंदुर मांग छुही।—सूर (शब्द०)। रोला -सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० रावण ] १ रोर। शोरगुल । कोलाहल । क्रि० प्र०-लगाना। हल्ला । २ घमासान युद्ध । रोरो'–समा स्त्री॰ [हिं० रोर ] चहल पहल । धूम । उ०--सकल रोला'-सज्ञा पु० [हिं० ] एक छद जिसके प्रत्येक चरण में ११+१३ सुढग अग भरी भोरी। पिय निर्तत मुमकनि मुख मोरी, परि- के विश्राम से २४ मात्राएं होती है। किसी किसी का मत है, रभन रस रोरी। हरिदास (शब्द०)। इसके प्रत मे दो गुरु अवश्य पाने चाहिए, पर यह सर्वसमत रोरो-वि० [हिं० रूरा ] सुदर । रुचिर । उ०—स्याम तनु राजत नहीं है। श्र ।