पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

लवणित ४२६६ लवाई HO PO HO जाकर उनकी दुहाई दी। राम की आज्ञा से शत्रुन उमे नारी गारी देत रावनहिं जरत लवर की झाग ।-देवस्वामी मारने गए, और जिस समय उसके हाथ मे शूल नही था, (शब्द०)। उस समय उसे मारा। लवलासी -सञ्ज्ञा सी० [हिं० लव (= प्रेम) । लामी (= लसी, लवणित-वि० [स० ] लवणयुक्त । नमकोन। नमक मिलाया लगाव) ] प्रेम की लगावट । हुप्रा किो०)। लक्लो - मचा ली। 1१ हरफारेवरी नाम का पेड और उसका लवणिमा-सञ्ज्ञा स्त्री० [ स० लवरिणमन् ] १ लवरणयुक्त होना । फल जो खाया जाता है। २. एक विपम वर्णवृत्त जिसके नमकीनी । २ सलोनापन । सौदर्य । लावण्य [को०)। प्रथम चरण मे १६, दूसरे चरण मे १२, तीसरे चरण लवणोत्कट-वि० [ स० ] दे० 'लवणप्रगाढ' [को॰] । मे ८ और चौथे चरण मे २० वर्ण होते हैं । जैसे,—दनुज लवणोत्तम-सज्ञा पुं॰ [ स० ] १ सेंधा नमक, जो सब नमको से कुल अरि जग हित परम धर्ता । साँचा अहहिं प्रभु जगन भर्ता । अच्छा माना जाता है । २ यवक्षार । जवाखार (को०)। रामा अमु' सुहर्ता । मरवम तज मन भज नित प्रभु भवदुखहर्ता। लवलीन-वि० [हिं० नय+लीन ] तन्मय । तल्लीन । मग्न । उ०- लवणोत्था-संज्ञा स्त्री॰ [ स० । ज्योतिष्मती लता। (क) अबर मधुर मुमुकान मनोहर फोटि मदन मन हीन । लवणोद-मज्ञा पुं० [ ] दे० 'लवणोदक' (को०] । मूरदाम जहें दृष्टि परन र होत तही लवलीन । - सूर (शब्द॰) । लवणोदक-सज्ञा पु० [ स०] १ नमक मिला हुआ पानी । २ क्षार (ख) जा जय धुन मु ने करत अमर गन नर नारा लवलीन । समुद्र । ३ समुद्र । सागर (को०) । -सूर ( गन्द०)। (ग) अरु जे विपयन के आधीना । तिनके लवणोदधि -सज्ञा पुं० [ ] लवणसमुद्र । लवणोदक । उद्यम मे लव-नीना । -विश्राम ( शब्द०)। लवन-सज्ञा पु० [ म० ] [वि० लवनीय, लव्य ] १ काटना। लवलेश-मशा पु० [ म० ] १ अत्यत अल्प मात्रा। बहुत थोड़ी छेदना । २ खेत की कटाई । तुनाई। ३ खेत काटने की मिकदार । २ जरा मा लगाव । अल ससर्ग । जैसे, इस दूध मजदरी मे दिया हुया अन्न । लोनी। ४ खेत की कटाई वा मे पानी का लवलेश नहीं है। लुनाई करने का प्रौजार हँसिया [को०] । लवलेस-सज्ञा पुं० [ स० लवलेश ] दे० 'लवलेश' । उ०—(क) लवन- सज्ञा पु० [ स० लवण ] नमक । उ०-इम नीर महि जाके बल लवलेस ते जितेहु चराचर झारि ।-मानस, ६।२१। गरि जाय लवन एकमेकहि जानिए ।-सुदर० ग्र०, भा० १, (ख) जाकी कृपा लपलेग त मतिमद तुलसीदास हूँ .-मानस, ७।१३० । लवना'-क्रि० स० [ स० लवन, हिं. लुनना ] पके हुए अन्न के पौयो लवहरी-सशा पुं० [दश०] एक साथ उत्पन्न दो वालक । यमज । को खेतो मे काटकर एकत्र करना । लुनना। उ०- तुलसी यह तन खेत है, मन बच करम किसान । पाप पुन्य कै बीज है बाव लवा-सञ्ज्ञा पु० [स० लाजा ] अनाज का दाना जो भूनने से फूल सो लवं निदान । - तुलसी (शब्द॰) । गया हो। भुने हुए पान या ज्वार की खोल । लावा । लवनाल-क्रि० अ० [हिं० लप या लो । दीप्त होना । चमकना। मिलि माधवा प्रादिक फूल के व्याज विनोद लवा बरसायो उ०-च चोप चपला हिय लवं । सबही दिस रम प्यासनि करें।-'द्वजदेव (शब्द०)। तवै।-धनानद, पृ० १८७ | लवा-सया पु० [स० लव तोतर की जाति का एक पक्षी जो तीतर लवना- वि० [ स० लवण ] द० 'लोना' । से बहुत छोटा होता है। उ०-बाज झरट जनु लवा लुका- लवनाईए-तशा स्त्री॰ [ स० लावण्य ] लावण्य । सुदरता। ने ।- तुलमा (गव्द०)। लवनि-सज्ञा स्त्री॰ [सं० लवन ) १ खेत मे अनाज की पकी फसल विशेष—यह तीतर की तरह जमीन पर अधिक रहता है। पंजे की कटाई । लुनाई । २ वह अन्न जो मजदूरी मे दिया जाता है। बहुत लवे हाते हैं। नर और मादा मे देखन कोई भेद नहीं उ.-तुलसिदास जोरी देखत सुख सोभा अतुल न जान कही होता। मादा भूरे रग के प्राडे देती है। जाडे के दिना मे इस री । रूप रासि विरची बिरचि मनो सिला लवनि रात काम चिडिया के मुड के मुह झाडिया और जमीन पर दिखाई लही री।-तुलसी (शब्द०)। पटन है । यह दान पार फीट खाता है। लवनी-सशा सो० ] शरीफे का पड या फल । लवाई - वि० स० [दश०] हाल को व्याई हुई गाय । वह गाय जिसका लवनी '-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० लवन ] १. दे० 'सवान' । बच्चा अमा त हा छोटा हा । 10-(व) पु.न पुनि मिल त २ औजार जिससे खेत की लुनाई की जाती है । हसिया । साखन बिलगाई। बालवच्छ जनु धनु लवाई। -तुलसी लवना '-सजा स्त्री॰ [ स० नवनीत | नवनीत । मक्खन । ( शब्द०) । (ख) कौसल्यादे मातु नब धाइ । निरख वच्छ जनु धेनु लवाई।- तुलसी ( शब्द० :) लवनोय-वि० [स० ] लुनाई करने लायक । काटने याग्य [को०] । लवाई-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० तवना+प्राई (प्रत्य० ) १. खेत की लवर-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० लपट ] अग्नि को लपट | ज्वाला । उ.- फसल की कटा। दुनाई । २. फसल कटाई का मजदूरी। जोडा। उ०- स०